क्या हम ही ऐसे जीव हैं जो बोल, सुन, खापी या वोट कर सकते हैं? हर पशुपक्षी, कीड़ामकोड़ा भी ऐसा ही करता है. अगर हम दुनिया को दूसरी नजरों से देखना शुरू कर दें कि सब जीव एकजैसे हैं, तो आप के लिए उन्हें सताना, मारना, नष्ट या इग्नोर करना मुश्किल हो जाएगा. दक्षिण अमेरिका की ब्राजील सरकार का इरादा है कि वहां समुद्र सरीखी नदी अमेजन के इर्दगिर्द उगे जंगलों का सफाया कर दिया जाए और वहां लोगों को रहने, फैक्टरियां लगाने, खेती करने की सुविधा दे दी जाए. इस से न केवल इन जंगलों में रह रही सैकड़ों जीवों की प्रजातियां हमेशा के लिए डायनासोरों की तरह लुप्त हो जाएंगी, बल्कि दुनिया विनाश की ओर बढ़ रहे कदमों को भी और तेज कर देगी.
अगर सरकार का व्यक्ति मुखिया बन कर दुनिया को नष्ट करने की हिम्मत रख सकता है, तो आप अपने इलाके के एक व्यक्ति क्यों नहीं बन सकते, जो अपने इलाके को और बेहतर बना दे?
मुरगियों को अपने स्टेटस का बहुत खयाल रहता है. उन्हें कई मुरगों के साथ सैक्स करना होता है, क्योंकि कई नर मुरगे अपने बल पर उन के साथ मेट करते हैं. पर प्रकृति ने उन्हें क्षमता दी है कि वे उन शुक्राणुओं की पहचान कर सकें जो कमजोर फीके मुरगों के हैं और उन्हें अंडा देने से रोक सकें.
मिलतीजुलती आदतें
फरमैंट कर के खाने की चीजों से शराब बना कर सभी समाजों में पी जाती है चाहे वह कितनी ही नुकसानदेह क्यों न हो. चोरीडकैती और बलात्कार की तरह का यह दुर्गुण हर सभ्यअसभ्य समाज में हमेशा रहा है. लेकिन चिंपाजी भी शराब पीते हैं. हां, उन्हें शराब फरमैंट करना नहीं आता पर वे प्रकृति में अपनेआप सड़ने वाले फलों के रस को पीते हैं, जो शराब की तरह का नशा देता है. वे सख्त फलों के छिलकों के प्राकृतिक रूप से बने प्यालों में इस रस को जमा करते हैं और पत्तों को चम्मच की तरह इस्तेमाल कर के मादक रस पीते हैं.