अंजलि की ग्रैजुएशन की परीक्षा चल रही थी. एक दिन वह परीक्षा की तैयारी कर रही थी कि अचानक बिजली गुल हो गई. उस ने इनवर्टर औन किया तो भी घर में बिजली नहीं आई, जबकि पड़ोस के घरों में बिजली थी. उस समय रात के 10 बज रहे थे. किसी इलैक्ट्रीशियन को बुलाना भी संभव नहीं था. अंजलि ने जैसेतैसे मोमबत्ती की रोशनी में परीक्षा की तैयारी की और दूसरे दिन परीक्षा दे पाई.

परीक्षा के बाद अंजलि ने अपनी मां से कहा कि मुझे भी बिजली का काम सीखना है ताकि ऐसी स्थिति आने पर छोटेमोटे फौल्ट खुद ठीक कर पाऊं.

अंजलि की मां ने कहा कि तुम लड़की हो कर बिजली का काम कैसे सीख पाओगी, लेकिन अंजलि ने कहा कि मां आज तमाम लड़कियां इलैक्ट्रिक और इलैक्ट्रौनिक्स में आईटीआई, पौलिटैक्निक व इंजीनियरिंग की डिग्रियां ले रही हैं. सभी डिग्रियों में यही सारी चीजें सिखाई जाती हैं तो मैं क्यों नहीं सीख सकती.

अंजलि की मां ने उस के पापा से कह कर अंजलि को बिजली का काम सीखने की इच्छा से अवगत करा दिया.

अंजलि के पापा को पहले तो यह बात बड़ी अजीब लगी, लेकिन जब उन्होंने रात में मेनस्विच का फ्यूज उड़ जाने की वजह से परीक्षा की तैयारी में बाधा आने के बारे में सुना तो उन्हें भी लगा कि अंजलि भले ही उन की इकलौती लड़की है, लेकिन उसे बिजली का काम सिखाने में हर्ज नहीं. यह छोटीमोटी समस्याओं से नजात दिलाने में कारगर साबित होगा.

उन्होंने अपने नजदीकी इलैक्ट्रीशियन से अंजलि को बिजली का काम सिखाने के लिए राजी कर लिया. उस ने 2 महीने की छुट्टियों में इलैक्ट्रीशियन से बिजली के छोटेमोटे काम सीख लिए.

इस के बाद घर में जब भी बिजली का छोटामोटा फौल्ट होता या कोई औैर समस्या होती तो बिना इलैक्ट्रीशियन को बुलाए उसे वह खुद ठीक कर लेती.

अंजलि ने जो निर्णय लिया वह काबिलेतारीफ था. उस ने न केवल लड़कियों पर लगे इस आक्षेप को दूर किया कि लड़कियां बिजली का काम नहीं सीख या कर सकतीं बल्कि यह भी साबित कर दिया कि कोई भी काम सीखना कठिन नहीं है.

अकसर घरों में बिजली की जो समस्याएं देखी जाती हैं उन में मेन स्विच का फ्यूज का उड़ जाना, तार में शौर्टसर्किट होना, विद्युत उपकरणों का फ्यूज हो जाना, पंखे का रैग्यूलेटर खराब होना, ट्यूबलाइट का स्टार्टर खराब होना, प्रैस आदि में छोटेमोटे फौल्ट होना आम बात होती है. इस के लिए हम इलैक्ट्रीशियन के पास जाते हैं तो वह मनमाफिक पैसे की मांग करता है, जबकि काम कुछ भी नहीं होता. ऐसे में अगर घर के किशोर थोड़ी हिम्मत करें तो बात बन सकती है.

बिजली के अलावा जो चीज महत्त्वपूर्ण है, वह है वाटर सप्लाई, जिस के माध्यम से घर के अलगअलग हिस्सों में न केवल पानी पहुंचाया जाता है बल्कि सीवर, शौचालय, आरओ सिस्टम इत्यादि महत्त्वपूर्ण चीजें भी इन्हीं से जुड़ी होती हैं. ऐसे में अगर अचानक पानी के पाइप में कहीं लीकेज हो जाए तो उस दिन नहानेधोने से ले कर शौच जाने व पीने के पानी तक की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है.

