जल्लीकट्टू खेल का यह नाम सल्ली कासू से बना है. सल्ली का मतलब सिक्का और कासू का मतलब सींगों में बंधा हुआ. सींगों में बंधे सिक्कों को हासिल करना इस खेल का मकसद होता है. धीरे-धीरे सल्लीकासू का नाम जल्लीकट्टू हो गया.
इस खेल से जुड़ी एक रोचक बात यह भी सुनी जाती है कि खेल के दौरान जो मर्द बंधन खोल देता था, उस को शादी के लिए दुलहन मिलती थी. लेकिन, अब यह प्रचलन में नहीं है. जल्लीकट्टू की परंपरा कई सालों से चली आ रही है और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह खेल तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बड़ा लोकप्रिय है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि सांड को काबू में करने के लिए उस के साथ कू्ररता बरती जाती थी.
तमिलनाडु के रहने वाले कुतुबुद्दीन कहते हैं, ‘‘लेकिन क्या इस वजह से जल्लीकट्टू पर ही रोक लगा दी जाए? शायद कड़ाई से इतनाभर कहना काफी होता कि पशु के साथ हिंसा का बरताव नहीं होना चाहिए. जानवर को कोई नुकसान न पहुंचे, यह पक्का करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को निर्देश दिए जा सकते थे. इस से विवाद का दोनों पक्षों के लिए संतोषजनक हल निकलता, अदालत के फैसले और जनभावना के बीच टकराव नहीं होता.’’
चेन्नई के मरीना बीच पर लाखों लोग विरोधप्रदर्शन के लिए जुटे. रजनीकांत, ए आर रहमान, जग्गी वासुदेव जैसी फिल्मी हस्तियों समेत कई दूसरी शख्सीयतें इस आंदोलन को समर्थन देती दिखीं. मुंबई में भी लोग मानव श्रंखला बना कर जल्लीकट्टू के समर्थन में विरोधप्रदर्शन कर रहे थे.
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