वैशाली और रोहित की शादी 3 साल पहले ही हुई थी. वैशाली के पिता सेवानिवृत्त हो चुके थे जबकि वैशाली शादी के बाद भी नौकरी कर रही थी. वह चाहती थी कि अपनी पूरी तनख्वाह अपने मायके वालों को दे ताकि वहां का खर्च चल सके. पति और ससुराल वालों का कहना था कि उन्हें इस बात की आपत्ति नहीं है कि वह मायके को आर्थिक सहयोग क्यों कर रही है पर ससुराल की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, इसलिए वह आधी तनख्वाह ही अपने मायके वालों को दे.
मगर वैशाली ने एक न सुनी और अपनी सारी तनख्वाह मायके को देती रही. इस बात को लेकर पति और सासससुर से उस से कई बार विवाद भी हुआ. जब बात बढ़ी तो उस ने अपने पति और ससुराल वालों से कहा कि वह उन्हें दहेज मांगने और उस के लिए प्रताडि़त करने के झठे मामले में फंसा देगी. बेचारे ससुराल वाले चुप हो गए.
रोहित के पिता यानी वैशाली के ससुर भी इस बीच बीमार पड़ गए. उन के इलाज में काफी पैसा चाहिए था. इसलिए पति ने अपनी पत्नी को सख्त हिदायत दी कि वह आगे से अपनी तनख्वाह मायके न भेजे. उसे तैश आ गया और पुलिस में जा कर उस ने अपने पति और सासससुर के खिलाफ दहेज के लिए सताने, प्रताडि़त करने की रिपोर्ट लिखा दी. पुलिस उन्हें पकड़ कर ले गई. बड़ी मुश्किल से जमानत हुई.
सिक्के का दूसरा पहलू
तनू की शादी मनोज से हुई. शादी के समय लड़के वालों ने किसी तरह की कोई मांग नहीं रखी. लड़की वालों ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार जो कुछ किया, वह स्वीकार किया गया. शादी के बाद पता चला कि तनू के किसी लड़के के साथ पहले से ही प्रेम संबंध थे और आज भी वह उस से लुकछिप कर मिलती है.