अचानक आई इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए प्लंबर के पास भागने के बजाय अगर थोड़ाबहुत काम सीख लिया जाए तो समस्या का समाधान घर पर ही सस्ते में हो सकता है.

खाली समय में सीखें काम

इलैक्ट्रिक व प्लंबरिंग से जुड़ी छोटीमोटी परेशानियों से नजात पाने के लिए अगर अपने खाली समय का उपयोग किया जाए और किसी ऐक्सपर्ट इलैक्ट्रीशियन या प्लंबर के साथ काम सीखा जाए तो यह फायदेमंद साबित हो सकता है. प्लंबर का काम करने वाले लोगों को अकसर काम के दौरान सहायक की जरूरत होती है, जो उन के कार्यों  में सहयोग करते रहते हैं. इन लोगों से संपर्क कर प्लंबरिंग व इलैक्ट्रिक का काम सीखा जा सकता है.

बिजली मिस्तरी संजय रावत का कहना है कि अकसर घरों में बिजली की वायरिंग, बिजली के उपकरणों की फिटिंग के दौरान ऐक्सपर्ट के रूप में अकेले काम नहीं किया जा सकता है. इसलिए हमें सहायक की आवश्यकता होती है. बिजली मरम्मत के कार्यों की जानकारी न होने के बावजूद इन्हें अच्छीखासी राशि का भुगतान भी करना पड़ता है. अकसर हमारे साथ सीखने वाले लोग कुछ ही दिन में इलैक्ट्रिक का काम करतेकरते ऐक्सपर्ट बन जाते हैं और कमाई भी करने लगते हैं.

इसी तरह प्लंबरिंग से जुड़े फौल्ट जैसे छोटेमोटे कार्यों को किसी प्लंबर का सहायक बन कर सीखा जा सकता है और इस से जहां घर की छोटीमोटी समस्या सुलझती है वहीं आप आसपास काम कर कमाई भी कर सकते हैं. बिजली मिस्तरी या प्लंबर 400-500 रुपए तक ले लेता है जबकि इन छोटेमोटे कार्यों के बारे में खुद जानकारी रखी जाए तो अनावश्यक पैसे के खर्च से बचा जा सकता है.

कोई भी सीख सकता है काम

यह जरूरी नहीं कि बिजली व प्लंबरिंग से जुड़े मरम्मत के कार्य करने की क्षमता सिर्फ लड़कों में ही होती है, बल्कि लड़कियां भी इस तरह के कार्य आसानी से कर सकती हैं. बिजली मरम्मत का कार्य सीखने वाली लड़की नाजमीन का कहना है कि वह इलैक्ट्रिक ट्रेड से आईटीआई का कोर्स कर रही है. जब उस ने इस कोर्स को करने का निर्णय लिया तो उस के घर वालों ने उस का विरोध किया, लेकिन नाजमीन ने सब को विश्वास में ले कर इस कोर्स में दाखिला लिया. वह आईटीआई के अंतिम वर्ष में है. वह न केवल बिजली के खंभों पर चढ़ कर बिजली मरम्मत का कार्य कर लेती है बल्कि घरों में वायरिंग व छोटेबड़े फौल्ट दूर करने में भी निपुण है.

लड़कियां इलैक्ट्रीशियन, प्लंबर से तो काम सीख ही सकती हैं इस के अलावा सरकारी संस्थान कम समय के बिजली व प्लंबरिंग से जुड़े ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित करते हैं जहां से न केवल निशुल्क ट्रेनिंग ली जा सकती है बल्कि इस के लिए सरकारी छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है.

