Financial Freedom : महिलाएं परिवार की धुरी होती हैं. आजकल वे बाहरी दुनिया में भी अपनी पैठ बना रही हैं. अपनी काबिलीयत के दम पर ऊंचे औहदों पर काबिज हो रही हैं. कई दफा उन की सैलरी पुरुष सहयोगियों से कहीं ज्यादा होती है. फिर भी उन्हें आर्थिक आजादी का एहसास नहीं होता. वे जौब कर रही हों या होममेकर हों बचत करने का हुनर उन्हें बखूबी आता है. लेकिन केवल कमाना और बचत करना ही काफी नहीं. उन के लिए बचत को इनवैस्टमैंट में तबदील करने का हुनर सीखना और फाइनैंशियल नौलेज होना भी बहुत जरूरी है. तभी वे हकीकत में आर्थिक आजादी का स्वाद चख सकेंगी.

मान लीजिए आप ने छोटीछोटी बचत कर के काफी पैसे इकट्ठे कर लिए पर अब आप को समझ ही नहीं आ रहा कि इस पैसे को कहां इनवैस्ट करें? इसी तरह यदि आप के पति अस्पताल में एडमिट हैं मगर आप को नहीं पता कि बैंक में पैसे कैसे जमा करें या उन की मैडिक्लेम पौलिसी का इस्तेमाल कैसे किया जाए? यह भी हो सकता है कि आप के पति का ऐक्सीडैंट हो गया और आप के ऊपर पूरा घर और व्यापार चलाने की जिम्मेदारी आ गई हो.

आप 2 बच्चों की मां हैं और आप को व्यापार या फाइनैंस की कोई भी जानकारी नहीं है. ऐसे हालात में आप क्या करेंगी दूसरों का मुंह ताकेंगी? ये तीनों ही उदाहरण हमें एहसास दिलाते हैं कि महिलाओं को फाइनैंशियल नौलेज होना कितना जरूरी है. परिवार में मुसीबत कभी भी आ सकती है. जरूरी है कि आप जिम्मेदारी उठाने को तैयार रहें. इसलिए महिलाओं का आर्थिक रूप से आजाद होना बेहद जरूरी है.

बेहतर इनवैस्टर बन सकती हैं महिलाएं

महिलाओं के मैनेजमैंट पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. उन्होंने परिवार, समाज, देश और दिग्गज कंपनियों की जिम्मेदारी बखूबी उठा कर खुद को हर मोरचे पर साबित किया है. मगर एक बात बहुत निराश करने वाली है कि ज्यादातर घरों में उन्हें पैसों या इनवैस्टमैंट के मैनेजमैंट से दूर ही रखा जाता है. पैसों को ले कर सारे फैसले पुरुष ही करना चाहते हैं. वे खुद को महिलाओं से बेहतर इनवैस्टर मानते हैं. एक सफल इनवैस्टर बनने के लिए अनुशासन, धैर्य, एकाग्रता और मेहनत जैसे गुणों की आवश्यकता होती है. ज्यादातर महिलाएं इन गुणों से संपन्न होती हैं इसलिए वे बेहतर इनवैस्टर बन सकती हैं.

अध्ययनों में पाया गया है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में औसतन 40त्न कम रकम इनवैस्ट करती हैं. जेंडर डिस्क्रीसिनेशन कारण महिलाओं को पुरुषों की तुलना में केवल 81त्न वेतन मिलता है  इनवैस्टमैंट न करने से पहले से मौजूद धन का अंतर और बढ़ सकता है.

महिलाओं को क्या रोक रहा है

महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम पैसे इनवैस्ट करती हैं. लेकिन इस के पीछे की वजहों को पहचानना मुश्किल है. कई महिलाओं को यह नहीं पता होता कि शुरुआत कैसे करें. ज्यादातर महिलाएं मनी मैनेजमैंट का जिम्मा घर के पुरुष सदस्यों पिता, भाई, पति या बौयफ्रैंड पर छोड़ देती हैं यह उचित नहीं. जोखिम से बचने के लिए प्रौफिटेबल इनवैस्टमैंट के बारे में नहीं सोचतीं. अपनी आय को ले कर खर्च न करें इसलिए क्रैडिट कार्ड्स पर ज्यादा जोर न दें और न ही यूपीआई पेमैंट की आदी बनें. इन दोनों का प्रयोग केवल इमरजैंसी में करें. बैंक से या एटीएम से पैसा निकाल कर कैश खर्च करने की आदत रखें क्यों पैसे हाथ से देते समय थोड़ा में सा प्रैशर बना रहता है.

