बिहार में सरकारी स्कूलों और कालेजों में पढ़ाईलिखाई की बदहाली के चलते कोचिंग की अमरबेल बखूबी पनप चुकी है.दरअसल, कोचिंग के पनपने के पीछे सरकारी शिक्षा को साजिश के तहत पंगु बनाए रखना है. पटना विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफैसर जगन्नाथ प्रसाद कहते हैं कि अगर सरकारी स्कूलों और कालेजों में अच्छी पढ़ाई होती, तो कोचिंग इंस्टिट्यूट कभी न पनपते. सरकारी स्कूलों और कालेजों के टीचर मोटा वेतन पाने के बावजूद पढ़ाई को ले कर लापरवाह बने रहते हैं. वही टीचर प्राइवेट कोचिंग सैंटरों में जा कर पूरी तल्लीनता से पढ़ाते हैं. ज्यादातर सरकारी टीचर तो अपने घर पर ही कोचिंग सैंटर चलाते हैं और मोटी कमाई करते हैं. सरकारी टीचर जितना मन लगा कर बच्चों को कोचिंग सैंटरों में पढ़ाते हैं अगर उस का 50 फीसदी भी सरकारी स्कूलों और कालेजों के बच्चों को पढ़ा दें तो उन्हें अलग से कोचिंग की जरूरत ही न पड़े.

सूबे में सरकार हर साल तालीम पर अरबों रुपए खर्च करती है. इस के बाद भी बच्चों को बेहतर पढ़ाई के लिए कोचिंग सैंटरों पर निर्भर रहना पड़ता है. बिहार में 2015-16 में पढ़ाईलिखाई पर करीब 22 हजार करोड़ खर्च किए गए. इस के अलावा केंद्र सरकार भी तालीम के नाम पर अलग से रुपए देती है. प्राथमिक शिक्षा के लिए 11 हजार करोड़, माध्यमिक शिक्षा पर 6 हजार करोड़, विश्वविद्यालयी शिक्षा पर 5 हजार करोड़ और प्रौढ़ शिक्षा पर 255 करोड़ खर्च किए गए. इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी सूबे में जितनी तेजी से शिक्षा की बदहाली बढ़ती जा रही है उस से कई गुना तेजी से शिक्षा का प्राइवेट बाजार फूलताफलता जा रहा है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 24 प्रिंट मैगजीन
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...