दो साल पहले ‘यूपी सैनिक स्कूल’ में तब तक 58 साल के इतिहास को पलटते हुए पहली बार 17 लड़कियों को प्रवेश दिया गया था ताकि वह भी लड़कों की तरह यूनिफार्म पहन करके सैनिक, सेलर व पायलट बन सकें. हालांकि महिलाएं लंबे समय से सैनिक स्कूलों में प्रवेश के लिए आंदोलन कर रही थीं, लेकिन तब तक यह उम्मीद नहीं थी कि अगले दो सालों के भीतर ही देशभर के सैनिक स्कूलों में महिलाओं को प्रवेश का अधिकार मिल जायेगा. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में 1960 में स्थापित यूपी सैनिक स्कूल तब देश का एकमात्र ऐसा सैनिक स्कूल बन गया था, जहां 17 लड़कियों को शायद प्रतीकात्मक तौरपर प्रवेश दिया गया था. शायद यह इसलिए भी संभव हुआ था, क्योंकि यूपी सैनिक स्कूल देश का एकमात्र ऐसा स्कूल था, जिसे सेना की बजाय उत्तर प्रदेश सरकार चला रही थी.
लेकिन यूपी स्कूल की प्रतीकात्मक शुरुआत रंग लायी. अब देश के सैनिक स्कूलों में लड़कियों के लिए 10 प्रतिशत सीट आरक्षित कर दी गई हैं. लड़कियां 2021-22 के अकादमिक सत्र से इसका लाभ उठा सकेंगी. रक्षा मंत्रालय के इस निर्णय से उम्मीद है कि लड़कियों को सशस्त्र बलों का हिस्सा बनने के लिए सैनिक स्कूलों की पढ़ाई प्रोत्साहित करेगी. साल 2018 में जिन 17 लड़कियों को यूपी सैनिक स्कूल में प्रवेश दिया गया था, उन्हें कक्षा 9 में प्रवेश मिला था. हालांकि यहां प्रवेश लेने वाली लड़कियों को शुरु मंे काफी कठिनाई हुई थी. लेकिन कुछ महीने गुजरने के बाद वे नये माहौल में रच बस गईं थीं. वास्तव में रक्षा मंत्रालय ने अगर दो साल बाद 10 फीसदी लड़कियों को सैनिक स्कूलों में प्रवेश की इजाजत दी है, तो सही मायनों में इसके लिए जमीन इन 17 लड़कियों ने ही तैयार की थी.
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