‘‘एक उद्यमी (ऐंटरप्रैन्योर) अपने पैशन द्वारा आगे बढ़ता है. यही पैशन उसे कठिन परिस्थितियों में भी मजबूत और मकसद के प्रति एकनिष्ठ बनाए रखने में मदद करता है,’’ यह कहना है स्काईडाइविंग के क्षेत्र में अग्रणी, काकनी ऐंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की संस्थापिका डा. आंचल खुराना का. डा. आंचल ने महज 29 साल की उम्र में पुरुष वर्चस्व वाले इस क्षेत्र में न सिर्फ अपना बिजनैस शुरू किया वरन उसे बखूबी संभाल भी रही हैं.
आंचल खुराना एक जौइंट पंजाबी फैमिली से तअल्लुक रखती हैं. इन की बहुत ही वर्सेटाइल परवरिश रही है. मां हाउसवाइफ हैं, पापा बिजनैसमैन और भाई वकील हैं.
जैसा कि अमूमन पंजाबी परिवारों में हुआ करता है, इन के यहां भी लड़कियों की शादी जल्दी कर देने की परंपरा थी. इन के पापा चाहते थे कि ग्रैजुएशन करते ही इन की शादी कर दी जाए. पर ये तो कुछ और ही करना चाहती थीं. इन के सपनों को इन की मम्मी ने पंख दे दिए. उन की प्रेरणा से ही ये इस मुकाम तक पहुंच सकी हैं.
आंचल बताती हैं कि 2009 में बीडीएस करने के बाद मैं ने काकनी ऐंटरप्राइजेज की नींव डाली. काकनी का अर्थ होता है, अनुभव से प्राप्त ज्ञान या बुद्धिमान नारी. यह कंपनी फिलहाल स्काईडाइविंग की इंडिया में लार्जेस्ट प्राइवेट कंपनी है.
काकनी की स्थापना में मेरे गुरु कमांडर संजय कौल का पूरापूरा सहयोग रहा. सच कहूं तो उन के सपोर्ट की वजह से ही मैं ऐसा कर सकी हूं. कहते हैं न कि यदि कहीं आग है तो उसे हवा देनी पड़ती है. संजय कौल ने मेरे जोश और जज्बे को पहचाना और उसे सही दिशा दी.
जब तक आप किसी सोच को कार्यरूप नहीं देते सफलता नहीं मिलती. संजय कौल एक सोच रखते हैं और मैं उसे एक आकार देती हूं.
स्काईडाइविंग की तरफ रुझान
दरअसल, पहले भारत में स्काईडाइविंग बिलकुल भी नहीं होती थी. न ही कोई कंपनी इस दिशा में काम कर रही थी. विदेशों में जा कर लोग इस का अनुभव करते थे या फिर केवल फौज में इस की टे्रनिंग दी जाती थी. वहां से सीखे हुए लोग और रिटायर्ड आर्मी औफिसर वगैरह इस का कैंप लगाते थे. ऐसे ही एक कैंप में जब मैं ने हिस्सा लिया तो लगा कि जिंदगी तो यही है. जब आप हवा में हों और पैराशूट भी न खुला हो तो लगता है जैसे आप उड़ रहे हैं. यह अनुभव इतना खूबसूरत था कि मैं ने इस दिशा में काम करने का फैसला कर लिया.
स्काईडाइविंग क्या है
स्काईडाइविंग का सीधा अर्थ है, अपने लिंब्स का प्रयोग करते हुए हवा में पक्षियों की तरह उड़ना. सब से पहले एअरक्राफ्ट से जंप करना और फिर कुछ समय तक कई हजार फुट पर यों ही शरीर को छोड़ देना. बाद में पैराशूट के सहारे अपनी गति को मैनेज करते हुए जमीन पर लैंड करना. इसे करना एक अलग ही तरह की खुशी का एहसास देता है.
उस वक्त जब मैं ने यह काम शुरू किया था, तो मेरी उम्र कम थी. इसलिए बिजनैस मीटिंग्स के दौरान लोग यह सोचते थे कि इतनी छोटी लड़की इस तरह का बिजनैस कैसे कर पाएगी? लड़की होने की वजह से लोग मुझे सीरियसली नहीं लेते थे. कमिटमैंट की दिक्कत भी आई. ट्रैवल काफी करना पड़ता था.