लम्बे, काले, लहराते बाल महिलाओं और लड़कियों की खूबसूरती बढ़ाने में खास भूमिका निभाते हैं. ऑफिस हो या फंक्शन हर स्त्री चाहती है की लोग उस के रेशमी बालों की तारीफ करें. खुले बालों में स्त्रियां खूबसूरत भी लगती हैं और उन का आत्मविश्वास भी निखर कर सामने आता है.

एक मल्टीनेशनल कम्पनी में कार्यरत 40 वर्षीय विभा जायसवाल बताती हैं," जब मैं छोटी थी तब अगर गलती से कभी अपने लंबे बालों को खुला छोड़ दिया तो तुरंत दादी कहा करती थीं कि यह क्या चुड़ैल की तरह बाल खोल कर घूम रही हो. जाओ तेल लगा कर चोटी बांधो. पापा भी मुझे बाल बंधवा कर ही कहीं ले जाते थे. कहते थे कि खुले बालों में भूतनी पकड़ लेगी. आज जब उन बातों को सोचती हूँ तो बहुत हंसी आती है. मेरे पति और सासससुर आधुनिक सोच के इंसान हैं और उन्हें मैं खुले बालों में अच्छी लगती हूँ. "

आज अमूमन हर लड़की बाल खोल कर रखती है. अब इसे फैशन कहें या फिर पसंद इस में कोई बुराई किसी को दिखती भी नहीं. लड़कों को तो लड़कियों के खुले बाल ही पसंद आते हैं.

मगर क्या आप जानते हैं कि आज भी कुछ लोग हैं जो खुले बालों में घूमती स्त्रियों को गलत और नकारात्मक ऊर्जा का वाहक मानते हैं. कट्टरपंथियों की एक जमात है जिन के मुताबिक़ खुले बाल शोक, अशुद्धि और वशीकरण का जरिया है. आजकल फैशन की होड़ में भले ही महिलाएं बालों को खुला रखने लगी हैं मगर यह सरासर गलत है. संस्कारशील और मर्यादित जीवन जीने वाली कुलीन स्त्रियों को हमेशा अपने बाल बाँध कर रखने चाहिए. ये कट्टरपंथी अपनी इस सोच का सत्यापन धर्मशास्त्रों में लिखे कुछ उदाहरणों से करते हैं;

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