Family Goals : शादी के वक्त जब एक लड़की अपना आंगन छोड़ कर दूसरे घर में प्रवेश करती है, तो क्या वह यह सोच कर पहला कदम रखती है कि मैं इस घर में रहने वाले सभी लोगों का जीना दुश्वार कर दूंगी? हर बात को सुनने से पहले पलट जवाब दूंगी या परिवार से कोई मतलब न रख कर सिर्फ पति की हमसफर बन कर रहूंगी? जवाब होगा नहीं क्योंकि सास भी तो कभी बहू थी, तो आप एक कोमल सी लड़की से खूंख्वार सास कैसे बनीं, यह सोचा है आप ने?

आप के बरताव में कैसे बदलाव आया, कैसे जो बहू सास की एक आवाज पर सहम जाती थी, वह अब खुद सास बनने के बाद शेरनी बन कर दहाड़ती है? इतने बदलाव का कारण है बहू के साथ ससुराल में हुआ व्यवहार.

सास खुद के अंदर झांक कर देखें

अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार को कोई भी लड़की शुरुआती कुछ वक्त तो बरदाश्त करती है लेकिन वक्त के साथ वह उस से डील करना सीख जाती है. जिसे कहते हैं न ईंट का जवाब पत्थर से देने का उस का भी दिल चाहता है और उस के मन में भी ससुराल के लोगों के प्रति खटास पैदा हो जाती है.

इसलिए बहू के स्वभाव पर दोष देने से पहले सास को चाहिए कि वह खुद के बरताव पर नजर डाले. सास न बन कर पहले घर की एक सदस्य बन कर बहू के दिल में घर करे, बातबात पर टोकने, ‘हमारे घर में ऐसा ही होता है’ का पुरातन डायलौग छोड़ कर मिल कर काम करने, दूसरे के अच्छे काम पर उस की तारीफ करने से झिझके नहीं. अगर गलत बात या काम पर टोकना आप का अधिकार है तो सही काम की तारीफ करना अपना कर्तव्य है.

बहू को नए परिवेश में ढलने का मौका दें

एक लड़की के लिए शादी सिर्फ अपना परिवार या घर छोड़ना नहीं होता, बल्कि उस को अपना पूरा लाइफस्टाइल बदलना पड़ता है. अपने मायके में जहां लड़की बिस्तर में बिना आंखों को खोले चिल्ला कर चाय की प्याली मांगती थी वह अब सब से पहले उठ कर परिवार में सब के लिए नाश्ते की तैयारी में लग जाती है. जो अपने घर में मनमरजी का खाना न मिलने पर फूड डिलिवरी कराती थी या अपनी मां से झगड़ती थी वह अब चुपचाप नापसंद सब्जियां बना रही है.

अचानक आए ये बदलाव किसी के लिए भी स्ट्रैस की वजह बन सकते हैं. इसलिए अपनी बहू को वक्त दें, जितना वह आप के परिवार में ढलने की कोशिश में लगी है उतना ही आप भी उस को खुला दिल कर के अपनाने की कोशिश करें. वह जैसी है स्वीकारें और अगर आप को कुछ अपनी दिनचर्या में बदलाव करने की जरूरत पड़े तो उस पर अड़ें नहीं, नर्म स्वभाव रखें.

हर छोटी बात पर टोकने से बचें

बहू के घर में कदम रखते ही सास को अपने दिनों की याद ताजा हो जाती हैं. कैसे वह घर में 10-12 लोगों का खाना बनाती, बच्चों व बड़ों की देखभाल, बिना हाउसहैल्प सारा काम खुद करना, बड़े से आंगन को सूरज चढ़ने से पहले लीपनापोतना और फिर वह उस की तुलना बहू के काम से करती है.

‘हम ने तो इतना काम किया, आजकल की बहुएं तो 5 लोगों की रोटियां गिन कर बनाती हैं’ जैसे तानें देने लगती हैं. लेकिन उन्हें समझना होगा कि अब वक्त बदला है, काम करने के तरीकों और संसाधनों में बढ़ोत्तरी हुई है. बच्चे की परवरिश के तरीके बदले हैं. तो ऐसे में हर काम में कंपेरिजन आप के और आप की बहू के बीच सिर्फ दूरियां बढ़ाता है. जरूरी है कि अब आप साथ मिल कर कैसे घर को संभालें उस पर ध्यान दें, न कि बहू ने आज क्या नहीं किया उस पर ध्यान दें.

बेटे को अच्छा हमसफर बनना सिखाएं

माना कि आप ने अपने बच्चे को नाजों से राजा बेटा बना कर पाला है. पानी का गिलास भी उस ने कभी खुद उठ कर नहीं लिया. लेकिन शादी के बाद अब वह आप का राजा बेटा नहीं बल्कि एक परिवार का कर्ताधर्ता है. उस के जीवन में बदलाव आया है और अगर ऐसे में अगर वह अपनी पत्नी की मदद करना चाहे तो उस की सराहना करें, नकि उसे तानें दें कि बहुरिया के आते ही कैसे बेचारा काम में लग गया, हम ने तो कभी काम नहीं कराया. बेटे को बहू का अच्छा हमसफर बनने के लिए उस की मदद के लिए प्रोत्साहित करें.

बहू की स्मार्टनैस का फायदा लें

कई बार बहू उस के ससुराल में परिवार से ज्यादा समझदार हो सकती है. ऐसे में बहू को भी चाहिए कि वह अपनी नीड और परिवार के लिए क्या सही है वह सोचसमझ कर काम करे. अपनी नालेज से दूसरों को नीचा दिखाने या खुद को बैटर साबित करने की कोशिश न करे. ऐसे में सास को भी चाहिए कि वह उस की स्मार्टनैस का फायदा उठाए. अगर वह किसी काम में बहू से सुझाव लेती है तो उस से बहू को भी अच्छा लगता है वह खुद को परिवार में इनक्लूडिड महसूस करती है और सास को बेहतर सुझाव भी मिल जाएगा.

पेरैंट्स के साथ आप की सोच का न हो टकराव

शादी के बाद आप अगर अपनी लाइफ में सासससुर की ज्यादा दखलंदाजी पसंद नहीं करती तो फिर आप के पेरैंट्स आप की लाइफ में शादी के बाद किस हद तक डिसिजन ले सकते हैं उस की भी लाइन खींच कर रखें. मातापिता को भी चाहिए कि वे अपनी बेटी को नए परिवार में सैटल होने मौका दें और बातबात पर उसे डिफैंड करने से पहले स्थिति को समझें.

दखलंदाजी परिवार में चाहे मातापिता की हो या सासससुर की, उस से डिफरैंस पैदा होते ही हैं. इसलिए सब को कैसे संभालना है ताकि कोई किसी पर हावी न हो पाए यह एक समझदार लड़की को पहले से अपने दिमाग में तय कर लेना चाहिए.

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