हर युवक का अपना एक आइडियल होता है, जिस के नक्शेकदम पर चल कर वह कुछ बनना चाहता है. मगर पिछले कुछ वर्षों में हमारी युवा पीढ़ी के सामने कोई आइडियल नहीं रहा. हम सिर्फ फिल्मी हीरो की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि समाज या राजनीति किसी भी क्षेत्र में कोई हीरो नहीं रहा. इस चलते युवा पीढ़ी दिशाहीन हो गई है जिस का फायदा ‘धनलोलुप’ टीवी चैनल व फिल्म के निर्माता भुनाने में लगे हुए हैं. ये लोग बहुतकुछ ऐसा परोस रहे हैं कि जिस से युवा पीढ़ी न सिर्फ दिग्भ्रमित हो रही है बल्कि बरबाद भी हो रही है. फिल्म निर्माता तो युवा पीढ़ी के सामने बेनकाब हो चुके हैं, इसलिए अब युवा पीढ़ी अपनी गाढ़ी कमाई फिल्में देखने में नहीं खराब करती. यही वजह है कि बौलीवुड फिल्में बौक्सऔफिस पर टें बोलती जा रही हैं.
लेकिन ओटीटी प्लेटफौर्म हो या टीवी, यह तो दर्शक या यों कहें कि युवा पीढ़ी को लगभग मुफ्त में ही देखने को मिल रहा है. जिन के पास औफिस या अन्य तरह से ‘इंटरनैट डाटा’ मुफ्त में मिला है वे तो यूट्यूब पर ही टीवी व अन्य कार्यक्रम देख लेते हैं वरना ओटीटी का सब्सक्रिप्शन ले रखा है, जोकि फिल्मों के टिकट से तो कम ही लागत में काम चला देता है. यह और बात है कि हर ओटीटी प्लेटफौर्म कर्ज में डूबा हुआ है.
कटु सत्य यह है कि टीवी या ओटीटी प्लेटफौर्म पर परोसा जा रहा हर रिऐलिटी शो ‘स्क्रिप्टेड’ यानी कि पहले से ही लिखा हुआ होता है पर इस के निर्माता इस सच को छिपा कर दर्शकों की आंखों में धूल ?ांकने का काम करते आ रहे हैं. फिर भी किसी को दर्शक नहीं मिल पा रहे हैं पर अब हालत यह है कि न तो ‘ओटीटी’ प्लेटफौर्म और न ही टीवी चैनल अपनी दुकान बंद कर भागना चाहते हैं बल्कि सभी इस जुगत में लगे हैं कि वे किस तरह दर्शकों को मूर्ख बना कर उन्हें अपने साथ जोड़े रखें.
इसी कवायद के चलते ‘तथाकथित’ लोकप्रिय इंफ्लुएसंर्स व ‘यूट्यूबरों’ या सोशल मीडिया पर नकली फौलोअर्स की संख्या रखने वालों को अपने सीरियल्स या ‘बिग बौस’ से जोड़ रहे हैं. ऐसा ये लोग अपने दिमागी दिवालिएपन और इस सोच के साथ कर रहे हैं कि वे युवा पीढ़ी के ‘नए हीरो’ को अपने सीरियल्स या ‘बिग बौस’ का हिस्सा बना कर युवा पीढ़ी के दर्शकों को अपनी तरफ खींच लेंगे, जोकि जमीनी सचाई से कोसों दूर है.
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन दिनों ‘नकली फौलोअर्स’ व ‘व्यूज’ का धंधा भी खूब फलफूल रहा है. यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद दर्शक नहीं मिल रहे हैं. मगर ‘बिग बौस’, खासतौर पर ‘ओटीटी’ के ‘बिग बौस’, के माध्यम से अब ये लोग युवा पीढ़ी पर इन घटिया, फालतू, बदतमीज व ?ागड़ालू इन्फ्लुएंसर्स को ‘हीरो’ के रूप में थोपने का असफल प्रयास करने में लगे हुए हैं.
यदि हम यह कहें कि इस वक्त ‘चैनल, ‘बिग बौस’ के निर्माता और ये फालतू इन्फ्लुएंसर्स, ये तीनों ही अपनेअपने स्वार्थ की रोटी सेंकते हुए दर्शकों को मूर्ख बनाने का दंभ पालते हुए खुश हो रहे हैं, जोकि इन के दिमागी दिवालिएपन के अलावा कुछ नहीं है.
