Grihshobha Inspire : वूमंस डे 2025 के खास मौके पर यह सूचित करते हुए खुशी हो रही है कि सशक्त महिलाओं की परिभाषा गढ़ने वाली पत्रिका गृहशोभा की ओर से 20 मार्च को ‘Grihshobha Inspire Awards’ इवेंट का नई दिल्ली में आयोजन हो रहा है. यहां उन महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा, जिनके उल्लेखनीय योगदान लाखों लड़कियों और महिलाओं को Inspire कर रहे हैं. एक सर्वे के माध्यम से हमने सैकड़ों महिलाओं से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की है कि वे ‘किस महिला से इंस्पायर होती हैं’?, ‘सरकार से महिलाओं को लेकर उनकी क्या उम्मीदें हैं’ और ‘एक आम महिला को इंस्पायरिंंग वुमन बनने की राह में क्या बाधाएं आती हैं ’? 49 वर्षीय संगीता चौरसिया ने अपने विचारों को कुछ इस तरह से हमारे सामने रखा.
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) में कार्यरत संगीता की दुनिया उस समय पल भर को ठहर जाती है जब उन्हें पता चलता है तक उनके बेटे को सेलिब्रल पाल्सी है. बेटे की देखभाल करने के लिए संगीता को एक भारत सरकार की एक प्रतिष्ठित संस्था की जॉब छोड़नी पड़ती है. संगीता का कहना है कि मैंने हार मान कर जॉब नहीं छोड़ी थी, मेरे सामने एक नई चुनौती थी, जिसका सामना मुझे करना था. थोड़ी देर बातचीत करने के बाद यह महसूस होता है कि संगीता खुद ही एक इंस्पिरेशन हैं लेकिन संगीता से जब उनके इंस्पिरेशन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि भारत की महिला राष्ट्रपति द्रौपदी र्मूमू उनको इंस्पायर करती हैं. संगीता का मानना है कि द्रौपदी मूर्मू बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आती हैं, अनुसूचित जनजाति से होने के बावजूद उन्होंने यह साबित किया कि महिलाओं अगर चाहे, तो सर्वोच्च पद पर भी अपनी जगह बना सकती हैं. द्रौपदी र्मूमू के अलावा मुझे सुधा मूर्ति भी बहुत इंस्पायर करती हैं.
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