एक स्त्री की आत्मा उसी वक्त आत्महत्या कर लेती है जब उसके साथ बलात्कार होता है. ये घटना उस स्त्री को अन्दर से तोड़कर रख देती है, लेकिन उस छोटी सी बच्ची का क्या जिसे इसका मतलब भी नहीं पता और वे एक हैवान की हैवानियत का शिकार हो गई.

हाल ही में एक सनसनीखेज वारदात से दिल्ली फिर दहल गई. एक मासूम बच्ची की अस्मत के साथ खिलवाड़ किया गया. उस बच्ची को आरोपी टौफी दिलाने के बहाने ले गया और फिर झाड़ियों में ले जाकर कुकर्म को अंजाम दिया. फिलहाल आरोपी को सीसीटीवी फुटेज की मदद से गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन बच्ची की हालात नासाज है. वे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी बच्ची की हालत को जानने अस्पताल पहुंचे थे.

आखिर कब तक होगा ये सब…

पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की बात भी कही, लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर कबतक? कबतक इस तरह की वारदात होती रहेगी और दिल्ली सरकार कर क्या रही है? एक बार फिर से इस घटना ने दिल्ली को कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया है. आज से कुछ साल पहले जब देश की राजधानी दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था तब पूरी दिल्ली सड़क पर उतर आई थी तब सरकार ने कहा था कि इसके लिए कड़े से कड़े कानून बनाए जाएंगे. लेकिन आज जब फिर से दिल्ली में निर्भया जैसी घटना घटी तो फिर से राजनेता अपनी राजनीति की रोटियां सेंकने में लग गए हैं. क्या उस बच्ची के साथ जो हुआ वो उसे भूल पाएगी. शायद जब वो बड़ी हो जाए तो उसे समझ आए कि उसके साथ क्या हुआ था. अभी तो बस उसके बचने की दुआ ही की जा सकती है. आरोपी की पहचान मोहम्मद नन्हें के रुप में की गई है.

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मुझे तो ये समझ नहीं आता की आखिर इन हैवानों के अंदर क्या जरा सी भी दया नहीं होती. एक स्त्री क्या ये तो छोटी सी बच्ची को भी नहीं छोड़ते. क्या इनका अपना कोई परिवार नहीं या फिर इन्हें परवरिश ही अच्छी नहीं मिलती. ये हैवान इस तरह के गलत काम करने की हिम्मत कहां से लाते हैं जो इंसानियत को शर्मसार कर देती है.

सुरक्षा पर सवाल…

आज एक बार फिर से देश की राजधानी की सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए हैं. अभी तक तो सिर्फ महिलाएं, लड़कियां घर से रात को बाहर निकलने पर डरती थीं लेकिन इस घटना के बाद अब तो लोग अपनी छोटी सी बच्ची को खेलने के लिए भी भेजने से डरेंगे. उनके बच्चे अपना बचपन भी नहीं खेल पाएंगे. क्योंकि अब तो उनका बचपन भी सुरक्षित नहीं रहा है. आज सिर्फ इस बच्ची की ही बात नहीं है आए दिन खबर सुनने को मिलती है कि पांच साल की बच्ची से रेप, तो कभी सात साल की बच्ची से रेप.

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जिन बच्चों ने ठीक से बोलना भी नहीं सीखा उनके साथ भी बलात्कार जैसी घटना घट रही है देश कहां जा रहा है हमारा. क्या ये भारत है? आज ये सवाल सिर्फ आप से, मुझसे या दिल्ली प्रशासन से,भारत सरकार से ही नहीं बल्कि पूरे भारत को लोगों से है. सरकार को इसके लिए कुछ कड़े रुख अपनाने होंगे और कुछ कड़े कानून का प्रावधान करना होगा वरना वो दिन दूर नहीं जब घर में बच्ची को जन्म देने से भी लोग डरेंगे की कहीं उसके साथ बलात्कार न हो जाए.

जरा सोचिएगा आप भी…

एडिट बाय- निशा राय

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