2000 में साउथ अफ्रीका और इंगलैंड के बीच खेले जा रहे मैच में हैंसी क्रोनिए ने 5 दिन के टैस्ट मैच में 5वें दिन पहली इनिंग लंचटाइम में डिक्लेयर कर दी और इंगलैंड ने बाकी समय में मैच 2 विकेट से जीत लिया. उस समय यह खेल भावना वाला निर्णय माना गया, जिस में हैंसी ने 5 दिन में से बारिश से खोए 2 दिनों के बाद अंतिम घंटों में जान डाली थी.

बाद में पता चला कि खेल भावना तो कोरी दिखावेबाजी थी. असल में यह फिक्सिंग थी, जिस में भारतीय मूल के संजीव चावला का दखल था, जो लंदन में रहता था. दिल्ली पुलिस को दिए बयान में संजीव चावला ने कहा है कि हर क्रिकेट मैच जिस का प्रसारण होता है, फिक्स होता है. उस का कहना है खिलाड़ी तो ऐक्टर होते हैं, जो किसी डायरेक्टर के कहने पर गेंद फेंकते हैं, बल्ला घुमाते हैं, फील्डिंग करते हैं.

क्रिकेट में इतना पैसा इसलिए नहीं है कि यह रोमांचक खेल है. यह पैसा तो सट्टेबाजों की मेहरबानी है, जो अरबों खर्च करते हैं ताकि उन के गुरगे उन के इशारों पर लड़ सकें. जनता इतना पैसा मैच देखने या उन के साथ चलने वाले विज्ञापनों पर खर्च नहीं करती जितना सट्टेबाजी में करती है, जिस का बड़ा हिस्सा छिपी ताकतों के हाथों में जाता है और कुछ ही आम खिलाडि़यों को मिलता है.

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हां, जो कुछ भी आम खिलाड़ी को मिलता है वह उस के लिए काफी होता है, जिस में वह ऐश की जिंदगी जी सकता है.

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