देशभर के व्यापारी ई कौमर्स के खिलाफ छोटेमोटे आंदोलन कर रहे हैं और सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि इन कंपनियों पर लगाम कसे. अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां धमाकेदार विज्ञापन कर के और अभी भी बहुत भारी नुकसान सह कर बाजार पर कब्जा करने की कोशिश में हैं कि खुदरा चीजें लोग स्मार्टफोन पर देख कर ही खरीद लें.
इन ई कौमर्स कंपनियों का दावा है कि ये सस्ती चीजें दिला रही हैं, क्योंकि उत्पादक और ग्राहकों के बीच की कई कडि़यां इन के खर्र्च घटाती हैं और साथ ही ग्राहक को घर बैठे सामान पाने की सुविधा दे रही हैं.आज की अकेली व्यस्त घरेलू या कामकाजी औरत के लिए खरीदारी आसान नहीं है, क्योंकि भागमभाग में उस के पास समय नहीं रहता कि वह दुकानों के धक्के खाए. उसे लगता है कि बड़ी ई कौमर्स कंपनियां ब्रैंडेड उत्पाद ही बेचती हैं और निकट के खुदरा व्यापारी की तरह लोकल बना सामान दे कर टरका नहीं देतीं. ई कौमर्स कंपनियां ग्राहक की शक्ल देख कर व्यापार नहीं करतीं. ग्राहक छोटा हो या बड़ा, उन के लिए सब बराबर हैं.
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ई कौमर्स कंपनियां ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह घरेलू बाजार पर कब्जा कर लेंगी उस में शक नहीं है पर सही बात यह है कि खुदरा किराने की व दूसरा सामान बेचने वाले दुकानदारों ने कभी ग्राहकों की चिंता नहीं की है. वे मोटा मुनाफा अपने पूंजी निवेश के बल पर कमाते रहे हैं. आम दुकानदार की सर्विस बहुत खराब है.
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