जब घर में आग लगी हो तो क्या आप को यह देखने की फुरसत होती है कि पड़ोसिन की बेटी ने आज स्लीवलैस टौप और शौर्ट क्यों पहने हैं या आप अमरनाथ यात्रा के लिए बैंक में जा कर बचाखुचा पैसा निकालने दौड़ती हैं? नहीं न. पर भारत सरकार को इसी की चिंता है. जब देश महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहा हो, भारत सरकार की सत्तारूढ़ पार्टी के मुख्य काम क्या हैं- मंदिर बनवाना, मुहम्मद साहब का इतिहास खोजना, मसजिदों में खुदाई कर के शिवलिंग ढूंढ़ना, ईडी से छापे मरवाना ताकि विपक्ष का सफाया हो सके. दूसरे दलों में सेंध लगाना कि राज्यसभा की 4 सीटें ज्यादा मिल जाएं बगैरा.
ऐसा लगता ही नहीं है कि सरकार चलाने वाले प्रधानमंत्री या किसी और नाम के बने मंत्री को देश की बढ़ती महंगाई की कोई चिंता है. ठीक है, कुछ रुपए डीजल और पैट्रोल पर कम कर दिए पर उस से ज्यादा तो अनाज और खानेपीने की चीजों के दाम बढ़ने से जेब से निकल गए. जिन्हें हम ने चुना था वे सफाई नहीं दे रहे, रिजर्व बैंक के गवर्नर दे रहे हैं जो सिर्फ अफसरी करते रहे हैं.
देशभर में हिंदूमुसलिम अलगाव को फैलाने की कोशिशें जारी हैं, भड़काऊ भाषणों से अखबारों के पन्ने और चैनलों की सुर्खियां भरी पड़ी हैं. आम औरत किस तरह अपना पेट काट कर गुजारा कर रही है, इस का कोई खयाल नहीं रख रहा.
सरकार का कोई विभाग अपने खर्चे में कटौती नहीं कर रहा. पुलिस पर बेहद खर्च किया जा रहा है पर आप के घर को सुरक्षित करने के लिए नहीं, आप के पड़ोस के मंदिर को या मुसलमानों को पकड़नेधकड़ने में. चप्पेचप्पे पर पुलिस का जो पहरा है वह मुफ्त नहीं होता. उस पर जनता का टैक्स लगता है, यह नहीं बचाया जा रहा.
उत्तर प्रदेश में वाराणसी पर गंगा की दूसरी तरफ सड़क बन रही है ताकि आरतियां देखी जा सकें जो थोक में हो रही हैं और जिन पर अरबों बरबाद होंगे. दिल्ली में नया संसद भवन बन रहा है जिस पर सैकड़ों करोड़ बेबात में खर्च होंगे. गौशालाओं के लिए सरकार के पास पैसे हैं पर स्कूलों को, किताबों को मुफ्त करने के लिए नहीं. अस्पताल सरकार नहीं खोलेगी, निजी क्षेत्र खोलेगा जो एक इंजैक्शन लगाने के क्व1,000 झटक लेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 जून को अस्पतालों में पैसा लगाने वालों से कहा कि अगला साल उन के लिए अच्छा होगा. शायद इसलिए कि सरकार अपनी जनता के प्रति सरकारी अस्पताल खोलने की ड्यूटी में और ढीलढाल करेगी.
महंगाई से निबटने के लिए सरकार को अपने सरकारी ढांचे का क्या करना चाहिए, जनता व सिर पर बैठे इंस्पैक्टरों को क्या करना चाहिए? बेकार के कानूनों को लागू करने में लगने वाले पैसे को बचाना चाहिए. मंत्रियों और नेताओं को सुरक्षा के नाम पर मिल रही फौज में कटौती करनी चाहिए, सरकारी कर्मचारियों के वेतन काटने चाहिए, सरकारी स्कूल ठीक करने चाहिए ताकि लोग अपने बच्चों को महंगे प्राइवेट स्कूलों में न भेजें. सरकार यह सबकुछ न कर के सिर्फ जय राम, जय राम कर रही है. यह भगवान को चाहे खुश करता हो, भगवानों के दुकानदारों को ज्यादा दक्षिणा दिलाता हो, आम घरवाली की आफतों में कमी नहीं करता.