वर्ष 1963 में 2 करीबी दोस्तों ए.के. तेजानी और एच.जेड. गिलानी ने मिल कर गिट्स फूड प्रोडक्ट्स प्रा.लि. की शुरुआत की थी. इन दोनों दोस्तों के आपसी संबंध इतने प्रगाढ़ थे कि कुछ समय बाद ही रिश्तेदारी में बदल गए. रिश्तों में विश्वास इतना गहरा था कि पीढ़ी दर पीढ़ी इन के वंशज व्यवसाय से जुड़ते गए और गिट्स फूड सफलता के पायदान पर चढ़ता गया. समाना तेजानी घरेलू व्यवसाय की इस कड़ी से तीसरी पीढ़ी में जुड़ीं. समाना अपनी कंपनी के उत्पादन विभाग में निदेशक हैं. अपने परिवार, शिक्षा और व्यवसाय से जुड़ने के बारे में बताते हुए समाना कहती हैं, ‘‘मैं अपने मातापिता और 2 बड़ी बहनों के साथ रहती हूं. मैं पुणे में पैदा हुई और वहीं पलीबढ़ी. मैं ने 10वीं कक्षा तक सैंट मैरी स्कूल, पुणे में पढ़ाई की. उस के बाद 12वीं कक्षा तक मेरी पढ़ाई द इंटरनैशनल स्कूल, बैंगलुरु में हुई. उस के बाद मैं ने पर्ड्यू विश्वविद्यालय अमेरिका से खाद्य विज्ञान में बी.एससी. किया और उद्योग की दुनिया में कदम रखा.’’

मिली किस से प्रेरणा

जिस कार्यकुशलता और मेहनत से समाना ने कम उम्र में ही अपने घरेलू व्यवसाय को और बुलंदियों तक पहुंचाया, वह प्रशंसा के योग्य है. समाना अपने पिता को अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं और उन्हीं से प्रेरित हो कर समाना ने व्यवसाय में कदम रखा. इस बारे में समाना कहती हैं, ‘‘मैं ने बचपन से अपने पिता को हर दिन काम पर जाते हुए देखा और मैं उन्हीं की तरह बनना चाहती थी. फिर जब मैं युवा हुई तो यह समझने लगी थी कि हमारी कंपनी एक कर्तव्यनिष्ठ कंपनी है. इस बात ने मुझे उस में काम करने के लिए प्रेरित किया.’’

दोस्ती और विश्वास के जिन सिद्धांतों पर समाना के दादा ए.के. तेजानी और नाना एच.जेड. गिलानी ने कंपनी की नींव रखी थी, समाना भी उन्हीं सिद्धांतों को अपनी पूंजी मानती हैं. उन का मानना है कि व्यवसाय विश्वास के बलबूते ही आगे बढ़ता और फलताफूलता है. व्यवसाय को जमाने का मूलमंत्र बताते हुए समाना कहती हैं कि व्यवसायी को वही उत्पाद ग्राहक को देना चाहिए जिस का इस्तेमाल व खुद सहज रूप से कर सके. फिर चाहे वह खानेपीने की कोई वस्तु हो या कुछ और. समाना इस बात को बखूबी समझती थीं कि कठिन परिश्रम और लगन के बिना अपनी पहचान बनाना नामुमकिन है. गिट्स फूड ने अपने उपभोक्ताओं के बीच जो नाम और विश्वास कायम किया था उसे और आगे ले जाना समाना के लिए चुनौती भी था और जिम्मेदारी भी. अपनी सूझबूझ के जरीए समाना ने न सिर्फ अपनी कंपनी के नाम को आगे बढ़ाया, बल्कि एक सफल व्यवसायी के तौर पर अपनी पहचान भी कायम की. समाना कहती हैं, ‘‘मैं अपना काम पूरी लगन के साथ करती गई. मेरी सब से बड़ी उपलब्धि 2012 में जीवीके एलायंस की तरफ से ‘मोस्ट ऐंटरप्राइजिंग वूमन इन बिजनैस’ पुरस्कार जीतना था.’’

बेकिंग की शौकीन

यह सवाल अकसर हमारे दिमाग में आता है कि सफल लोग बहुत व्यस्त रहते हैं तो ऐसे में वे अपने शौक पूरे कर पाते हैं या नहीं? इस के जवाब में समाना कहती हैं, ‘‘शौक पूरा करने के लिए समय से ज्यादा लगन का होना जरूरी है. यदि कुछ करने की ठान लें तो समय निकल ही आता है. वैसे मैं बहुत बिजी रहती हूं, लेकिन जब समय मिलता है तो खाली समय में मैं बेकिंग करना पसंद करती हूं. मुझे जूलिया चाइल्ड का एक चौकलेट आमंड केक बहुत पसंद है, इसलिए उसे मैं अकसर बेक करती हूं.’’

सफलता का सेहत कनैक्शन

समाना कहती हैं, ‘‘व्यवस्तता चाहे कितनी भी हो, मैं अपनी सेहत से समझौता नहीं करती. अपने स्वास्थ्य के प्रति सदा सजग रहती हूं. मैं सुबह जल्दी उठती हूं और दौड़ लगाने जाती हूं या फिर घर पर ही व्यायाम करती हूं.’

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