‘जिस की बीवी मोटी उस को मुंह बंद रखने का काम है…’ यह अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गए बेहद लोकप्रिय गाने का नया वर्जन है. अब कोई भूल कर भी न कहे कि उस को गद्दे का क्या काम, क्योंकि वह गाजियाबाद के 27 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर की तरह अदालत में तलाक के लिए तलब किया जा सकता है. पत्नी ने आरोप लगाया है कि पति उसे अपने साथ कहीं नहीं ले जाता था और अकसर मजाक उड़ाता था.

वैसे विवाह के बाद एकदूसरे की आदत डालना ही अच्छा है. तलाक किसी समस्या का हल नहीं. मोटापे पर तो बिलकुल आपत्ति नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि यह अगर बस में हो तो कोई औरत मोटी न हो. यह मानसिक व शारीरिक कारणों से होता है, ऐच्छिक नहीं. मोटापे को तो हंस कर टालना चाहिए.

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संसद में एक बार मजेदार घटना हुई. किसी वक्ता ने अंगरेजी का एक शब्द ‘ह्यूमंगस’ बोला. इस का अर्थ होता है बहुत बड़ा.

मोटी, थुलथुल पर बेहद हंसोड़ कांग्रेसी सांसद रेणुका चौधरी ने इस अवसर का पूरा लाभ उठाया. वे उठीं और स्पीकर के सामने के वैल में जा कर खड़ी हो कर बोलीं कि जिन्हें अंगरेजी नहीं आती वे समझ लें कि ‘ह्यूमंगस’ का मतलब होता है जैसी मैं और फिर उन्होंने अपनी लहराती चटक रंगों वाली साड़ी में रैंप कर एक ऐक्शन दिखा दिया.

संसद तो हंसहंस कर लोटपोट हो गई पर रेणुका ने एक संदेश दे दिया कि मोटापे को न आने दो और अगर आ ही जाए तो उस के साथ हंस कर जीओ.

पतिपत्नी का रिश्ता न ईंटपत्थर पर टिकता है न एकदूसरे के शरीर के सौंदर्य पर. यह एकदूसरे के लिए चिंता, एकदूसरे का हाथ बंटाने, एकदूसरे के दुखदर्द को बांटने, एकदूसरे के साथ सुखी की पेटियों को खोलने से टिकता है.

जिसे चाह कर विवाह किया है या जिस से मातापिता ने विवाह करा दिया उस से जहां तक हो सके हंस कर निभाओ. उस के बाहर की जगह मृगतृष्णा साबित हो सकती है. एकदूसरे के शरीर, शिक्षा या पैसे पर मजाक से लाभ नहीं होता. यह अपनी खुद की कमजोरी साबित करता है.

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तलाक भारत में आसान नहीं. तलाक के बाद जीवन और मुश्किल है. विवाहेतर संबंध भी यहां नहीं बन पाते, क्योंकि हमारा समाज जातियों, धर्मों, वर्गों, कुंडलियों, रीतिरिवाजों में फंसा है. तलाक के बाद वर्षों खटना पड़ता है. अभी हमारा समाज न तलाक दिला रहा है न तलाक के बाद जीवन सुधारने दे रहा है.

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