वह दौर लोग भूले नहीं हैं जब बिहार पढ़ने के लिए जाना जाता था और उसमें भी अव्वल नाम रांची का हुआ करता था जो अब झारखंड की राजधानी है. इस मझोले खूबसूरत शहर में पढ़ने का जज्बा आज भी कितनी शिद्दत से मौजूद है इसकी एक बानगी या मिसाल बीती 15 जनवरी को देखने में आई जब एक सादे से समारोह में रांची की 15 जागरूक और बुद्धिजीवी महिलाओं ने उत्साहपूर्वक अपनी चहेती पत्रिका गृहशोभा के बेनर तले गृहशोभा क्लब का गठन किया.

इस मीटिंग में परिवार , समाज और देश से ताल्लुक रखते कई अहम मसलों पर गंभीरता से चर्चा हुई जिसमें रूपा अग्रवाल , सरोज गर्ग , शोभा जाजू , निरा बथवाल , मंजू लोहीया , नैना मोर , सुशीला पोद्दार और और मंजू अग्रवाल ने खुलकर अपने अपने विचार व्यक्त किए. गृहशोभा प्रतिनिधि भारत भूषण श्रीवास्तव की मौजूदगी में सम्पन्न हुये इस आयोजन में रांची के वरिष्ठ लेखक प्रभाकर अग्रवाल व स्वतंत्र पत्रकार पंकज यादव भी उपस्थित थे.

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तलाक दर में बढ़ोत्री , बच्चों में मोबाइल की विकराल रूप लेती लत और चिड़चिड़ापन, परिवार के सदस्यों के बीच पसरती संवादहीनता और आत्महत्या की बढ़ती प्रवृति पर सभी ने चिंता व्यक्त की और एक सुर में यह निष्कर्ष निकाला कि पढ़ने लिखने  की आदत छूटने से भी ये समस्याएँ दिनों दिन बढ़ रहीं हैं. तय यह किया गया कि क्लब मेंबर्स यथासंभव स्कूल कालेजों में जाकर बच्चों व युवाओं को पढ़ने का महत्व और फायदे समझाएगी और इसके लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं भी समय समय पर आयोजित करेंगी जिससे उनकी दिलचस्पी पढ़ने में बढ़े.

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