देश के सुपररिचों से ज्यादा ईष्या न करें क्योंकि वे अपने पैसे पर ऐश नहीं करते बल्कि या तो पब्लिक को बेवकूफ बना कर पैसा जमा करते हैं या बैंकों से कर्ज लेते हैं, नीरव मोदी, ललित मोदी, चोखसी, विजय माल्या जैसे सुपर रिच ही नहीं, सोसो रिच सनी देओल जैसे भी बैंक से पैसा लेते हैं और ऐश करते हैं.

सनी  देवल की फिल्म ‘गदर-2’ ने पैसा तो कमाया है पर केवल उसी हिंदू-मुस्लिम खाई को भुना कर. वरना तो जो आलीशान जिंदगी वह जीता था उस में बहुत कुछ बैंकों का है. बैंक औफ बड़ोदा ने उस के वर्ली के 600 गज के मकान के 55 करोड़ के कर्ज को न चुका पाने के लिए अब निर्यात करने का नोटिस दिया है. ‘गदर-2’ की कमाई से आम हिंदू-मुस्लिम  तो एक दूसरे को दुश्मन कुछ और ज्यादा मानने लगेंगे पर सनी देओल शायद इस मकान को बचा ले जाएं.

अदानी, अंबानी जैसे सुपर रिच भी बैंकों के कर्जों में डूबे है और उन के चेहरों पर शिकन नहीं है क्योंकि सरकार की गोदी में फल रहे थे उद्योगपति जानते हैं कि बैंक कभी इन्हें तो छू भी नहीं पाएंगे. इन को वही प्रोटेक्शन हासिल है जो हरियाणा के बजरंगी बिट्टू या नुपूर शर्मा को मिली है.

बैंकों से कर्ज लेना हर जने का हक है पर उसे लौटाने का कर्तव्य भी है, आमतौर पर सुपररिचों को लौटाने की चिंता नहीं होती, सिर्फ किसानों की होती है जो आए दिन आत्महत्या करते रहते हैं और अब तो उन की खबरें भी छपनी सरकारी ईशारों पर बंद हो गई हैं. उन्हें इस हिंदू-मुस्लिम  भेदभाव या सरकारी गोदी का लाभ नहीं मिलता.

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