इनवैस्टमैंट शुरू करें

जितना हो सके आप को जल्द से जल्द इनवैस्टमैंट करना शुरू कर देना चाहिए ताकि आप अपने रुपयों का पूरा लाभ उठा सकें. भले ही आप के पास कम पैसे हों मगर हर महीने इनवैस्ट करने का रूटीन जरूर बनाए रखें. अपने पैसे को लंबे समय तक के लिए इनवैस्ट कर के रखें और इस दौरान प्राप्त प्रौफिट को फिर से इनवैस्ट करें. अगर आप ने अभी तक इनवैस्ट नहीं किया है तो याद रखें कि शुरू करने में कभी देर नहीं होती, चाहे इनकम बड़ी हो या छोटी.

सिर्फ बचत ही नहीं इनवैस्टमैंट पर भी ध्यान दें

युवतियों का पूरा ध्यान बचत करने में लगा रहता है जबकि उन्हें इनवैस्टमैंट को भी सम?ाने और करने की जरूरत है. आप को जान लेना चाहिए कि महंगाई के चलते समय के साथ पैसों का मूल्य कम होता जाता है. इसलिए इनवैस्टमैंट कर ज्यादा रिटर्न बनाना बहुत जरूरी है.

कहां करें अपने पैसे का इनवैस्टमैंट

हाल ही में आई एक स्टडी बताती है कि भारतीय शहरी महिलाएं फिक्स्ड डिपौजिट में ज्यादा इनवैस्ट कर रही हैं. वे अपने कुल एसेट अलोकेशन का 50 फीसदी फिक्स्ड डिपौजिट और सेविंग अकाउंट में बनाए रखती हैं. केवल 7 फीसदी स्टौक्स में लगाती हैं. डीबीएस बैंक इंडिया ने क्रिसिल के साथ मिल कर महिला और वित्त (वूमन ऐंड फाइनैंस) पर एक स्टडी जारी की, जिस में 10 भारतीय शहरों में 800 हाई इनकम शहरी महिलाओं, सैलरी लेने वाली और सैल्फ ऐंप्लौयड दोनों को शामिल किया गया था. सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं की आय 10 लाख रुपए से ले कर 55 लाख रुपए सालाना थी. यह नतीजा इस सर्वे से निकल कर आया.

मगर यहां गौर करने की बात है कि भले ही एफडी और सेविंग अकाउंट में आप थोड़ा पैसा रख सकती हैं लेकिन अपना बचाया हुआ पूरा पैसा केवल इन्हीं जगहों पर न रखें बल्कि अन्य औप्शन भी समझें. इस से न सिर्फ आप के पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन आएगा अपितु आप टैक्स बचा सकेंगी और हाई यील्ड भी प्राप्त कर सकेंगी.

इनवैस्टमैंट करते समय कदम फूंक कर चलें

जब भी अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई को इनवैस्टमैंट करने की सोचें तो सब से पहले यह सोचें कि आप का गोल क्या है. इनवैस्टमैंट गोल पर आधारित होना चाहिए. यदि आप की आयु 25-27 से ले कर 30-32 साल है और रिटायरमैंट आप का गोल है तो इस का सीधा सा मतलब है कि आप के पास प्लानिंग का समय काफी होगा.

इस के बाद सब से अहम है अपनी और अपने पर निर्भर (मातापिता या बच्चे) की सुरक्षा. इनवैस्टमैंट से पहले सुरक्षा की बात आती है. भाई, बहन, बच्चे या मातापिता आप पर डिपैंड हैं तो लाइफ इंश्योरैंस जरूर करवाएं. वहीं अपने लिए ऐक्सीडैंट या मैडिकल कवरेज लेना भी एक अच्छा कदम होगा ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना या बीमारी में आप के परिवार पर अतिरिक्त भार न पड़े.

