मालिनी अवस्थी

लोक कलाकार

सुपर मौम वही है जो खुद तो सफल हो ही उस की परवरिश में बच्चे भी आगे बढ़ते हुए अपना मुकाम हासिल करें. उत्तर प्रदेश के कन्नौज की मालिनी अवस्थी ऐसी ही सुपर मौम हैं. उन की एक बेटी और एक बेटा है. बेटी अनन्या डाक्टर है और बेटा अद्वितीय इंजीनियर. बेटी की शादी हो चुकी है. बेटी खुद भी गायन में पूरी तरह निपुण है.

सुर साधना के साथसाथ परिवार और बच्चों की परवरिश करना मालिनी के लिए आसान न था. वे यह सब अपनी कुशलता और पति के साथ की वजह से कर पाईं. आज के समय में अपने कैरियर में संघर्ष के दौरान मालिनी अवस्थी ने बच्चों को कैसे संभाला, आइए जानते हैं उन्हीं से:

सवाल- कजरी के साथसाथ आप ठुमरी, दादरा, भजन भी कैसे गाना सीख गईं?

मेरे पिता पीएन अवस्थी सरकारी सेवा में डाक्टर थे. उन का छोटेबड़े सभी शहरों में ट्रांसफर होता रहता था. इसीलिए मेरे जीवन पर भी सभी शहरों की छाप पडी. इसी का प्रभाव है कि जिस लय और मधुरता के साथ मैं मिर्जापुर की कजरी गाती हूं उसी लय और मधुरता के साथ ब्रज और अवधी के लोकगीत भी गा लेती हूं. मैं ने देश के बाहर भी भारतीय कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया है. मैं ठुमरी, दादरा, निरगुन, चैती, कजरी, भजन और गजल के साथसाथ अवधी और भोजपुरी लोक गीत भी गाती हूं.

सवाल- आप के जीवन में मां का कितना प्रभाव रहा?

मैं ने गायकी का यह मुकाम ऐसे हासिल नहीं किया. हर बेटी की तरह मेरे जीवन पर भी अपनी मां निर्मला अवस्था का बहुत प्रभाव पड़ा. मां को गायकी पसंद थी. वे चाहती थीं कि मैं भी गायकी में अपना हुनर दिखाऊं. 12 साल की उम्र में ही मैं ने संगीत प्रभाकर पास कर लिया. इस के बाद मैं ने गायकी में हर मुकाम हासिल किया. गोरखपुर आकाशवाणी के लिए भी गायन किया. इस के बाद मुड़ कर नहीं देखा.

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