‘घर की मुरगी दाल बराबर’ कहावत पूरे देश में मशहूर है. कहावत में मुरगी और दाल में जमीनआसमान का अंतर समझाने की कोशिश की गई है. मुरगी को महंगा और दाल को सस्ता बताया गया है. इस कहावत का अर्थ है कि आसानी से मिलने वाली चीज की कोई कीमत नहीं है. जिस समय यह कहावत बनी होगी उस समय किसी ने यह सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन ऐसा आएगा कि मुरगी और दाल की कीमत एकसमान हो जाएगी. आज बाजार में अरहर की दाल क्व120 प्रति किलोग्राम हो गई है. मुरगी की कीमत भी इतनी ही है. मुरगी की कीमत हो सकता है किसी दुकान में कम भी हो पर दाल कहीं भी क्व120 प्रति किलोग्राम से कम नहीं है. सरकार उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण करने की बहुत कोशिश कर रही है, बावजूद इस के इस दाल की कीमत कम नहीं हो रही.

किचन में प्रयोग होने वाली चीजों में सब से अधिक भाव अरहर दाल का ही बढ़ा है. इस की सब से बड़ी वजह है कि अब किसानों ने अरहर की बोआई कम कर दी है. अनाज में अरहर ऐसी फसल होती है, जिस की पैदावार में 9 माह का समय लगता है. पहले लोगों के पास जमीन ज्यादा होती थी तो कुछ खेत अरहर की खेती के लिए छोड़ दिए जाते थे. जिस जमीन में सिंचाई की सुविधा कम होती थी उस में गेहूं और धान जैसी फसलें नहीं होती थीं. अरहर की खेती वहीं की जाती थी. अब खेतों के लगातार घटने से किसान अपने खेतों को 9 माह के लंबे समय तक नहीं फंसाना चाहता है. फिर पहले जिन जगहों पर सिंचाई की सुविधा नहीं होती थी अब वहां भी सिंचाई की सुविधा होने लगी है, इसलिए भी किसान अरहर की खेती बंद कर दूसरी फसलों की खेती करने लगा है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...