कम उम्र की महिलाएं ले रही हैं जोखिम

हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार 18 से 25 साल की महिला इनवैस्टर्स द्वारा सुरक्षित इनवैस्टमैंट विकल्प मसलन सावधि जमा (एफडी) के बजाय उच्च जोखिम वाले विकल्पों में इनवैस्टमैंट करने की संभावना 3 गुना अधिक रहती है. यह सर्वे ग्रो ने किया है. इस में 28 हजार लोगों से प्रतिक्रियाएं ली गईं. सर्वे में महिलाओं के इनवैस्टमैंट लक्ष्य के बारे में भी बताया गया है.

सर्वे के अनुसार 57त्न युवा महिलाएं अपने निजी लक्ष्य को हासिल करने के लिए इनवैस्टमैंट  करती हैं. वहीं 28त्न अपने यात्रा लक्ष्य को हासिल करने और 28त्न उच्च शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इनवैस्टमैंट करती हैं. सर्वे में कहा गया है कि आय और उम्र के साथ इनवैस्टमैंट लक्ष्य बदल जाते हैं.

दरअसल, सिर्फ पैसे कमाना और बचत करना ही काफी नहीं है. पैसे को ऐसी जगह इनवैस्ट करना भी जरूरी है जहां आप की रकम तेजी से बढ़े और दीर्घकाल में अच्छी खासी रकम हाथ में आ जाए. इस के कई रास्ते हो सकते हैं लेकिन एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि इस का कोई शौर्टकट नहीं होता. इसलिए अपनी पहली नौकरी शुरू करने के साथ ही इनवैस्टमैंट के बारे में सोचना चाहिए. आप होम मेकर हों या जौब करती हों मगर शादी के बाद आप को बचत और इनवैस्टमैंट शुरू कर देना चाहिए क्योंकि यही वह वक्त होता है जब खर्च के बाद आप के हाथ में कुछ पैसे बचते हैं. इस वक्त शुरू की गई इनवैस्टमैंट आप के और आप के पार्टनर का भविष्य सुरक्षित बना सकती है. इसलिए हम यहां इनवैस्टमैंट के वे तरीके बता रहे हैं जो 20 से 35 साल की महिलाएं अपना सकती है. ये तरीके अनमैरिड को अपनाने भी चाहिए?क्योंकि उन के पास बचत का मौका ज्यादा होता है. वेतन या अन्य आय को फालतू में हरगिज खर्च न करें.

पब्लिक प्रौविडैंट फंड (पीपीएफ)

चाहे आप कामकाजी महिला हों या होम मेकर, पब्लिक प्रौविडैंट फंड आप के लिए इनवैस्टमैंट का अच्छा विकल्प हो सकता है. इस में 15 साल तक इनवैस्टमैंट करनी होती है जिस पर सरकार 7.1त्न ब्याज देती है. सालाना इनवैस्टमैंट की राशि 500 से 1.5 लाख रुपए तक हो सकती है. इसे किसी भी पोस्ट औफिस या बैंक में खोला जा सकता है. इतना ही नहीं इस में इनवैस्टमैंट की रकम पर टैक्स छूट भी ली जा सकती है. इस के अलावा इस में मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स छूट मिलती है.

एक उदाहरण के जरीए इस के फायदे सम?ाने की कोशिश करते हैं. अगर आप पीपीएफ खाते में हर महीने 5 हजार रुपए 15 साल तक जमा करती हैं तो कुल जमा राशि होगी 9 लाख रुपए. इस पर 7.1त्न की दर से 7.27 लाख रुपए ब्याज मिलेगा. इस तरह मैच्योरिटी के बाद आप को कुल 16.27 लाख रुपए मिलेंगे.

नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी)

नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट सब से सुरक्षित इनवैस्टमैंट की स्कीमों में से एक है.

इस में आप एक निश्चित रकम एक निश्चित समय के लिए इनवैस्टमेंट कर सकती हैं, जिस पर 8त्न की दर से ब्याज मिलता है. स्कीम मैच्योर होने के बाद आप को पूरा पैसा मिल जाता है. यह स्कीम महिलाओं के लिए इसलिए अच्छी है क्योंकि एक निश्चित समय में आप की बचत ब्याज समेत वापस मिल जाती है.

