पढ़ाई पूरी कर सिल्की को नौकरी शुरू किए बमुश्किल 7-8 महीने ही हुए होंगे कि अगलबगल और रिश्तेदारों ने उस का जीना हराम कर दिया. घरपरिवार या पासपड़ोस में कहीं कोई शादीब्याह या और कोई गैटटुगैदर हो, उसे देखते ही सवालों की बाढ़ आ जाती.

‘‘अरे सिल्की, पढ़ाई पूरी हो गई? कहां जौब कर रही हो? कितना पैकेज मिलता है?’’

‘‘और बताओ क्या चल रहा है आजकल…’’ इस सवाल से सिल्की बहुत घबराती थी, क्योंकि अगला सवाल उसे मालूम होता.

‘‘तब शादी कब कर रही हो? कोई ढूंढ़ रखा है, तो बता दो हमें?’’

खींसें निपोरती कोई भी आंटी, बूआ या मौसी की आत्मीयता प्रदर्शित करते इस प्रश्न से सिल्की को बड़ी कोफ्त होती. फलस्वरूप उस ने धीरेधीरे इन पारिवारिक समारोहों से खुद को काट लिया.

‘‘अरे, जिस की शादी/जन्मदिन/मुंडन में आए हो उस की बातें करो, प्लेट भर खाओ. मेरी जोड़ी क्यों बनाने लगते हो,’’ सिल्की भुनभुनाती. वही हाल उस की मम्मी का था. जब भी फ्लैट की महिलाओं की मंडली जमती उसे देखते ही सभी जैसे मैरिज ब्यूरो खोल लेतीं, ‘‘मेरा बेटा सिल्की से 3 वर्ष छोटा है यानी सिल्की की उम्र …इतनी हो गई,’’ एक कहती.

‘‘अरे, इस उम्र में तो हमें 2 बच्चे भी हो गए थे,’’ दूसरी गर्व से कहती.

‘‘देखो तुम्हें अब लड़का देखना शुरू कर देना चाहिए,’’ तीसरी समझाने के स्वर में कहती.

‘‘कहीं किसी से कोई चक्कर तो नहीं, किस जाति/धर्म का है? भाई आजकल तो लड़कियां पहले से ही किसी को पटा लेती हैं. अच्छा है न तुम्हें दहेज नहीं देना पड़ेगा,’’ 2 बेटों की मां अनीता बुझे स्वर में कहतीं मानों उन के भोलेभाले बेटों के शिकार के लिए ही लड़कियां पढ़ाईलिखाई कर रही हैं.

‘‘अभी सिल्की का आगे पढ़ने का इरादा है, एकाध साल नौकरी कर वह पढ़ेगी पहले…’’ सिल्की की मां रोंआसे स्वर में कहती.

‘‘देखो, पहले शादी कर दो, फिर पढ़ाई होती रहेगी,’’ फिर एक कहती.

‘‘वक्त पर शादी होना ज्यादा जरूरी है वरना बाद में खोजती रह जाओगी,’’ दूसरी डराने की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

‘‘मेरी बेटी होती तो मैं कब के हाथ पीले कर निश्चिंत हो जाती. अपने बेटे की तो मैं 25 वर्ष से पहले जरूर कर दूंगी शादी वरना ये आजकल की लड़कियां बड़ी तेज होती हैं… जाने कौन उसे अपने चंगुल में फंसा ले,’’ 2 बेटों की सुखी मां प्रवचन देती.

सिल्की की मां से सुना नहीं जाता. वहां से जाने के सिवा कोई चारा नहीं बचता. पर संशय का बीज तो दिमाग में अंकुरित होने लगता कि क्या सच में बेटी को ज्यादा पढ़ाना गलत होगा या बड़ी उम्र में शादी करने में वाकई दिक्कत आएगी? टांग खींचने में आगे यही वे 4 लोग होते हैं, जिन के डर से या यों कहें इन्हीं 4 लोगों को खुश करने के लिए कितने फैसले लिए जाते हैं. इन्हीं 4 लोगों की बातों पर किसी लड़की का समय से पहले विवाह करा दिया जाता है या नौकरी छुड़ा दी जाती है. ये लोग लड़कों से ज्यादा दूसरों की लड़कियों में रुचि रखते हैं. इन्हीं 4 लोगों को खुश रखने के लिए कभी देर रात आने पर डांट पड़ जाती है, तो कभी किसी ड्रैस को पहनने से मना कर दिया जाता है. पर क्या वास्तव में ये 4 लोग कभी खुश होते भी हैं? नहीं, कभी नहीं. टांग खींचने में भले अग्रसर रहे हों पर सराहना के बोल इन के मुंह से कम ही फूटते हैं. जैसे हम सिल्की की बात कर रहे थे. कभी कोई रिश्तेदार तो कभी कोई पड़ोसी आए दिन यह चर्चा शुरू कर ही देता, विभिन्न उदाहरणों के साथ जहां उम्र बढ़ जाने से लड़की की शादी नहीं हुई या लड़की ने कोई गलत कदम उठा लिया. अवसादों में घिरती सिल्की की मम्मी ने आखिर उस के लिए वर ढूंढ़ना शुरू ही कर दिया. कुछ ही महीनों में शादी निबटा कर उस की मम्मी एक दिन फिर उन्हीं की संगत में बैठी थी कि पीछे से फुसफुसाहट सुनाई दी.

‘‘कितनी बदइंतजामी थी सिल्की की शादी में,’’ एक स्वर.

‘‘मुझे तो स्वीट डिश मिली ही नहीं. यदि व्यवस्था नहीं कर सकते हैं, तो क्यों इतने लोगों को बुला लेते हैं,’’ दूसरी फुसफुसाहट.