मजेदार बात यह है कि ओटीटी के ‘बिग बौस’ के निर्माता की तरफ से दावे किए जा रहे हैं कि फालतू व घटिया इन्फ्लुएंसर्स के चलते वे कमाई कर रहे हैं. बिग बौस ओटीटी सीजन 3 ने जो आंकड़े जारी किए, उन से यह बात साबित होती है कि इन्फ्लुएंसर्स का उन्हें फायदा मिला. प्रसारण के 2 सप्ताह के भीतर ‘बिग बौस ओटीटी 2.40 करोड़ से अधिक वीडियो व्यूज के साथ भारत में सब से अधिक स्ट्रीम किया जाने वाला मनोरंजन शो बन गया. 3.5 करोड़ दर्शकों के बीच इसे 4 अरब मिनट तक देखा गया. ओटीटी जो दावा कर रहा है वह कितना सच है, इस की जांच करना संभव नहीं है. यह तो पूरी तरह उन का अपना निजी मामला है.
‘बिग बौस’ चाहे टीवी वाला हो या ‘ओटीटी वाला हो, इन के निर्माताओं व इन के प्लेटफौर्म को इस सच को कुबूल करलेना चाहिए कि दर्शक हिंसा, मारपीट, गालीगलौज, सैक्सी सीन्स या सैक्सी जोक्स वगैरह सुनने के लिए अब फिल्म या टीवी सीरियल या ‘बिग बौस’ नहीं देखना चाहता.
यदि दर्शक हिंसा, गालीगलौज व सैक्स देखना चाहता है तो हाल ही में प्रदर्शित करण जौहर की 2 फिल्मों- ‘किल’ और ‘बैड न्यूज’ ही नहीं, हौलीवुड फिल्म यानी कि मार्वल स्टूडियो की फिल्म ‘डेडपूल एंड वुल्वरिन’ ने सफलता के ?ांडे गाड़ दिए होते पर अफसोस बौक्सऔफिस पर इन की दुर्गति हुई है. कटु सत्य यह है कि साड़ी पहने हुए ढकी औरत ज्यादा सैक्सी नजर आती है बनिस्बत जिस्म की नुमाइश करने वाली औरत के.
बिग बौस और फालतू इन्फ्लुएंसर्स में समानता
‘बिगबौस’ के निर्माताओं ने इस सोच के साथ इस की शुरुआत की थी कि वे रिऐलिटी के नाम पर ‘स्क्रिप्टेड’ गालीगलौज, किचन पौलिटिक्स, हाथापाई, तूतूमैंमैं, मारपीट वगैरह परोस कर दर्शकों को मूर्ख बनाते रहेंगे. हम यहां याद दिला दें कि पहले 2 एपिसोड ने हंगामा बरपाया था. लोगों को लगा कि क्या हम इतने आधुनिक हो गए हैं? मगर औरतों के बीच इसे काफी पसंद किया गया. पहले 2 सीजन तो काफी अच्छे चले. इस की सब से बड़ी वजह यह भी थी कि ‘बिग बौस’ हर सीजन में ऐसी इमेज वाले कलाकार या दूसरे क्षेत्रों के लोगों को समाहित करता रहा है जोकि उन की स्क्रिप्ट के अनुसार हरकतें कर सकें, मारपीट कर सकें या गालीगलौज व वाहियात बातें कर सकें.
सभी को याद होगा कि 2009 में प्रसारित तीसरे सीजन में अभिनेता कमाल आर खान ने हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव को थप्पड़ मार दिया था (वैसे केआरके और राजू श्रीवास्तव को इसी बात के पैसे मिले थे). फिर 2010 के सीजन में चंबल की मशहूर डकैत सीमा परिहार ‘बिग बौस’ का हिस्सा थीं और इस सीजन में जो कुछ हुआ था, उस से सभी परिचित हैं. तो कहने का अर्थ यह है कि ‘बिग बौस’ साफसुथरे, ईमानदार या शालीन लोगों को अपने कार्यक्रम में ला कर दर्शकों को शालीनता, नैतिकता या मौरैलिटी का पाठ नहीं पढ़ाना चाहता. ‘बिग बौस’ के कर्ताधर्ता मानते हैं कि आज की पीढ़ी के पास कोई ‘हीरो’ नहीं है तो वे ऐसे लोगों को उन के सामने आइडियल लोगों के रूप में पेश कर रहे हैं जिन्हें देख वे अचंभित हों और दिग्भ्रमित भी. और फिर येनकेनप्रकारेण उन की जेबें भरती रहें.
