आम आदमी पार्टी नेता आतिशी आखिरकार दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं और वे राजधानी दिल्ली में इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाली सभी 3 मुख्यमंत्री महिलाओं में सब से कम उम्र की हैं. साथ ही स्वतंत्र भारत में मुख्यमंत्री बनने वाली 17 वीं महिला हैं.
दरअसल, राजधानी में विधानसभा चुनाव फरवरी, 2025 में होने वाले हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने जेल से निकलने के बाद नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए राजनीति का पासा फेंक दिया. पहली बार ही विधायक बनी आतिशी आप पार्टी का एक बड़ी चेहरा हैं। जब अरविंद केजरीवाल जेल में थे तो एक तरह से उन्होंने नरेंद्र मोदी और भाजपा पर जो आक्रामक तेवर दिखाए शायद इस वजह से अरविंद केजरीवाल की वे पहली पसंद बन गईं.
उन्होंने आबकारी नीति मामले के सिलसिले में अरविंद केजरीवाल के तिहाड़ जेल में रहने के दौरान आम आदमी पार्टी का गरिमा के साथ नेतृत्व किया.
केजरीवाल ने कालकाजी से विधायक आतिशी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था.
भाजपा से सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित के बाद आतिशी दिल्ली की तीसरी (43 वर्ष) महिला मुख्यमंत्री बनी हैं और दिल्ली की सब से कम उम्र की मुख्यमंत्री हैं.
दीक्षित ने जब मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था, तब वे 60 साल
की थीं। सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के समय 46 साल की थीं. आतिशी फिलहाल देश में दूसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. पश्चिम बंगाल में ममता बनजीं मुख्यमंत्री हैं.
आइए, आप को बताते चलें कि भारत के इतिहास में महिला मुख्यमंत्रियों की सूची कुछ इस प्रकार है-
* सुचेता कृपलानी : स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री कृपलानी ने 1963 से 1967 तक उतर प्रदेश में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व किया.
* नंदिनी सत्पथी : दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं. इस कांग्रेस नेत्री ने 1972 से 1976 तक ओडिशा का शासन संभाला था.
* शशिकला काकोडकर : महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी की नेता काकोडकर 1973 से 1979 तक 2 बार गोवा, दमन और दीप के केंद्र शासित प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं. गोवा को 1987 में राज्य का दरजा मिला जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश बना रहा.
* अनवरा तैमूर : किसी भारतीय राज्य की पहली मुसलिम महिला मुख्यमंत्री। उन्होंने 1980 से 1981 तक असम में कब्रिस सरकार का नेतृत्व किया.
* वीएन जानकी रामचंद्रन : अभिनेत्री से नेता बनीं वीएन जानकी रामचंद्रन तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री होने के अलावा भारत में यह पद संभालने वाली पहली फिल्म स्टार भी थीं. अपने पति एमजी रामचंद्रन की मृत्यु के बाद 1988 में वह 23 दिनों तक मुख्यमंत्री रहीं.
* जयललिता : अभिनय से राजनीति में कदम रखने वाली जयललिता ने 6 कार्यकालों में 14 सालों से अधिक समय तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.
* मायावती : मायावती ने कुल 7 सालों तक 4 बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में शासन किया.
भारत में महिला मुख्यमंत्रियों की सूची में कई प्रभावशाली नेत्रियों के नाम शामिल हैं। इन में से कुछ प्रमुख नाम हैं :
सुचेता कृपलानी : उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1963 से 1967 तक रहा।
नंदिनी सत्पथी : ओडिशा की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1972 से 1976 तक रहा.
शशिकला काकोडकर : गोवा की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1973 से 1979 तक रहा.
अनवरा तैमूर : असम की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1980 से 1981 तक रहा.
जे जयललिता : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1991 से 2016 तक रहा.
मायावती: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1995 से 2012 तक रहा.
शीला दीक्षित : दिल्ली की मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1998 से 2013 तक रहा.
ममता बनर्जी : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 2011 से अब तक रहा है.
आतिशी मार्लेना : दिल्ली की मुख्यमंत्री, जिन्होंने 2024 में पदभार संभाला है .
इन महिला मुख्यमंत्रियों ने अपनेअपने राज्यों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है और अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है। वे न केवल अपने राज्यों की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, बल्कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए.
कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं
सुचेता कृपलानी : इन्होंने उत्तर प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण काम किया.
नंदिनी सत्पथी : इन्होंने ओडिशा में कृषि और उद्योग के विकास पर ध्यान केंद्रित किया.
जे जयललिता : इन्होंने तमिलनाडु में सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया.
मायावती : इन्होंने उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए काम किया.
ममता बनर्जी : इन्होंने पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास और सामाजिक न्याय पर ध्यान केंद्रित किया है.
इन महिला मुख्यमंत्रियों की कहानियां हमें यह याद दिलाती हैं कि नेतृत्व में महिलाओं की भूमिका कितनी महत्त्वपूर्ण है. वे न केवल अपने राज्यों की सेवा करती हैं, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का काम करती हैं.