साइब्रर फ्रौड आजकल एक नया ऐंगल लेने लगा है. फ्रौड करने वाले लगभग सारे देश में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं जो औरतों के नंबरों को डायल करते हैं और कभी कहते हैं कि उन का बेटा किसी थाने में है, कभी कहते हैं कि उन के नाम आए एक पार्सल में ड्रग्स पकड़ी गई है, कभी कहते हैं कि उन की इंश्योरैंस पौलिसी मैच्योर हो गई है और वे पैसा निकलवा सकती हैं. ये फ्रौड करने वाले बहुत जल्दी औरतों की मैंटिलिटी समझ जाते हैं कि वे डरपोक भी हैं, लालची भी हैं, चमत्कारों में विश्वास करने वाली भी हैं और बेवकूफ भी हैं.
चूंकि बहुत से मामलों में सरकार ने जबरन औनलाइन डीलिंग करने की आदत डाल दी है और औरतें भी काफी चीजों में औनलाइन रहती हैं, वे लाइन के दूसरी ओर जाने को सही और भरोसे वाला या असली अफसर भी मान लेती हैं. औनलाइन फेसलैस के चक्कर में अब ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम है कि वे जिन मैसेज भेजने वालों या साइट्स से डील कर रहे हैं उस का दफ्तर है कहां और उस का मालिक या स्ट्रक्चर क्या है? उन के लिए फोन कौल और मैसेज एक आकाशवाणी होती है.
पौराणिक कहानियां सुनसुन कर वरदान और श्राप की आदी औरतों को फोन पर लालच या धमकी देना आसान है क्योंकि सरकार और धर्म दोनों इन बातों की हर समय पुष्टि करते रहते हैं कि अचानक सबकुछ संभव है. जब औरतें लाइन लगा कर गणेश को दूध पिला सकती हैं, भीड़ बना कर मुफ्त की साडि़यों की भगदड़ में कुचले जाने को तैयार हैं तो फोनलाइन पर लालसा और धमकी को सही क्यों नहीं मानेंगी?