Couple Goals : सदियों से माना जाता रहा है कि पुरुष घर का मालिक होता है. वही कमा कर लाता है और घर चलाता है. स्त्री को हमेशा अपने पति के पीछे चलना चाहिए और उस की हर बात माननी चाहिए. स्त्री के लिए पति ही परमेश्वर है और उस का काम पति की सेवा करना है. इस तरह की तमाम बातें हमारे धर्मग्रंथों में लिखी हैं . पुरुष को महिला से ज्यादा कमाई करनी चाहिए यह भी पितृसत्तात्मक समाज का एक पुराना सामाजिक नियम सा रहा है.
पहले शादी के वक्त लड़के और लड़की की पढ़ाई पूछी जाती थी. अगर लड़की ज्यादा पढ़ी लिखी होती तो रिश्ता आगे नहीं बढ़ता था. अब ऐसा नहीं है. लड़का लड़की दोनों बराबर पढ़ रहे हैं और कमा रहे हैं. दरअसल ज्यादातर लोगों का मानना है कि महंगाई के इस जमाने में घर अच्छे से चलाने और बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए दोनों का कमाना जरूरी है.
यही वजह है कि हालात बदल रहे हैं. ज्यादातर क्षेत्रों में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. पुरुषों के बराबर काम कर रही हैं और उनके बराबर वेतन भी मांग रही हैं. फिल्मों में हीरो-हीरोइन की फीस के बीच का अंतर अक्सर चर्चा में रहता है. ये सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है. हर क्षेत्र में महिलाएं अपने काम के हिसाब से वेतन मांग रही हैं. यह महिलाओं के आत्मनिर्भर और स्वतंत्र जीवन के लिए मददगार है. लेकिन एक अध्ययन के मुताबिक इसका असर वैवाहिक जीवन पर पड़ रहा है.
पत्नी का ज्यादा कमाना रिश्तों में ला देता है खटास
स्वीडन में हुए एक अध्ययन के मुताबिक रिश्ते को मजबूत बनाने में सैलरी भी अहम भूमिका निभाती है. पाया गया कि पति से ज्यादा कमाने वाली पत्नियों की संख्या दुनिया भर में बढ़ रही है. अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों में अध्ययन करने वाली टीम ने पाया कि इसका मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. 2000 के दशक से पति से ज्यादा कमाने वाली पत्नियों की संख्या में 25% की बढ़ोतरी हुई है. डरहम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने स्वीडन में रहने वाले विपरीत लिंगी जोड़ों पर अध्ययन किया . 2021 में शादी करने वाले जोड़ों पर ध्यान केंद्रित किया गया. औसतन 37 साल के जोड़ों पर 10 साल तक अध्ययन चला. पाया गया कि जब पत्नी अपने पति से ज्यादा कमाती है तो दोनों पार्टनर खासकर पति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं.
नतीजा यह होता है कि पत्नी से कम कमाने वाले पति नशे से जुड़ी बीमारियों का शिकार ज़्यादा होते हैं. उन के अंदर आत्मविश्वास की कमी होने लगती है. वहीं पत्नी भी तनाव में रहती है. वैसे तो आम जीवन में कमाई और मानसिक स्वास्थ्य के बीच सकारात्मक संबंध होता है. कमाई बढ़ने पर मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है. ज्यादा पैसा आने से जीवनशैली बेहतर होती है. इससे रोज़मर्रा की ज़िंदगी आसान हो जाती है. लेकिन जब सिर्फ पत्नी की कमाई को देखा जाता है तो यह नकारात्मक हो जाता है और पुरुष के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ता है. यह सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि पुरुषों की ताकत पर भी असर डालता है. जब पत्नी उनसे ज्यादा कमाने लगती है तो पुरुष मन से थकने लगते हैं. उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है. असुरक्षा की भावना उन्हें नशे की ओर धकेलती है. ऐसी महिलाओं के दिल पर क्या बीतती होगी जिन का वेतन अपने जीवनसाथी से अधिक होता है और वे अपने घर के अच्छी आर्थिक के लिए जिम्मेदार होती हैं. लेकिन ख़ुशी मनाने और इसका फायदा उठाने के बजाय उनके जीवनसाथी को इस स्थिति में रहने और खुद को संभालने में कठिनाई होने लगती है.
क्यों होता है ऐसा
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोगों के अनुसार `कमाई सिर्फ पैसों की बात नहीं है बल्कि यह रिश्तों में ताकत की बात भी है. जब पत्नी ज्यादा कमाती है तो पति को लगता है कि उसकी अहमियत कम हो गई है या उसका आत्मविश्वास कम हो गया है. पति को लगता है कि उनकी पत्नी किसी भी समय उनसे अलग हो सकती है क्योंकि वे अब उनके लिए “अपरिहार्य” नहीं हैं. इसी वजह से वे नशीली चीजों का सहारा लेने लगते हैं. अब ऐसा नहीं है कि सिर्फ पुरुष ही परेशान रहते हैं महिलाएं भी परेशान रहती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पति उनका उतना साथ नहीं दे रहे हैं जितना देना चाहिए. कहीं न कहीं यह सब पुरानी सोच की वजह से होता है जहां पितृसत्तात्मक मानसिकता की परछाई देखने को मिलती है.
