सिलाईकढ़ाई में रुचि होने के कारण रीना ने इस में डिप्लोमा कर लिया. शादी के कुछ समय बाद तक वह शौक से यह कार्य करती रही, लेकिन जब एक के बाद एक 3 बेटियां पैदा हो गईं तो उस का पूरा वक्त उन की परवरिश में ही बीतने लगा. वर्ष दर वर्ष सरकते गए और फिर तीनों बेटियों का विवाह कर के रीना जिम्मेदारी से मुक्त हो गई. अब उसे महसूस हुआ, उस के पास काफी वक्त है, कुछ रचनात्मक कार्य किया जाए. तभी खयाल आया कि उस के पास तो सिलाईकढ़ाई का अनुभव और डिप्लोमा भी है, क्यों न बुटीक शुरू कर लिया जाए?
सभी पक्षों पर सोचविचार के बाद उस ने अपना बुटीक शुरू कर दिया. महल्ले की महिलाओं को पता लगते ही उस के पस अच्छीखासी भीड़ जमा होने लगी. आज वह सफलतापूर्वक बुटीक चला रही है. 50 की उम्र पार कर के अब वह स्वयं तो कपड़े नहीं सीती बल्कि एक कुशल दरजी रख लिया है तथा कढ़ाई के लिए कारीगर. बुटीक चलाने के लिए कुछ जरूरी निर्देश रीना ने अपने अनुभव के आधार पर दिए:
1. बेशक आप के पास फैशन डिजाइनिंग की डिगरी न हो, लेकिन सिलाईकढ़ाई का ज्ञान आवश्यक है. अगर आप की सोच में सृजनात्मकता है तो आप अपनी सोच से नएनए प्रयोग कर सकती हैं.
2. अपने ग्राहकों को हर संभव संतुष्ट रखने का प्रयास करें. आखिर आप की प्रसिद्धि का आधार ग्राहक ही तो हैं.
3. ग्राहकों से मृदु व्यवहार रखें. उन्हें बारबार चक्कर न लगवाएं. जिस दिन ड्रैस तैयार होने की उम्मीद हो उसी दिन उन्हें बुलाएं. बेवजह दूसरों का वक्त व पैसा बरबाद करने की प्रवृत्ति वाले अधिक दिन तक अच्छी छवि बना कर नहीं रख सकते.