पूछा गया था कि लौकडाउन खत्म होने के बाद आप किस से मिलना चाहेंगी? तो अधिकतर महिलाओं ने कहा था कि कामवाली से. बेशक, क्योंकि वर्क फ्रौम होम से ले कर घर और बाई का काम भी महिलाओं के सिर पर आ पड़ा. सच कहें तो घरेलू कामगारों के बिना शहरी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. पतिपत्नी दोनों बाहर जा कर आर्थिक गतिविधियों में संलग्न हो पाते हैं तो सिर्फ इसलिए क्योंकि उन के घर को संभालने का जिम्मा घरेलू कामगार के हाथ में होता है. लेकिन आज वही लोग यह शर्त रख रहे हैं कि जब तक बाई अपना कोविड-19 नैगेटिव सर्टिफिकेट नहीं दिखाती, वे उसे अपने घर काम पर नहीं रख सकते हैं.

कामगार संगठन इस तरह की सोच को गलत मानते हैं कि सिर्फ गरीब ही कोरोना फैला सकते हैं. राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन की राष्ट्रीय संयोजक क्रिस्ट्री मैरी बताती हैं कि कुछ सोसाइटी में टैस्ट रिपोर्ट लाने के लिए बोला जा रहा है. उस के बाद तभी काम की अनुमति देंगे जब मेड उन के साथ घर में ही रहे. आनेजाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. लेकिन 24 घंटे किसी के घर रहना मुश्किल है, क्योंकि उन का भी अपना परिवार है. एक से ज्यादा घरों में काम करने वाली मेड को भी मना कर रहे हैं. 60 साल से ज्यादा उम्र के घरेलू कामगारों को तो बिलकुल इजाजत नहीं दे रहे हैं.

संगठन का कहना है कि कोरोना से संक्रमित तो कोई भी हो सकता है. मेड, थर्मल स्क्रीनिंग, लगातार हाथ धोने, दूरी बनाए रखने जैसे सुरक्षा उपायों के लिए तैयार हैं. फिर भी उन्हें कोई काम पर रखने को तैयार नहीं है, क्योंकि उन्हें डर है कि मेड के घर आने से वे कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, ऐसे में इस से अच्छा है खुद ही काम कर लिया जाए.

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