भारत सरकार व राज्य सरकार कारीगरों से जुड़ी ट्रेनिंग स्थानीय लैवल पर उपलब्ध करा रही है. भारत सरकार द्वारा कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, नैशनल स्किल डैवलपमैंट कौरपोरेशन सहित तमाम विभागों व मंत्रालयों द्वारा एनजीओ व ट्रेनिंग देने वाली कंपनियों के माध्यम से प्रशिक्षित किए जाने का काम किया जा रहा है, जो न केवल निशुल्क होता है बल्कि टे्रनिंग पूरी होने के बाद इस का प्रमाणपत्र वजीफा भी दिया जाता है. ऐसे में ट्रेनिंग के इच्छुक लड़केलड़कियां इलैक्ट्रीशियन व प्लंबरिंग का काम सीखने के लिए इन से संपर्क कर सकते हैं.                                 

घर में रखें टूलबौक्स

बिजली या प्लंबरिंग से जुड़े कार्य या मरम्मत के लिए तमाम तरह के उपकरणों या टूल्स की जरूरत पड़ती है. इन टूल्स के बिना कोई भी ऐक्सपर्ट मरम्मत का कार्य नहीं कर सकता इसलिए अगर आप ने इलैक्ट्रीशियन या प्लंबरिंग का काम सीख लिया है तो इस के साथ रिपेयर के लिए काम आने वाले आवश्यक टूल्स भी घर पर रखना न भूलें.

बिजली मरम्मत में काम आने वाले प्रमुख टूल्स

बिजली उपकरणों की मरम्मत करने के लिए सब से जरूरी टूल के रूप में ग्लव्स का इस्तेमाल होता है. ये उन चीजों से बने होते हैं जिन में अगर गलती से बिजली का नंगा तार छू जाए तो झटका लगने की आशंका नहीं होती. इस के अलावा बोर्ड, स्विच या बिजली के उपकरणों के पेच कसने के लिए अलगअलग साइज के स्क्रूड्राइवर सैट की जरूरत पड़ती है.

बिजली मरम्मत में काम आने वाला एक महत्त्वपूर्ण टूल प्लायर होता है जिस के द्वारा तारों को आपस में जोड़ने, ऐंठने का काम किया जाता है. वहीं नोज प्लायर के द्वारा दबाने व चैनल लौक  के द्वारा भी लौक किए जाने का काम किया जाता है. बिजली के अन्य कुछ टूल्स जिन का महत्त्वपूर्ण उपयोग होता है, उन में वायर कटर, टैस्टर, अलगअलग साइज के रिंच, निडिलनोज प्लायर, स्ट्रिपर, रेजर चाकू, रोटो स्प्रिट, पाइप रीमर इलैक्ट्रिक लेबल, अर्थ मैग्नेट टेप, वोल्टेज डिटैक्टर, सीटरौकसा, मैग्नेटिक नट ड्राइवर, इंसूलेटेड स्कू्रड्राइवर सैट, स्क्रूहोल्डरसैट, नाकआउट सैट, टोन जनरेटर, टैगआउट किट, ड्रिल बिट्स, लैड हैड, लैंप, सहित जरूरत पर आने वाले तमाम टूल्स का उपयोग किया जाता है.

आप के घर में जिस तरह के वायर या वायरिंग का उपयोग किया गया है इस के लिए जरूरी टूल्स को अपने घर पर जरूर रखना चाहिए जिस से अचानक आने वाले किसी फौल्ट से निबटा जा सके.

प्लंबरिंग के काम में आने वाले जरूरी उपकरण

प्लंबरिंग में अकसर जो पाइप ब्लौकेज, लीकेज या टूटफूट की समस्या देखी गईर् है, इस के हिसाब से इन की मरम्मत के लिए जिन महत्त्वपूर्ण उपकरणों की जरूरत पड़ सकती है उन में एडजस्टेबल रिंच, टेफलान टेप, पाइप कटर, पाइप लुब्रिकैंट्स और ब्रश, वैसिन रिंच हैं. इन में पाइप कटर द्वारा आवश्यकता पड़ने पर पाइप को काट कर जोड़ने, टेप के माध्यम से नापने का काम किया जा सकता है. इस के अलावा भी तमाम तरह के टूल्स की जरूरत पड़ सकती है, जिस में इनसाइड और आउटसाइड पाइप रीमर, इलैक्ट्रिक ड्रिल, घर में लगी टोंटियों के साइज की दूसरी टोंटियां इत्यादि हैं.     

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