‘बिग बौस’ की ही तरह ये फालतू के इन्फ्लुएंसर्स हैं. ये सभी नकली ‘व्यूज’ और नकली ‘फौलोअर्स’ खरीद कर उद्दंड व गुंडे बने हुए हैं, जिन के पास 2 करोड़ फौलोअर्स हैं. आप इन्हें टिपटौप कपड़ों में देख कर प्रभावित होंगे पर जब आप इन से आमनेसामने बात करेंगे तो इन की अतिघटिया व बदतमीजी वाली भाषा सुन कर अपने कान बंद कर लेने में ही अपनी भलाई समझेंगे.
वास्तव में ये फालतू के इन्फ्लुएंसर्स अपनी निजी जिंदगी में भी घटियापन ही करते रहते हैं. मजेदार बात यह है कि ये इन्फ्लुएंसर्स अपने फौलोअर्स और व्यूज की संख्या गिना कर गुंडागर्दी/दादागीरी/ मारपीट करने से बाज नहीं आते. इतना ही नहीं, ये निजी जिंदगी में भी काफी घटिया होते हैं.
शिवानी कुमारी
ओटीटी के ‘बिग बौस’ सीजन 3 में नजर आ चुकीं औरैया, उत्तर प्रदेश के अरियारी गांव में रहने वाली इन्फ्लुएंसर शिवानी कुमारी को ही लें. गरीब मां की बेटी शिवानी कुमारी को उन की मां ने घर का अनाज बेच कर 7 हजार रुपए दिए थे कि वह स्कूल की फीस भर दे पर शिवानी कुमारी ने स्कूल की फीस भरने के बजाय ‘वीवो’ कंपनी का मोबाइल खरीद कर पूरे गांव वालों को उन के वीडियो वगैरह बनाते हुए परेशान करती रही. आज 9वीं कक्षा तक पढ़ाई कर चुकी शिवानी कुमारी का दावा है कि उन के यूट्यूब चैनल पर 24 लाख फौलोअर्स और इंस्टाग्राम पर 46 लाख से अधिक फौलोअर्स हैं.
ऐसे में ‘बिग बौस’ के निर्माता ने सोचा कि वे शिवानी कुमारी को युवा पीढ़ी के सामने कम उम्र वाली लोकप्रिय इन्फ्लुएंसर के रूप में पेश करेंगे तो उस के इंस्टाग्राम व यूट्यूब के फौलोअर्स ‘बिग बौस’ देखेंगे, इस से ‘बिग बौस’ की कमाई होगी. जो लड़की मोबाइल खरीदने के लिए अपनी मां को धोखा दे सकती हो वह तो पैसा कमाने के लिए स्क्रिप्टेड संवाद बोलने में हिचक क्यों करेगी भला?
कहने का अर्थ यह कि ‘बिग बौस’ के निर्माता युवा पीढ़ी या समाज को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला हीरो नहीं परोसना चाहते. बल्कि, उन का मकसद ऐसे लोगों को ‘आइडियल’ के रूप में परोसना है जिन के चलते उन की जेब भर सके. ‘बिग बौस’ का सब से बुरा प्रभाव मंदबुद्धि, अनपढ़, कम पढ़ेलिखे या गांव वालों पर पड़ रहा है.
एल्विश यादव
आप इन्फ्लुएंसर एल्विश यादव को कैसे भूल सकते हैं. ‘बिग बौस’ तो इन्हें युवा पीढ़ी का ‘हीरो’ ही मानता है. जब एल्विश ‘बिग बौस’ में था तभी उस पर सांप के जहर व सांपों की तस्करी करने का आरोप लगा था. एल्विश के खिलाफ कई मुकदमे दायर हैं पर ‘बिग बौस’ की नजर में वह आइडियल है. मजाल है कि कोई रोक दे. ‘बिग बौस’ ने तो उसे ही विजेता घोषित किया था.