उदाहरण के लिए अगर आप ने 1 लाख रुपए का नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट 5 साल के लिए बनवाया तो मैच्योरिटी के बाद आप को 1.46 लाख रुपए मिलेंगे, साथ ही आप इनकम टैक्स सेविंग भी कर सकती हैं.

बैंक फिक्स्ड डिपौजिट स्कीम (एफडी)

फिक्स्ड डिपौजिट स्कीम इनवैस्टमैंट के साथसाथ सेविंग का भी एक अच्छा विकल्प है. इस में आप के खर्च के बाद जो भी रकम बचती है उस की आप एफडी करवा सकती हैं. अलगअलग बैंकों में अलगअलग दर से ब्याज मिलता है. जरूरत पड़ने पर मैच्योरिटी से पहले भी एफडी तोड़ी जा सकती है. इसे किसी भी बैंक में खोला जा सकता है.

उदाहरण के लिए अगर आप ने 5 साल के लिए 1 लाख रुपए की एफडी करवाई है तो 6.5त्न की सालाना ब्याज दर से आप को 5 साल बाद 1.38 लाख रुपए मिलेंगे. यह इनवैस्टमैंट  का सुरक्षित विकल्प है.

म्यूचुअल फंड्स

अब बात करते हैं इनवैस्टमैंट के एक ऐसे विकल्प की जिस में थोड़ा रिस्क है लेकिन रिटर्न भी ज्यादा है. म्यूचुअल फंड शेयर बाजार में सीधा इनवैस्टमैंट नहीं होता. इस में आप फंड मैनेजर के जरीए इनवैस्टमैंट करती हैं. आप सिस्टमैटेक इनवैस्टमैंट प्लान (एसआईपी) के जरीए थोड़ाथोड़ा पैसा भी म्यूचुअल फंड में डाल सकती हैं. आप अपने मोबाइल पर ऐप्लिकेशन डाउनलोड कर के म्यूचुअल फंड में इनवैस्टमैंट शुरू कर सकती हैं.

इस इनवैस्टमैंट पर होने वाले प्रौफिट में से म्यूचुअल फंड कंपनी अपनी फीस काट कर बाकी रकम आप को दे देती है. म्यूचुअल फंड्स की कई अलगअलग स्कीम्स मार्केट में उपलब्ध हैं जैसे डैब्ट फंड्स, इक्विटी फंड्स, बैलेंस्ड फंड्स आदि. इक्विटी फंड में रिस्क और रिटर्न की संभावना अधिक होती है. इस के बाद हाइब्रिड फंड और डेट फंड आते हैं. इक्विटी फंड लंबी अवधि के लिए होते हैं, जबकि डेट फंड छोटी अवधि के लिए होते हैं. महिलाएं म्यूचुअल फंड में इनवैस्टमैंट कर के अच्छा लाभ कमा सकती हैं. सिस्टमैटेक इनवैस्टमैंट प्लान (एसआईपी) सिर्फ 500 रुपए प्रति माह से शुरू किया जा सकता है. म्यूचुअल फंड में होने वाला लौंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है. इस में आप को इनकम टैक्स में छूट भी मिलती है.

सौवरेन गोल्ड बौंड

सोने में इनवैस्टमैंट के कई विकल्प हो सकते हैं. मसलन, गहने, सोने के सिक्के, गोल्ड बुलियंस वगैरह. लेकिन इन सब में सब से अच्छा विकल्प माना जाता है सौवरेन गोल्ड बौंड. इस सरकारी स्कीम में इनवैस्टमैंट से रिस्क बेहद कम हो जाता है और बेफिक्र हो कर रिटर्न हासिल कर सकती हैं. सौवरेन गोल्ड बौंड को रिजर्व बैंक जारी करता है इसलिए इस की शुद्धता को ले कर कोई झंझट नहीं होता.

गोल्ड बौंड पर आप को सालाना 2.50त्न ब्याज मिलता है. गोल्ड बौंड के मैच्योर होने पर उस वक्त बाजार में सोने की जो कीमत होती है उस पर आप बेच सकती हैं. इस की खासीयत यह है कि फिजिकल सोने की तरह इस के स्टोरेज की चिंता नहीं करनी होती.

