रामदेव योग से सभी तरह की बीमारियों का इलाज करने का दावा करते हैं. इस के बावजूद वे आयुर्वेदिक दवाइयों के उत्पाद का भी काम करते हैं. उन की हरिद्वार स्थित फार्मेसी कुछ समय पहले चर्चा का विषय बन चुकी है, जब कम्युनिस्ट नेता वृंदा करात ने उन की फार्मेसी की दवाओं में हड्डियों व मानव अंगों के मिश्रण का दोषारोपण किया था. यदि योग सर्वरोग औषध है, सब बीमारियां इस से ही दूर हो जाती हैं तो फिर आयुर्वेदिक औषधियों का तो कोई औचित्य ही नहीं. फिर भी इन औषधियों को बनाना, उन को बनाने में आधुनिक मशीनों का प्रयोग करना और विभिन्न रोगों के लिए मरीजों को दवाएं देना आदि योग के दावों की पोल ही खोलता है.
अब अपनी दवाइयों के बाजार को चमकाने के लिए रामदेव के योग ट्रस्ट व पीठ ने नया दावा किया है कि उस ने संजीवनी बूटी ढूंढ़ ली है. संजीवनी के बारे में जनमानस में कई तरह की बातें घर किए हुए हैं. लोग समझते हैं कि इस से मरा हुआ व्यक्ति जीवित हो जाता है. रामदेव ट्रस्ट के आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि इस में 4 बूटियों के गुण हैं अर्थात यह फोर-इन-वन है. इस में मृत संजीवनी (बेहोशी दूर करने वाली), विशल्यकरणी (घाव ठीक करने वाली), सुवर्णकरणी (शरीर में पहले सी रंगत लाने वाली) और संधानी (टूटी हड्डी को जोड़ने वाली) आदि गुण हैं. ये सारी बातें, ये सारे दावे, सरासर गलत और तथ्यों के विपरीत हैं. संजीवनी से कभी कोई मुर्दा जिंदा नहीं हुआ. रामायण में कहानी आती है कि जब युद्ध में राम, लक्ष्मण और वानरसेना बेहोश हो गई, तब सुग्रीव, नील, अंगद आदि को कुछ सूझ नहीं रहा था. ऐसे में विभीषण ने उन से कहा कि ये लोग केवल मूर्च्छित हैं, मरे नहीं हैं, अत: घबराने की जरूरत नहीं है.
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