एल्विश ने 2016 में बतौर इन्फ्लुएंसर कैरियर शुरू किया. उस का यूट्यूब चैनल हास्य रेखाचित्रों और वैब शो के साथ लोगों का मनोरंजन करने के लिए समर्पित है. अपने प्लेटफौर्म पर लगातार घटिया कंटैंट पोस्ट करने की बदौलत चैनल के सब्सक्राइबर्स की संख्या साढ़े 14 लाख, इंस्टाग्राम पर लगभग 16 लाख फौलोअर्स हैं. एल्विश ने अपने दर्शकों को ‘बिग बौस’ में अपनी एंट्री की जानकारी देने के लिए एक रील बनाई थी, जिस में कहा था, ‘तो अब समय आ गया है घर का सिस्टम चेंज करने का तो तुम्हारा भाई… मैं आ रहा हूं घर के अंदर का सिस्टम हैंग करने और सब को बैंग करने. तो आप लोगों से वहां मिलते हैं.’
लवकेश कटारिया
एल्विश का खास दोस्त लवकेश कटारिया उर्फ लवकेश उस से कम नहीं है. ओटीटी के बिग बौस 3 में नजर आ चुका 28 सितंबर, 1998 को गुरुग्राम, हरियाणा में जन्मा 26 वर्षीय लव कटारिया उर्फ लवकेश भी इन्फ्लुएंसर है. समझ नहीं आता इन्हें इन्फ्लुएंसर कहा ही क्यों जाता है. वह बिग बौस ओटीटी 2 के विजेता एल्विश यादव का करीबी दोस्त है. खुद को सोशल मीडिया सनसनी के रूप में स्थापित करने के अलावा वह मटका भारी (अंजलि अरोड़ा के साथ) और वेहेम सहित विभिन्न संगीत वीडियो भी कर चुका है. वह खुद को ‘करप्ट ट्यूबर’ भी बुलाता है. वह गरूर में किसी को भी मारने या खरीद लेने के दावे करता है. ‘बिग बौस’ में उस की अकड़, पैसों का घमंड सहित वह सबकुछ नजर आया जो कि गुरुग्राम के अचानक अमीर हुए बिगडै़ल युवकों में नजर आता है. इंस्टाग्राम पर 3 लाख और यूट्यूब पर महज 4 हजार फौलोअर्स हैं.
चंद्रिका दीक्षित उर्फ वड़ा पाव गर्ल
दिल्ली की ‘वड़ा पाव’ गर्ल के नाम से मशहूर चंद्रिका अपने स्टोल के वायरल वीडियो की बदौलत मशहूर हुई. सोशल मीडिया पर फुटपाथ पर रेहड़ी लगाने को ले कर नगर प्रशासन से उस के ?ागड़े ने उसे वायरल कर दिया. वह शो की पहली कन्फर्म प्रतियोगी थी.
सना सुल्तान
मुंबई के एक मुसलिम परिवार में जन्मी व पलीबढ़ी सना सुल्तान टिकटौक बनातेबनाते इन्फ्लुएंसर बन बैठी हैं. उन के इंस्टाग्राम पर 66 लाख, जोश ऐप पर 25 लाख और फेसबुक पर 4 लाख फौलोअर्स हैं.
विशाल पांडे
सोशल मीडिया पर 9 लाख फौलोअर्स के साथ ही खुद को ‘टीन तिगड़ा’ कहलाने का शौक रखने वाले विशाल पांडे सोशल मीडिया के साथ ही म्यूजिक वीडियो में छाए रहते हैं.
2022 में ‘इन्फ्लुएंसर्स औफ द ईयर’ का अवार्ड जीत चुकीं बिहार की मनीषा रानी भी खुद को अनुभवी यूट्यूबर और इंस्टाग्रामर मानती हैं. बिग बौस ओटीटी में रहते हुए उन्होंने ‘ब्रैंड एम्पावर इंडस्ट्री लीडर्स अवार्ड 2023’ में ‘रिऐलिटी शो ‘एंटरटेनर औफ द ईयर’ की श्रेणी में एक पुरस्कार भी जीता पर ‘बिग बौस’ में वे विजेता न बन पाईं.
