Grihshobha Inspire : वूमंस डे 2025 के खास मौके पर यह सूचित करते हुए खुशी हो रही है कि  सशक्‍त महिलाओं की परिभाषा गढ़ने वाली पत्रिका गृहशोभा की ओर से 20 मार्च को ‘Grihshobha Inspire Awards’ इवेंट का नई दिल्‍ली में आयोजन हो रहा है. यहां उन महिलाओं को सम्‍मानित किया जाएगा, जिनके उल्‍लेखनीय योगदान लाखों लड़कियों और महिलाओं को Inspire कर रहे हैं. एक सर्वे के माध्‍यम से हमने सैकड़ों महिलाओं से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की है कि वे ‘किस महिला से इंस्‍पायर होती हैं’ ?, ‘सरकार से महिलाओं को लेकर उनकी उम्‍मीदें क्‍या है’ और ‘एक आम महिला को इंस्‍पायरिंंग वुमन बनने की राह में क्‍या बाधा है’?  एक चर्चित कंपनी में कंसल्‍टेंट श्रूति टंडन की इंस्‍प‍िरेशन हैं, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, ‘इंस्पायरिंग वुमन’ को लेकर उनकी सोच यहां दी जा रही है.

इंदिरा गांधी ही क्‍यों

श्रूति टंडन का मानना है कि लोगों को ऐसा महसूस हो सकता है कि इंदिरा गांधी, देश के पहले प्रधानमंत्री की बेटी थी इसलिए उनके लिए पीएम बनना बहुत आसान रहा होगा. पर मेरा मानना है कि महिलाओं के लिए चुनौतियां हमेशा से रही है, चाहे वो पारिवारिक हो या सामाजिक. श्रूति बताती है कि जिस समय मिसेज गांधी प्रधानमंत्री बनी, उस समय उनके सामने भी ढेरों चुनौती रही होगी. भारत जैसे विशाल देश की पीएम एक महिला हो, इसे एक्‍सेप्‍ट करने में लोगों को काफी समय लगा होगा, तभी तो उन दिनों उनको भी पुरुषों से भरे राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए काफी मजबूत रुख अपनाना पड़ा . उन्‍हें भी गूंगी गुडिया कहा गया लेकिन बाद में उनके भाषणों को सुनने के लिए लंबी भीड़ उमड़ने लगी. मेरा मानना है कि महिला किसी भी वर्ग की हो उसे अगर समाज में जगह बनानी है, तो संघर्ष करना ही पड़ेगा.

खुद से लड़ना होगा

जहां तक परिवार और समाज के रोकटोक की बात है, तो श्रूति ऐसा नहीं मानती. उनका कहना है कि महिलाओं की लड़ाई खुद से होती है. अपनी क्षमता को लेकर अगर उनके मन में संदेह रहेगा, तो कोई भी उनकी मदद नहीं कर सकता है. उन्‍हें अपने अंदर का बैरियर तोड़ना होगा. महिलाओं को कई तरह के विषयों पर परामर्श देने का काम कर रही श्रूति बताती हैं कि बहुत सारी महिलाएं खुद की जिंदगी को लेकर स्‍पष्‍ट सोच नहीं रखती हैं. कुछ अधेड़ उम्र की महिलाएं काम करना चाहती हैं, कुछ महिलाएं बच्‍चों की खातिर जौब से ब्रेक लेती हैं और दोबारा नौकरी करना चाहती हैं, कुछ अपना रोजगार शुरू करना चाहती हैं पर यही सोचती रहती हैं कि इससे उनकी फैमिली तो डिस्‍टर्ब नहीं होगी, ये सभी महिलाओं की चाहत है लेकिन वह पहला कदम उठाने को लेकर खुद पर संदेह कर रही होती है. जब महिलाएं खुद पर भरोसा करेंगी तभी लोग उन पर भरोसा करेंगे.

नीतियों को प्रभावशाली बनाना होगा

आज सरकार की तरफ से मदद तो दी जा रही है लेकिन बहुत कम लोगों तक यह पहुंच पा रही है. गर्वनमेंट को चाहिए कि वह अधिक से अधिक जरूरतमंद लड़कियों तक अपनी मदद पहुंचाएं, उनको स्किल्‍स सिखाएं, उनकी आर्थिक मदद करें. अब बहुत सारी लड़कियां आगे आ रही है इसलिए उनकी संख्‍या के अनुपात को देखते हुए मदद की जानी चाहिए. हर लड़की तक सरकारी मदद पहुंचनी जरूरी है.

‘गृहशोभा इंस्‍पायर अवार्ड्स’ इवेंट में रजिस्‍टर करने के लिए लिंक क्लिक करें
https://www.grihshobha.in/inspire/register

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