एक और हालिया स्टडी में पति पत्नी की कमाई और तनाव का कनेक्शन सामने आया है. स्टडी के अनुसार अगर पत्नी घर की कुल आमदनी का 40 प्रतिशत से ज्यादा कमाती है तो पति तनाव में रहता है.
करीब 6 हजार अमेरिकी कपल्स पर किए गए इस रिसर्च में पाया गया कि पुरुष सबसे ज्यादा परेशान तब होते हैं जब वे घर का खर्च अकेला कमा कर चलाते हैं. अगर पत्नी भी घर खर्च का 40 प्रतिशत तक कमाती है तब पुरुष संतुष्ट होते हैं. वहीं अगर पत्नी की आमदनी घर खर्च के 40 प्रतिशत से ज्यादा हो जाए तो पति तनाव में रहने लगता है. इससे यह साफ है कि पुरुषों के घर खर्च कमाने की पारंपरिक सोच किस तरह से उनकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. रिसर्चर्स का कहना है कि लगातार तनाव की वजह से कई और समस्याएं भी सामने आ सकती हैं. मेंटल हेल्थ का असर पुरुषों की सेहत और उनकी सोशल लाइफ पर भी पड़ता है.
सितंबर 2024 में प्रकाशित एक आईएनईडी अध्ययन से यह पता चलता है कि एक महिला जितनी अधिक अमीर होती जाती है उतना ही रोमांटिक रिश्ता कमजोर होता जाता है और वह अपनी भावनात्मक पूंजी खो देती है. उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के लिए प्रति माह 3,000 यूरो की तुलना में 2,000 यूरो कमाता है तो अलगाव का जोखिम 40% बढ़ जाता है.
मेल ईगो होता है हर्ट
दरअसल पुरुष अपने ईगो की वजह से यह बात सह ही नहीं पाते कि उनकी पत्नी उन से ज्यादा कमा रही है. अपनी पत्नी से कम वेतन पाना एक पुरुष को सबसे बड़ा अपमान लगता है. उन्हें लगता है कि पत्नी अब उन का सम्मान नहीं करेगी. दोस्तों और रिश्तेदारों की बातें भी उन्हें चुभने लगती है. उन्हें ताने मिलने लगते हैं. वे खुद को जिंदगी की दौड़ में हारा हुआ महसूस करने लगते हैं क्योंकि बचपन से उन के पुरुषवादी अहम् को तुष्ट किया जाता रहा है. अब जब पत्नी आगे बढ़ती है तो उन को अपनी मर्दानगी में कमी लगने लगती है. उन के ईगो और पितृसत्तात्मक सामाजिक सोच पर चोट लगती है. वे तिलमिला उठते हैं. यह ऐसा है मानो उनकी मर्दानगी उनके बैंक खाते और हर महीने लाए गए पैसे से मापी जाती है. जब महिलाएं पर्स की डोर पकड़ती हैं और खाते में अधिक पैसे डालती हैं तो ऐसे लोगों को अपनी मर्दानगी पर हमला महसूस होता है. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि समाज ने हमेशा उन्हें घर के मालिक की भूमिका निभाने का आदी बनाया है. ऐसे में जाहिर है जैसे ही एक महिला पति से ज्यादा अमीर बन जाती है पुरुषों का अहंकार प्रभावित होता है.
आज जब घरों में एक दो बच्चे होते हैं और मां बाप बेटियों को भी पूरी लगन से पढ़ाते हैं तो भला बेटियां अच्छी जगह जौब कर के अच्छी कमाई क्यों न करें? जब वे काबिल हैं और सक्षम भी हैं तो अपनी योग्यता के हिसाब से ऊँचे ओहदे तक क्यों न पहुंचे ? उस ने भी पढ़ाई की है , वह भी अपनी जिम्मेदारियां समझती है, उसे भी अपना वजूद साबित करना है , उसे भी नए मुकाम ढूंढने हैं. आखिर औरत को घर गृहस्थी और बच्चों की परवरिश तक सीमित रखने की साजिश कब तक होती रहेगी? आखिर एक महिला बॉस को पूरी रिस्पेक्ट देने में पुरुषों का जी क्यों जलता है? औरत के आदेशों को मानने में उन का पुरुषत्व क्यों चोट खाता है?
जरूरी है समाज की सोच बदली जाए. लड़कों को जो बचपन से बहनों का रक्षक और सब से इम्पोर्टेन्ट बना कर रखा जाता है उसे बदलना होगा. लड़कों को भी गलती होने पर डांटना होगा. उसे भी बहन या पत्नी को सॉरी कहना सीखना होगा. उसे भी बचपन से अपने काम खुद करने की आदत लगवानी होगी. लड़के कोई सुपर पावर नहीं जो उन्हें बैठे बिठाए राज गद्दी दे दी जाए. आज संपत्ति हो या और किसी भी तरह का अधिकार कानून ने स्त्री पुरुष को समान अधिकार दिए हैं. अगर कानून समान अधिकार दे सकता है तो समाज क्यों नहीं? घर परिवार में लड़के लड़कियों के बीच भेदभाव की दीवार क्यों खींची जाती है? पति को अपनी पत्नी को मारने पीटने का हक़ क्यों दिया जाता है? बचपन से इन सब पर रोक लगानी होगी और बेटे एवं बेटी को समान माहौल में परवरिश देनी होगी. तभी इस समस्या का समाधान निकल पाएगा और स्त्रियां आसमान छूने का सपना पूरा कर पाएंगी.