अभिषेक मल्हान उर्फ फुकरा इंसान
अभिषेक मल्हान एक अन्य कंटैंट क्रिएटर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर है, जिस के यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर लाखों में फौलोअर्स हैं. अभिषेक मल्हान को उस के अच्छे स्वभाव के लिए पसंद किया गया. वह ‘बिग बौस’ का रनरअप रहा और एल्विश से हारा.
पुनीत सुपरस्टार
इंस्टाग्राम पर 30 लाख से अधिक फौलोअर्स के साथ इंटरनैट की दुनिया में ‘लौर्ड पुनीत’ के नाम से भी जाने जाने वाला सुपरस्टार पुनीत मजाकिया वीडियो बनाने में माहिर है पर यह घर के अंदर अपने दुर्व्यवहार के कारण 24 घंटे के भीतर ही शो से बाहर हो गया था. उसे कैमरे पर चिल्लाने और अपने चेहरे पर फ्लोर क्लीनर, मिर्च पाउडर और टूथपेस्ट सहित विभिन्न चीजें लगाने के लिए जाना जाता है. अब इस से दर्शक क्या सीखेंगे, यह तो वही जाने पर ‘बिग बौस’ के निर्माता व चैनल की नजरों में यह आइडियल है.
फालतू इन्फ्लुएंसर्स हैं ‘बिग बौस’ के भस्मासुर
‘बिग बौस’ पर जिन बदतमीज, फालतू, नौटंकीबाज, अति गुस्सैल इन्फ्लुएंसर्स को ‘आइडियल’ रूप में पेश किया गया उन से हम ने कुछ परिचय करा दिया. ज्यादा जानना चाहते हैं तो इन के इंस्टाग्राम पर जा कर देख लें कि ये किस तरह की बकवास करते हैं, किस तरह मारामारी की बातें करते हैं.
‘बिग बौस’ में इन्हें आइडियलाइज करने के लिए पूरी तरह से मार्केटिंग और पीआर टीम दोषी हैं. सब से पहले पीआरओ ने इन इन्फ्लुएंसर्स को फिल्म की प्रैस कौन्फ्रैंस में बुलाना शुरू किया. पीआरओ ने ही अपने चहेते इन्फ्लुएंसर्स को ‘बिग बौस’ में भिजवाया पर एक दिन ये इन्फ्लुएंसर्स ‘बिग बौस’ के निर्माता व ओटीटी के लिए भस्मासुर साबित होंगे. आखिर आप गलत लोगों को आदर्श के रूप में पोषित करेंगे तो खमियाजा आप भी भुगतेंगे.
अभी हाल ही में फिल्म ‘खेल खेल में’ का गाना रिलीज कार्यक्रम था, जहां मीडिया यानी कि पत्रकारों को ही होना चाहिए था. मगर पीआरओ ने कुछ इन्फ्लुएंसर्स को बुलाया था. पहले तो इन इन्फ्लुएंसर्स के इंतजार में कार्यक्रम कुछ देर में शुरू हुआ. गाना रिलीज होने के बाद एक महिला इन्फ्लुएंसर सीधे स्टेज पर पहुंच गई और अभिनेत्री तापसी पन्नू से कुछ कहे बिना उन के साथ सैल्फी खींचने लगी. तापसी ने टोक दिया.
इतना सुनते ही वह इन्फ्लुएंसर आगबबूला हो गई. चिल्लाते हुए उस ने कहा कि, ‘आप मना कैसे कर सकती हैं, पीआरओ ने हमें आप के साथ रील बनाने, गाने पर रील बनाने और आप के साथ सैल्फी खींचने तथा आप के इस गाने का प्रचार करने के लिए बुलाया है.’
आखिरकार, यहां भी सुरक्षाकर्मियों को ही हस्तक्षेप करना पड़ा. उस के बाद लगातार 4 दिनों तक उस इन्फ्लुएंसर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर जम कर उस की आलोचना की. उस ने यह अपने सभी फौलोअर्स का अपमान तक बता डाला.
तो धीरेधीरे ये फालतू के इन्फ्लुएंसर्स फिल्म वालों के लिए भी ‘भस्मासुर’ ही बनते जा रहे हैं. एक दिन ‘बिग बौस’ के लिए भी इन्फ्लुएंसर्स ‘भस्मासुर’ ही साबित होंगे.