अकसर हमारे सामने कई ऐसे प्रश्न उठते हैं जिन्हें सुनसुन कर हम परेशान हो जाते हैं और जवाब देदे कर भी. सवालों का यह सिलसिला स्कूली दिनों से शुरू होता है और शादी के बाद तक खत्म नहीं होता. ये सवाल पूछने वाले होते हैं रिश्तेदार. अगर हम बात करें भारतीय समाज की तो यहां न तो हम रिश्तेदारों के बिना रह सकते हैं और न ही उन के साथ. तंग करने वाले, टांग अड़ाने वाले, ताने देने वाले, दूसरों को नीचा दिखाने वाले जैसे गुण कई लोगों में जन्मजात ही पाए जाते हैं तो कुछ में समय के साथ आ जाते हैं. क्यों, क्या, कब और कैसे जैसे शब्दों को जोड़ कर बात करना रिश्तेदारों को बहुत पसंद होता है.
तो हो जाइए तैयार उन प्रश्नों को जानने के लिए जिन्हें पूछपूछ कर रिश्तेदार और सगेसंबंधी परेशान करते रहते हैं:
कितने मार्क्स मिले
दिल की धड़कनें सब से ज्यादा तब बढ़ती हैं जब आप का रिजल्ट आने वाला होता हैं. तब घबराहट, टैंशन, डिप्रैशन न जाने क्याक्या होने लगता है. रिजल्ट चाहे जैसा हो, आप को उस से ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन मन में सब से बड़ा डर रहता है रिश्तेदारें के फोन का. वैसे तो रिश्तेदारों साल भर हालचाल नहीं पूछते, लेकिन रिजल्ट आने के बाद उन के फोन कुछ ज्यादा ही आने लगते हैं. रिजल्ट जानने के बाद वे अपने ऐक्सपर्ट कमैंट देना भी नहीं भूलते. अगर आप का परिणाम बुरा आता है तो ये लोग बारबार पूछ कर दर्द पहुंचाते रहते हैं. इस दर्द को कम करने के लिए यह जवाब सही रहेगा कि मेहनत मार्क्स लाने के लिए नहीं मंजिल पाने के लिए कर रहे हैं.
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