पिछले कुछ समय में देशविदेश की बहुत सी नामचीन औरतों ने मर्दों द्वारा सताए जाने के बरसों पुराने रिश्तों के गड़े मुरदे उखाड़े तो यह एक मुहिम बन गई जिसे मीटू का नाम दिया गया और उन औरतों की इस बेबाकी के लिए समाज द्वारा उन का हौसला भी बढ़ाया गया. मगर क्या मीटू का यही एक विकृत रूप हो सकता है? क्या कोई औरत किसी दूसरी औरत के साथ मीटू जैसा कुछ नहीं कर सकती है?
फर्ज कीजिए अगर कोई औरत दूसरी औरत के सैक्सुअल रिलेशंस की पोल खोलने की धमकी दे और ऐसा न करने के एवज में उसे ब्लैकमेल करे और पीडि़ता सब को यह बात बता दे तो क्या उसे भी मीटू के दायरे में नहीं लाना चाहिए?
एक खुलासा
ऐसा ही कुछ खुलासा भारत की एक नामचीन खिलाड़ी ने किया है, जो रेसिंग ट्रैक पर तो फर्राटा भरते हुए दौड़ती है, पर मन में एक भारी बोझ लिए हुए, जो उस के किसी अपने ने ही उस पर लादा है.
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यह दर्द है 100 मीटर में राष्ट्रीय रिकौर्ड बनाने वाली और एशियाई खेलों में 2 सिल्वर मैडल जीत चुकी स्टार महिला धावक 23 साल की दुती चंद का जो भारत की अब तक की तीसरी ऐसी महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 2016 के रियो ओलिंपिक खेलों के 100 मीटर के इवेंट में क्वालीफाई किया था. उन्होंने हाल ही में खुलासा किया कि वे समलैंगिक हैं. उन के पिछले 3 साल से एक लड़की के साथ संबंध हैं.
ओडिशा की रहने वाली दुती चंद ने 19 मई, 2019 को इस सिलसिले में भुवनेश्वर में एक प्रैस कौन्फ्रैंस में बताया, ‘‘जब सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 पर अपना फैसला सुनाया तब हम ने फैसला किया कि अब एकसाथ जिंदगी बिताने में किसी तरह का खतरा नहीं है. हम ने फैसला किया कि हम शादी करेंगी और खुद का एक छोटा सा परिवार बसाएंगी.