इंग्लैंड ने एक नया कानून बनाया है कि मातापिता बंद गाड़ी में सिगरेट नहीं पी सकते, अगर गाड़ी में 18 साल से कम के बच्चे हैं, क्योंकि धुएं और निकोटिन का जहर बच्चों के स्वास्थ्य को खराब करता है. यह एक सही कदम है. एक वयस्क को पूरा हक है कि वह अपने साथ क्या करे. कई वयस्क मिल कर बंद कमरे या हौल में चाहे जो करें, इस की स्वतंत्रता होनी चाहिए. बात एक ही है कि वे दूसरों को न तो नुकसान पहुंचाएं और न ही नुकसान पहुंचाने का डर पैदा करें. सिगरेट पीते वयस्कों का अधिकार केवल तब तक है जब तक वे अपना धुआं अपने पास रख सकते हैं. अगर वे धुएं से घर की चारदीवारी में भी पत्नी या बच्चों को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो इस पर प्रतिबंध लगाना किसी तरह भी गलत नहीं हो सकता. शराब और सिगरेट का उत्पादन करने वाले कभी इन को अकेलेपन से नहीं जोड़ते. उन का प्रचार हमेशा ग्रुप या जोड़ों में रहता है. सिगरेट का जब तक जम कर प्रचार होता था, इस के विज्ञापनों में सिगरेट को दोस्तों में मजबूती लाने के लिए एक अनूठा तरीका बताया जाता था. आजकल सिगरेट का प्रचार बंद है पर इसे फिर भी स्टाइल और सुकून से जोड़ा जाता है ताकि यह भ्रम फैला रहे कि टैंशन में सिगरेट काम की चीज है.
गाडि़यों में शीशे खोल कर सिगरेट पीने वाले अगर यह सोचते हैं कि वे अपना धुआं गाड़ी में बैठे दूसरों पर नहीं छोड़ रहे तो गलत है. यह धुआं तो सब को सहन करना पड़ता है और बच्चे अगर इस का विरोध खुद नहीं कर सकते तो सरकारों का काम है कि इस का विरोध करें, इसे अवैध घोषित करें. सिगरेट और शराब का नशा दिनबदिन बढ़ रहा है तो इसलिए कि सरकारों की इन से जम कर कमाई होती है. इन पर भारी कर है पर कंपनियां जानती हैं कि कर से बच कर या कर दे कर भी कैसे मोटा मुनाफा कमाया जाए और इसीलिए उन के शिकारों की गिनती बढ़ती जा रही है. इंगलैंड जैसा प्रतिबंध भारत में भी लागू होना चाहिए ताकि बच्चे सिगरेट पीने वाले वयस्कों की जबरदस्ती का शिकार न हों.
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