कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लौकडाउन के चलते तकरीबन पूरी दुनिया के इंसान घरों में कैद की सी हालत में हैं. कर्मचारी वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. औफिसों के बौस अपने अधिकारियों व कर्मचारियों से वीडियो कौन्फ्रैंसिंग के जरिए जुड़ते हैं, रणनीति पर चर्चा करते हैं और दिशानिर्देश देते हैं.

स्टाफ के घर से ड्यूटी करने के चलते वीडियो कौन्फ्रैंसिंग ऐप की डिमांड बहुत बढ़ गई है. इस बाबत सभी देशों के ज्यादातर संस्थान ज़ूम ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज़ूम ऐप भारत में सबसे ज्यादा बार डाउनलोड किया जाने वाला ऐप बन गया है.

लेकिन, ज़ूम ऐप पर प्राइवेसी को लेकर आजकल कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं. ऐप की प्राइवेसी और सिक्योरिटी में कई खामियां देखी गई हैं. ब्लीपिंग कंम्पयूटर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक तो पांच लाख से ज्यादा ज़ूम अकाउंट्स को हैक कर डार्कवैब पर बेचा जा रहा है.

ये कोई आरोप नहीं हैं. ज़ूम के सीईओ एरिक एस. युआन ने स्वीकार करते हुए कहा है, "हमने कुछ गलतियां की थीं लेकिन हमने इससे सीख ले ली है और अब हम प्राइवेसी और सिक्योरिटी पर ध्यान दे रहे हैं". वे आगे कहते हैं, "यह एक कौमन वैब सर्विस है जिसकी मदद से कंज्यूमर को टारगेट किया जा रहा है."

इसी बीच, भारत के गृह मंत्रालय ने साफ ऐलान कर दिया है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप ज़ूम सेफ नहीं है. कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) की ओर से ज़ूम ऐप को लेकर आगाह किए जाने के बाद सरकार ने एडवाइजरी जारी की है. सीईआरटी भारत की राष्ट्रीय साइबर सिक्योरिटी एजेंसी है.

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