कोरोना जैसे खतरे के बीच एक नई नेतृत्व शैली एक नए युग का आह्वान करती दिख रही है. संकट के समय देश में नेतृत्व की पहचान होती है और अगर बागडोर महिलाओं के हाथ में हो तो उपलब्धि और बड़ी हो जाती है.

आइसलैंड से ताइवान और जर्मनी से न्यूजीलैंड तक महिला नेताओं ने या तो सूझबूझ से देश को कोरोना के संकट से निकाला या इस वायरस को फैलने से रोका.

जल्दी बैन किया

न्यूज़ीलैंड - प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने कोरोना संक्रमण की शुरुआत में ही बाहर से न्यूजीलैंड आने वाले लोगों को सेल्फ आइसोलेशन के लिए कहा.

28 दिन का लौकडाउन लगाने से पहले उन्होंने लोगों को 2 दिन का समय दिया, ताकि वे अपनेअपने घरों तक पहुंच कर अपनी जरूरत की चीजों को खरीद लें.

जब उन के देश में महज 6 ही मामले थे, तभी उन्होंने बाहर से आने वालों को बैन कर दिया. उन के कुशल नेतृत्व और निर्णय क्षमता के चलते न्यूजीलैंड इस झंझावात से बचा रह पाया.

प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न को कोरोना महामारी से अपने देश की जनता को बचाने के लिए किए गए उपायों और उन की उत्कृष्ट नेतृत्व शैली के लिए सराहा जा रहा है.

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27 अप्रैल का दिन न्यूजीलैंड के लिए विजय का दिन था, जब प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने कोरोना से जंग में पूरे राष्ट्र के प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, 'न्यूजीलैंड कोविड -19 के प्रकोप को नियंत्रित करने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में देश काफी हद तक सफल रहा है. लेकिन, इस का मतलब यह नहीं है कि वायरस के नए मामले सामने नहीं आएंगे.'

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