सिंपल भाषा में मैन्सप्लेनिंग किसी पुरुष द्वारा यह दिखाना है कि वह मर्द है और इसलिए सामने वाली महिला से बेहतर जानकारी रखता है. मैन्सप्लेनिंग का अनुभव हम सभी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में आए दिन करते हैं. यह अंगरेजी के 2 शब्द मैन और ऐक्सप्लेनिंग (सम?ाना) से मिल कर बना है.

उदाहरण के लिए औफिस में जब आप किसी राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक मुद्दे पर अपनी राय रखती हैं या किसी प्रेजैंटेशन पर अपने विचार सुनाने लगती हैं तभी सामने  बैठा पुरुष सहकर्मी कह उठता है कि रुको आप की यह बात उतनी क्लीयर नहीं. मैं ठीक से सम?ाता हूं. यानी उसे यह लगता है कि चूंकि वह एक मर्द है और आप औरत तो जाहिर तौर पर वह आप से बेहतर जानकारी रखता है.

कई दफा औफिस में आप के सुपरवाइजर भी आप की बात को ठीक से सुने बगैर ही कह देते हैं कि आप के आइडियाज पुराने हैं. यानी एक महिला की बात या राय को दरकिनार कर खुद को सही और बेहतर साबित करने की कोशिश मैन्सप्लेनिंग है. इसी तरह जब साथ बैठा पुरुष आप की बात बीच में काट कर तेज आवाज में अपनी बात कहने या आप पर अपने विचार थोपने लगे तो यह मैन्सप्लेनिंग है.

ऐसा सिर्फ कार्यालयों में ही नहीं बल्कि घरों में भी होता है. ज्यादातर घरों में पति, बौयफ्रैंड या भाई अपनी बात ऊपर रखते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे सब जानते हैं जबकि औरतों को कुछ भी सही से पता नहीं होता.

हर तरह के मुद्दों पर पुरुषों की बिलकुल सटीक राय हो यह जरूरी नहीं. हर विषय पर हर पुरुष को गहराई से पता हो यह भी जरूरी नहीं खासतौर पर बात जब महिलाओं की जिंदगी और उन के अनुभवों के बारे में हो. मगर अकसर पुरुष उन मुद्दों पर भी महिलाओं को नहीं बोलने देते हैं या उन्हें टोकते हैं और उन की बात को अनसुना करते हैं. कई दफा वे उन की आलोचना भी करते हैं. यही मैन्सप्लेनिंग है जिसे किसी भी महिला को स्वीकारना नहीं चाहिए.

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