‘‘लड़के को देखा मुझे तो बड़ी उम्र का लग रहा था,’’ तीसरी चुगली.

सिल्की की मम्मी सोच रही थी, उस ने बेटी की शादी उन की सलाहानुसार कर दी, सराहना करेंगे उस की. पर यहां तो कोई और ही रिकौर्ड कानों में बज रहा था. अंदर से चिढ़ते हुए पर साक्षात मुसकराते हुई पीछे घूमी. बोली, ‘‘बहनजी, क्या हाल हैं आप के बेटे के? कल उसे बाजार में देखा… कोई लड़की उस की मोटरसाइकिल के पीछे बैठी थी.’’

‘‘अरे …वह… हां… बेटा बता रहा था उस के औफिस की ही कोई लड़की है, जो जबरदस्ती उस के गले पड़ी रहती है,’’ पर बेटे की मां के चेहरे की रंगत इस उड़ती खबर से अवश्य उड़ने लगी थी. अब 4 लोगों के सामने उन की नाक जो कट रही थी.

अब बातचीत का रुख सिल्की की शादी से हट दूसरी ओर चला गया. सिर्फ अफसोस जहां 4 लोग मिलेंगे वहां 4 बातें होंगी ही. देशविदेश, प्रदेश से होती हुई चर्चा का विषय अपने आसपास ही टिकता है. ज्यादातर उन पर जो मौजूद नहीं होते. फिर दूसरों के मामलों में टांग अड़ाना हमेशा से प्रिय शगल होता है. इन बातों के लिए सिर्फ महिलाओं को ही जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए, पुरुष भी गौसिप करने का सामाजिक दायित्व उतनी ही शिद्दत से निभाते हैं. हम सिल्की की बात कर रहे हैं. सिल्की की मम्मी को लगा कि उस ने बेटी की शादी कर दी. उसे आगे नहीं पढ़ने दिया. अब 4 लोग उस से खुश रहेंगे और वह मिसाल बन जाएगी 4 लोगों के बीच. पर अफसोस ऐसा कुछ नहीं हुआ, बल्कि सालडेढ़ साल गुजरते ही वही लोग उसे फिर सवालों के कठघरे में खड़ा करने लगे.

‘‘सिल्की कैसी है? शादी के बाद खुश तो है?’’ एक ने पूछा.

‘‘कितने साल हो गए उस की शादी को? खुशखबरी कब सुना रही है?’’ दूसरी की उत्सुकता का अंत नहीं था.

‘‘अरे, अभी तो नईनई नौकरी जौइन की है उस ने. पहले कुछ दिन पैर जमा ले,’’ सिल्की की मां ने समझाना चाहा.

‘‘सही वक्त पर बच्चे हो जाने चाहिए वरना फिर जिंदगी भर पछताना पड़ेगा. जाने क्याक्या दवाएं ये लोग खा लेती हैं कि बाद में गर्भधारण ही नहीं कर पातीं,’’ 4 बच्चों की अम्मां मुफ्त में अपनी राय बांचने लगी.

फिर तो सिलसिला ही चल पड़ा तरहतरह के उदाहरणों का जहां लड़की को बच्चा होने में दिक्कतें आई थीं. 4 लोग बैठ अपने ज्ञान के पिटारे से मोती लुटाने लगे. अब सिल्की की मां समझ गई कि कोई अंत नहीं इन की समझाइश का. वह भी अब होशियार हो चुकी थी. झट बातों को किसी दूसरी की तरफ मोड़ते हुए अपने प्रश्नों का तीर चला दिया. फिर सारे तीर उधर ही बरसने लगे और इस बीच सिल्की की मां को नानी बनने हेतु बेटी को समझाएं जैसे टिप्स से राहत मिल गई.

अब जब वह होशियार हो चली थी तो 4 लोगों की संगत उसे भाने लगी. 4 लोगों के साथ बैठ वह भी दूसरों को ज्ञान की बातें सिखाने लगी. सच अब उसे उस समय अनुपम सुख का अनुभव महसूस होने लगता जब मुफ्त में बिना मांगे किसी को सलाह देती. 4 लोगों के साथ किसी 5वें को शर्मिंदा करना, उस की खाल खींचना जैसे स्वर्गिक आनंद का रस लेने लगी.

निजी जीवन में दखलअंदाजी

अब सिल्की की मां भी नहीं सोचती कि किसी को बारबार टोकना कि उस की बेटी/बेटे की शादी क्यों नहीं हो रही है से किसी पर क्या प्रभाव पड़ेगा. दूसरों से खुशखबरी सुनने को आतुर उन का मन अब एक क्षण नहीं सोचता कि पता नहीं किस कारण से कोई मां नहीं बन पा रही है. अपने आसपास की छोटी से छोटी बातोें को जान लेने की प्रवृत्ति उसे यह संकोच नहीं करने देती कि वह किसी के निजी जीवन में दखलंदाजी कर रही है. अपने बच्चे भले फेल हो रहे हों पर दूसरों के बच्चों का प्रतियोगी परीक्षा में क्या परिणाम आया, यह उत्सुकता वह 4 लागों के साथ जरूर जाहिर करती. अपनी सास को भले खाना नहीं दे पाती सिल्की की मां पर अनीता की बहू क्यों मायके चली गई उस का प्रिय विषय रहता.

सिल्की की मां धीरेधीरे जान ही नहीं पाई कि वह भी उन 4 लोगों में शामिल हो गई है जिन से लोग बचना चाहते हैं, जिन की बातों को कोई गंभीरता से नहीं लेता और जिन का काम ही है कुछ न कुछ कहते रहना. बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना टाइप उन के व्यवहार को लोग सिर्फ सुनते हैं पर करते अपने मन की ही हैं.

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