विकास सिंह जब एक पपी को अपने घर में लाए तो पंडित द्वारा पूजा व नामकरण संस्कार कराया गया. उन के पारिवारिक पंडित ने उस का नाम हैप्पी रख कर पूरा आश्वासन दिया कि इस पैट के आने से घर में समृद्धि और खुशियां बढ़ेंगी.

आजकल अखबारों व वैबसाइट्स पर यह एक और अंधविश्वास अपने पैर फैला रहा है, जिस में पैट पेरैंट्स अपने पैट की जन्मकुंडली बनवा कर नामकरण संस्कार करा रहे हैं. कितनी हास्यास्पद स्थिति है कि अब तक तो इंसान ही इन पंडितों, कुंडलियों, ग्रहदशाओं के चक्रव्यूह में फंसे थे, अब जानवर, पक्षी (जो भी पालतू हो) भी इस चक्रव्यूह में फंस रहे हैं.

अफसोस की बात यह है कि इस अंधविश्वास के जाल में शिक्षित व प्रबुद्ध वर्ग भी अपनी सहमति व खुशी से फंस रहा है, इसे मान्यता दे रहा है.

फ्रीलांस राइटर विभूति तारे ने अपने पैट की कुंडली बनवा नामकरण संस्कार व पूजा की. फिर पार्टी का आयोजन किया. राइटर यानी खुले दिमाग का व्यक्ति जोकि समाज को सही मार्ग सुझाने की शक्ति रखता है. अगर वही यह रास्ता अपनाएगा तो जाग्रति कौन लाएगा?

ज्योतिषियोंपंडितों की चांदी

जब इतने प्रबुद्ध लोग इस कार्य में भाग लेंगे तो पंडित वर्ग नईनई तरकीबों द्वारा भावनात्मक भ्रम फैलाने में सफल होगा ही. अभी तक तो पेरैंट्स अपने बच्चों की कुंडलीजन्मपत्री बनवा कर अनदेखी, अबूझी निश्चिंतता पाने तथा अनदेखे भविष्य की तरफ झांकते आ रहे थे. बच्चे के जन्म के साथ ही पंडित/ज्योतिषी का सहारा, सलाह, पूजाहवन आदि न जाने कब से चले आ रहे हैं. इस पर भी अगर बच्चा मूलों में या दोषी ग्रहों में पैदा हुआ हो तो पूजापाठ, दानदक्षिणा की मात्रा कई गुना बढ़ा कर भावनात्मक खेल खेला जाता है. इसी तरह अब पैट भी इसी घेरे में आ रहे हैं. पालतू को भी ‘बेबी’ की तरह ही कोई कष्ट या परेशानी न हो इस की तरकीबें निकल रही हैं.

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