आए दिन बलात्कार की घटनाएं हमें झंझोड़ कर रख देती हैं, पर हम इन्हें  रोकने के लिए कुछ कर नहीं पाते. सरकारे और पुलिस कुछ मेजर स्टैप्स लेने के बाद भी इन्हें घटने से रोक नहीं पा रही. जाहिर है सरकार को और भी सख्त कानून लाना होगा, साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी तगड़ी करनी होगी. सरकार के साथसाथ हम सब का दायित्व भी कम नहीं. टीवी चैनलों पर शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो, जिस में रेप की खबर न शामिल हुई हो. हमारे समाज की यह बहुत ही शर्मनाक स्थिति है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

स्थिति का सूक्ष्मता से अवलोकन करने पर बहुत कारण प्रकाश में आते हैं जैसे गूगल, यूट्यूब पर बेशुमार वल्गर वीडियोज, फिल्म, घटिया, विज्ञापन,्र गलत परवरिश, मर्दानगी साबित करने की बलवती इच्छा, बदला, दुश्मनी, जगहजगह नशे की दुकानें मौडर्न सोच दिख कर लडक़ों पर अंधा भरोसा करती लड़कियां, सार्वजनिक स्थलों पर उत्तेजक पहनावा, हावभाव दोहरे अर्थ वाले संवाद घटिनया सोच, घटती इंसानियत इत्यादि. एक और बहुत बड़ा और महत्त्वपूर्ण कारण है लडक़ों की मर्दानगी का मजाक उड़ाना या उन्हें उकसाना, जिस में कभी दोस्त, कभी रिश्तेदार तो कभी खुद लड़कियां शामिल होती हैं. ‘अरे यह तो मूंछों वाला बच्चा है’, ‘इस के तो अभी दूध के भी दांत नहीं टूटे’, ‘कहीं तीसरा जैंडर तो नहीं’, आदि. घृणित वाक्यों से लडक़ों की मर्दानगी को ठेस पहुंचते हैं जो उन के लिए असहनीय हो जाती हैं. इस से आहत हो कर वे अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए बलात्कार जैसा अनैतिक, घृणित कदम उठा लेते हैं.

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