सुप्रीम कोेर्ट ने एक बहुत महत्त्वपूर्ण फैसले में मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार के बनाए गए कानून ‘प्रोटैक्शन औफ चिल्ड्रन फ्रौम सैक्सुअल औफैंस ऐक्ट 2012’ (पोस्को ऐक्ट) के अंतर्गत अपनी व्याख्या दी है कि कानून के अनुसार न केवल चाइल्ड प्रोर्नोग्राफी तैयार करना गुनाह है, उसे फोन या कंप्यूटर पर रखना या देखना भी गुनाह है.
पोस्को ऐक्ट की धाराओं को बहुत ढीली मान कर चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बिलकुल बंद कर देने की कोशिश में सुप्रीम कोर्ट की यह 200 पेज की व्याख्या एक तरह से कानून को सख्ती से लागू करने की कोशिश है.
चाइल्ड पोर्न दुनियाभर में समाजों, सरकारों और बच्चों की सुरक्षा में लगे लोगों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है. करोड़ों लोगों को सैक्स में जोकि बच्चों के साथ करने या उन के साथ होते हुए सैक्स देखने में मिलती है, वह बहुत गंदी होते हुए भी बड़ी कीमती है. लाखों बच्चों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी में लगाया हुआ है और चाइल्ड प्रौस्टिट्यूट चाहे लड़का हो या लड़की, बड़े महंगे दामों में मिलते हैं.
कैथोलिक चर्च हर साल अरबों डौलर उन बच्चों के मातापिताओं को मुआवजे में देता है जिन का ईसाई स्कूलों में ईसाईयन का चोगा पहने प्रीस्ट सैक्सुअल ऐब्यूज करते हैं.
एक पूरा बड़ा बाजार चाइल्ड ट्रैफिकिंग का है जिस मेें दुनियाभर से मासूम बच्चे उठाए जाते हैं और उन्हें सैक्सुअल हवस पूरी करने के लिए इस धंधे में मारपीट कर धकेल दिया जाता है. इन बच्चों को यह भी नहीं मालूम होने दिया जाता कि उन्हें कहां से उठाया गया और कहां ले आया गया.
इस की मांग इतनी ज्यादा है कि इस के धंधों में जोखिम चाहे हों पर मोटा मुनाफा है. मद्रास हाई कोर्ट ने कुछ समय पहले कहा था कि बच्चों को ले कर सैक्सुअल फिल्म बनाना या बेचना अपराध है पर सिर्फ अपने देखने के लिए, अपने मोबाइल में रखने पर कोई गुनाह नहीं बनता. सुप्रीम कोर्ट ने नए फैसले में चाइल्ड पोर्नाेग्राफी डार्क वैब से डाउनलोड कर के अपने मोबाइल पर रखना भी गुनाह मान लिया है.
चाइल्ड पोर्न बनेगा तब ही जब लोग इसे खरीदेंगे और मोबाइल पर रखेंगे. चाइल्ड प्रौस्टिट्यूशन तो हर समय अवैध रहा है और उस पर कोई विवाद भी नहीं है. थोड़ा डाउट इस बात पर था कि अगर किसी और ने फिल्माया है, किसी और देश में बनाया है और फिर डार्क वैब के जरीए बांध या बेचा तो भारत का निवासी क्या इस को खरीदने पर या मोबाइल में रखने का गुनाह करता है? सुप्रीम कोर्ट ने इसे साफ किया है कि मनमोहन सिंह सरकार के बनाए गए इस कानून में यह गुनाह है.
यह फैसला चाइल्ड ऐब्यूज को खत्म कर देगा, यह असंभव है. सैक्सुअल भूख इस कदर होती है कि लोग न केवल कानूनों और सजाओं की परवाह किए मासूमों के साथ अनाचार करते हैं, अब फिल्म भी बना लेते हैं क्योंकि यह बहुत आसान है. एक बड़े के सामने एक बच्चा असहाय है और उसे मालूम नहीं होता कि उस के साथ क्या हो रहा है. कई बार बच्चों को तो यही कह कर शैतान मुंह बंद कर देते हैं कि शोर मचाया तो उस के मांबाप या भाईबहन को मार डालेंगे.
अकसर मांओं को जब अपने बच्चों के साथ हुए ऐब्यूज के बारे में पता चलता है तो वे अपना मुंह भी बंद कर लेती हैं क्योंकि समाज मांओं और बच्चों को भी दोषी मानना शुरू कर देता है और शिकार बच्चा सब के मजाक का निशाना बन जाता है. हमारा समाज ऐसे मामलों में बहुत जालिम है और बच्चे को छेड़ने में मजा लेता है. कई बार तो बच्चे को ही दोषी मान लिया जाता है कि उस ने ही खुद को किसी लालच में हवाले कर दिया होगा.
कानून की व्याख्या ऐसे लोगों पर कोई असर नहीं करती. मांबाप शर्मिंदा होते हैं, भाईबहन अपने ही घर में शिकार के साथ बुरी तरह पेश आते हैं. सुप्रीम कोर्ट चाहे कानून की जो भी व्याख्या करे, इस तरह के मामले को अदालतों में वे पुलिस वाले ही ले जाएंगे जो थानों में गालियों से बात करते हैं और गुनहगार व शिकायत करने वाले से एक से पेश आते हैं चाहे वह एडल्ट हो या चाइल्ड.
अदालतों के पास गवाहों के बयान सुनने के अलावा कोई तरीका नहीं है और ऐब्यूज के शिकार को दसियों लोगों को बताना ही होगा कि उस के साथ क्याक्या, कब और कैसे हुआ. वह हर बार उन पलों को फिर जीने को मजबूर होगा जिन्हें वह भूल जाना चाहता है.
भारत के बाजार में चाहे चाइल्ड पोर्नोग्राफी इस फैसले से कम बिके पर दुनियाभर में चलेगी. भारत में जो बनाते थे वे भारत में नहीं तो दुनियाभर में बेचते रहेंगे, इसे रोकना मुश्किल होगा.