पुरुषों की ही तरह महिलाओं को भी जीवन में आगे बढ़ना, विकास करना आकर्षित करता है. उन्हें भी सपने देखने व उन्हें हकीकत में बदलने का अधिकार है. वे भी घररूपी पिंजरे से बाहर निकल कर खुले आसमान में उड़ना और चहकना चाहती हैं. वे भी परिश्रम कर ऊंचाइयां छूना चाहती हैं. आज हर नारी का सफलता के आसमान में सूरज बन कर चमकने का अरमान है. ऐेसे में यह जरूरी है कि अपने परिवार, समाज में खुद के लिए सोचने व काम करने के लिए औरतों को पुरुषों के बराबर अवसर मिलें.
स्पर्धा व संघर्ष की रोक में औरत
आज सभी इस बात से अवगत हैं कि समाज में स्पर्धा का जोर है. जिसे देखो वही दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगा है. गुजराती लेखक हरींद्र दवे ने क्या खूब लिखा है:
‘‘एक रज सूरज बनने को बेचैन,
उदय में जा उड़े, पल भर में अस्त हो चले.’’
आज दुनिया कितनी भी आगे क्यों न निकल गई हो औरत को प्रोफैशनल लैवल पर कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. समाज, घरपरिवार में भी मानसिक सोच, विचार भेद, स्वतंत्रता बाबत बातें झेलनी पड़ती हैं. इतनी रुकावटों के बावजूद औरत मानसिक रूप से पुरुषों से कई गुना मजबूत व सशक्त होती है. वह किसी भी हालात से जूझना जानती है, अपने बूते समस्या का समाधान निकाल लेती है.
प्रस्तुत हैं, आज की औरत के व्यक्तित्व की 3 खूबियों पर एक सकारात्मक दृष्टिकोण:
बोल्डनैस
प्राचीनकाल से ही औरत को अबला व कमजोर समझा जाता रहा है, जबकि सचाई यह है कि वह प्राचीन समय से सशक्त व्यक्तित्व की स्वामिनी रही है और इस के कई उदाहरण हमारे इतिहास में मौजूद हैं. झांसी की रानी, कस्तूरबा गांधी, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू, विजया लक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली जैसी और न जाने कितनी महिलाएं समाज और महिलाओं के लिए मार्गदर्शक बनीं. इन का नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है.