कुछ अन्य विकल्प

बीमा: जीवन बीमा महिलाओं के लिए सब से पुराने इनवैस्टमैंट विकल्पों में से एक है. यह पौलिसीधारक की मृत्यु की स्थिति में पौलिसीधारक के लाभार्थियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है. यह पौलिसीधारक द्वारा अपने जीवनकाल में भुगतान किए गए प्रीमियम के बदले लाभार्थियों को एकमुश्त राशि (मृत्यु लाभ) का भुगतान करता है. महिलाओं विशेष रूप से जिन के आश्रित हैं उन्हें अपने परिवार की भविष्य की वित्तीय जरूरतों की सुरक्षा के लिए जीवन बीमा पर विचार करना चाहिए.

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ): ईपीएफ भारत में कर्मचारियों के लिए एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है. यह सरकार द्वारा सालाना घोषित एक निश्चित ब्याज दर प्रदान करता है. यह उन महिलाओं के लिए सब से उपयुक्त इनवैस्टमैंट विकल्पों में से एक है जो कम से कम जोखिम के साथ एक विश्वसनीय दीर्घकालिक इनवैस्टमैंट की तलाश में हैं.

निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं ईपीएफ योजना में अधिकतम 2.5 लाख रुपए तक का इनवैस्टमैंट कर सकती हैं जबकि सरकारी क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मचारी 5 लाख रुपए तक की इनवैस्टमैंट कर सकती हैं.

महिलाओं के लिए भारत सरकार की इनवैस्टमैंट योजनाएं इन सब योजनाओं के साथसाथ भारत सरकार महिलाओं के लिए इनवैस्टमैंट विकल्पों की एक सूची प्रदान करती है जो उन के लिए फायदेमंद हैं:

सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई)

एसएसवाई महिलाओं के लिए सब से अच्छे इनवैस्टमैंट में से एक है. यह सरकार द्वारा समर्थित बचत योजना है जिसे विशेष रूप से बालिकाओं के लाभ के लिए डिजाइन किया गया है. इस का उद्देश्य बालिकाओं की वित्तीय सुरक्षा और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक इनवैस्टमैंट विकल्प प्रदान करना है. मातापिता या अभिभावक 10 वर्ष से कम आयु की बालिका के नाम पर एसएसवाई खाता खोल सकते हैं. लड़की के 21 वर्ष की आयु तक पहुंचने तक खाते में योगदान दिया जा सकता है और उस की शिक्षा और विवाह खर्च के लिए निकालने की अनुमति है.

डाकघर महिला सम्मान बचत योजना

महिलाओं के लिए सब से अच्छे इनवैस्टमैंट  विकल्पों में से एक यह योजना भारतीय डाक सेवा द्वारा पेश की जाती है. यह विकल्प महिलाओं के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय इनवैस्टमैंट प्रदान करता है जिस से उन्हें अपनी बचत जमा करने और ब्याज कमाने की अनुमति मिलती है. यह प्रति वर्ष 7.5त्न की एक निश्चित ब्याज दर प्रदान करता है. आप इस योजना के तहत न्यूनतम क्व1,000 और अधिकतम क्व2 लाख का इनवैस्टमैंट कर सकते हैं.

मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना

मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना 2024 के दिल्ली बजट में विशेष रूप से महिला निवासियों के लिए घोषित एक पहल है. इस का उद्देश्य पात्र महिलाओं को क्व1 हजार की मासिक वित्तीय सहायता प्रदान करना है. इस का उद्देश्य दिल्ली में महिलाओं, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना है.

लखपति दीदी योजना

लखपति दीदी पहल भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं के लिए शुरू किए गए नवीनतम इनवैस्टमैंट विकल्पों में से एक है. यह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के बीच आर्थिक सशक्तीकरण और वित्तीय आत्मनिर्भरता पर केंद्र्रित है. लखपति दीदी एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य होती है जिस की वार्षिक घरेलू आय 1 लाख रुपए या उस से अधिक होती है.

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