पहले राजा अपने गुप्तचरों पर निर्भर रहते थे कि उन्हें अपने शासन क्षेत्र में रह रहे नागरिकों के बारे में छिपी जानकारी मिल सके. आज कंप्यूटरों ने जहां जीवन काफी सरल बना दिया है, वहीं उन्होंने गुप्तचरों की जगह भी ले ली है. कंप्यूटर के जरीए आज का राजा यानी सरकार हर नागरिक पर नजर रख सकती है. आज का तंत्र ऐसा हो गया है कि जो भी कुछ है वह कंप्यूटर के बिना नहीं रह सकता और अब सरकार ने इस विधा का लाभ उठा कर हर जानकारी इंटरनैट व कंप्यूटर से लेनी शुरू कर दी है.
कंप्यूटरों को धोखा देना आसान नहीं है, क्योंकि ये अरबों रिकौर्डों में से मतलब की जानकारी सैकंडों में जमा कर सकते हैं. आईटी क्षेत्र में नईनई तकनीकें विकसित हो रही हैं. न केवल वह जानकारी जो किसी नागरिक ने दूसरों को या सरकार को दी, बल्कि उसे भी जो उस के अपने कंप्यूटर में है, सरकार हासिल कर सकती है.
आधार नंबर पर बहस के दौरान सर्वोच्च न्यायालय आमतौर पर मान कर चला है कि सरकार के पास यह जानकारी जनहित और अच्छे शासन के लिए है चाहे उस का मनमाना उपयोग किया जाए. कहने को सरकार लगातार कहे जा रही है कि आधार के माध्यम से केवल बेईमानों, कालाबाजारियों, कर चोरों, आतंकवादियों को गिरफ्त में ले लेगी पर यह पक्का है कि अगर जानकारी जमा होगी तो हर सरकार विरोधी को कर चोर कह देना बेहद आसान है.
सरकार का आम जनता पर अंकुश अब कंप्यूटर के सहारे कई गुना बढ़ जाएगा और उसे गुप्तचरों की नहीं, टैक सेवियों की जरूरत होगी जो सरकार को हर तरह की सेवा दे सकते हों. अब हर नागरिक सरकार की निगाह में है. ऐसे में सरकार को तानाशाह बनने से कोई नहीं रोक सकता और इस के लिए सरकार को बंदूकों की भी जरूरत नहीं रहेगी, केवल कंप्यूटरों की होगी.