पूरा वसुधा एक महामारी से लड़ाई में लड़ा है, वही इस लॉकडाउन के समय भारत सहित विश्व के कई देशों में घरेलू हिंसा में वृद्धि हुई है. घरों के अंदर ही महिलाये सुरक्षित नहीं है. लॉकडाउन में जारी क्वारंटाइन, आर्थिक तनाव, खाद्य असुरक्षा  के बीच घरेलू हिंसा या उत्पीड़न होने से महिलाओं पर बुरा असर पड़ रहा है . आइये जानते है आखिर विश्व की जननी महिलाये क्यों हो रही है उत्पीड़न का शिकार ...

1. 587 महिला अपराध मामले में 239 घरेलू हिंसा के मामले

हमारे देश में भी महिलाओं को लेकर कोई बेहतर खबर नहीं आ रही है . बीते सप्ताह ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने बताया कि 23 मार्च से 16 अप्रैल तक महिला अपराधों से जुड़ी 587 शिकायतें प्राप्त हुई हैं.जिनमें घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतें 239 हैं. जबकि 27 फरवरी से 22 मार्च तक आयोग को महिला अपराधों से जुड़ी 396 शिकायतें प्राप्त हुई थीं और इनमें से 123 शिकायतें घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं. यानी सामान्य समय के मुकाबले लॉकडाउन के पहले 25 दिन और बाद के 25 दिन में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों 182 मामले ज्यादा थे .जबकि घरेलू हिंसा के मामलों में यह बढ़त सौ से ज्यादा थी.

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2.  दिल्ली में महिला अपराध में गिरावट दर्ज किया गया है

दिल्ली में लॉक डाउन के दौरान महिलाओं से छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न व पीछा करने की शिकायतों में में भरी गिरावट पाया गया है. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है कि घरेलू हिंसा की शिकायतों के संबंध में हेल्पलाइन नंबर 181 के कॉल डेटा के अनुसार, दिल्ली महिला आयोग को 30 मार्च से 6 अप्रैल तक केवल 212 कॉल और 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक मात्र 171 कॉल मिली है. यह संख्या बहुत कम है. सामान्य दिनों में  दिल्ली महिला आयोग को घरेलू हिंसा के मामलों में हेल्पलाइन नंबर 181 पर रोजाना 1500 -1800 कॉल मिलते थे. यानि  लॉक डाउन के  दौरान  राजधानी में छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न व पीछा करने की शिकायतों में गिरावट आई है.

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