लेखक- शम्भू शरण सत्यार्थी

अमेरिका के मिनीपोलिस शहर मे एक गोरे पुलिस अधिकारी द्वारा कस्टडी में काले रंग के जॉर्ज फ्लॉयड की गला दबाकर हत्या कर दी गई. जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ अमेरिकी स्थानीय लोगों ने जॉर्ज को इंसाफ दिलाने के लिए प्रदर्शन किया और धीरे ही धीरे यह प्रदर्शन हिंसा के रूप में बदल गया.

यूं तो कहने को आज रंगवादी भेदभाव और जातीय भेदभाव के मामलों का पूर्ण रूप से खात्मा हो गया है. किंतु सच तो यह है कि आज भी इस आधुनिक विश्व में जाती एवं चमड़ी के रंगो के आधार पर सामाजिक भेदभाव जिंदा है. वर्तमान में इसका जीता जागता उदाहरण अमेरिका मे तब सामने आया जब एक गोरे ऑफिसर द्वारा काली चमड़ी के जॉर्ज फ्लॉयड का गला दबाकर हत्या कर दिया गया. इस हत्या के बाद अमेरिका के मिनीपोलिस शहर के स्थानीय लोगों द्वारा घटना के विरोध में प्रदर्शन किया गया. देखते ही देखते यह प्रदर्शन पूरे अमेरिका में फैल गया.

क्या है रंग वादी भेदभाव और जातीय भेदभाव?

जैसे भारत में लोगों की ऊंची-नीची जातियों के आधार पर भेदभाव किया जाता है, दलितों को समाज के कई अधिकारों से वर्जित किया जाता है, उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर समझा जाता है और हर जगह स्वतंत्र रूप से आने-जाने की आजादी पर समाज के 10 से 12% सवर्णों द्वारा रोक लगाया जाता है,जातिय भेदभाव कहलाता हैं. ठीक उसी प्रकार अमेरिका की जनसंख्या का 50 से 55% हिस्सा गोरी चमड़ी वाले लोगो का है तो वही 15% काली चमड़ी वाले लोगो का. इन गोरी चमड़ी वाले लोगों द्वारा इतिहास काल से ही काली चमड़ी वाले लोगो पर दबदबा बना रहा है. आज भी कई जगह अमेरिका में लोगों के गोरे- काले के आधार पर उनके साथ अच्छा या बुरा सुलूक किया जाता है. गोरे नागरिकों द्वारा काली चमड़ी वालों को हीन भाव से देखा जाता है एवं उनके साथ गुलामो के तरह व्यवहार किया जाता है. हालांकि पहले से इसकी संख्या मे काफी कमी हुई है. किंतु अमेरिका में आज भी कुछ लोगों पर यह मामले खरे साबित होते हैं.ऐसा ही एक उदाहरण तब सामने आया जब काली चमड़ी वाले जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या एक गोरे पुलिस ऑफिसर द्वारा कर दी गई. और इस घटना ने आज अमेरिका में एक हिंसक प्रदर्शन को जन्म दिया.

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