Grihshobha Inspire : वूमंस डे 2025 के खास मौके पर यह सूचित करते हुए खुशी हो रही है कि  सशक्‍त महिलाओं की परिभाषा गढ़ने वाली पत्रिका गृहशोभा की ओर से 20 मार्च को ‘Grihshobha Inspire Awards’ इवेंट का नई दिल्‍ली में आयोजन हो रहा है. यहां उन महिलाओं को सम्‍मानित किया जाएगा, जिनके उल्‍लेखनीय योगदान लाखों लड़कियों और महिलाओं को Inspire कर रहे हैं. एक सर्वे के माध्‍यम से हमने सैकड़ों महिलाओं से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की है कि वे ‘किस महिला से इंस्‍पायर होती हैं’ ?, ‘सरकार से महिलाओं को लेकर उनकी उम्‍मीदें क्‍या है’ और ‘एक आम महिला को इंस्‍पायरिंंग वुमन बनने की राह में क्‍या बाधा है’?  दिल्‍ली की हिमानी चोपड़ा ने अपने व्‍यूज को कुछ इस तरह शेयर किया –

मेकअप आर्टिस्‍ट बनने की जर्नी
हिमानी चोपड़ा, जब केवल 20 साल की थीं, तो उनकी शादी हो गई.   21 साल की उम्र में उन्‍होंने अपने पहले बेटे को जन्‍म दिया और 30 साल की उम्र आने तक वो दोबारा मां बनी.  हिमानी ने कहा कि 30 साल की उम्र में मुझे यह महसूस हुआ कि मुझे अब अपने लिए कुछ करना चाहिए.  आज मैं एक मेकअप आर्टिस्‍ट हूं, मैंने इस फील्‍ड के कई बड़े लोगों से ट्रेनिंग ली है और आज ट्रेनिंग दे रही हूं.   

खुद को कमतर न समझें 
हिमानी का मानना है कि महिलाओं की राह की सबसे बड़ी बाधा खुद को कमतर समझने की उनकी अपनी सोच ही है.  खुद को काबिल बनाने के लिए उन्‍हें यह सोचना होगा कि वह आम नहीं खास है. मुझे भी ऐसा ही लगा था तभी मैंने अपने स्किल्‍स को डेवलप करना शुरू किया. आज इंस्‍टाग्राम पर मेरे 85 हजार से भी अधिक फौलोअर्स हैं.  कुछ इवेंट्स में मुझे सम्‍मानित भी किया गया है. 

मेरी दादी मेरी मोटिवेशन

हिमानी बताती हैं,  “जिस महिला ने मुझे सबसे अधिक मोटि‍वेट किया, वो मेरी दादी थीं. वह होम्‍योपैथ की डौक्‍टर थीं. उनके 10 बच्‍चे थे. उस जमाने में वह इंग्लिश नावेल पढ़ा करती थीं.  उन्‍होंने अभी सभी बेटियों को पोस्‍ट ग्रेजुएशन तक पढ़ाया.  मेरे पापा के नानाजी एक क्रांतिकारी थे, उन्‍हें भगत सिंह के साथ जेल भी हुई थी. मेरी दादी भगत सिंह की मुंहबोली बहन थी. शायद क्रांतिकारियों के परिवार से होने की वजह से ही वह बहादुर थी और कठिन परिस्थितियों से हार नहीं मानती थीं”.

समाज की सोच
हो सकता है आज के जमाने में खुद को ग्रुम करने को लेकर सभी महिलाओं के लिए एक जैसी स्थिति नहीं हो,  कुछ महिलाओं की राह में उनका अपना घर ही बाधा बन कर खड़ा हो जाता है . हिमानी ने कहा कि जब मैंने अपना काम करना शुरू किया, तो मेरी मां ने भी मुझे कहा था कि तुम काम करोगी, तो बच्‍चों की देखरेख कौन करेगा?

पहला कदम खुद बढ़ाना होगा  

मेरा मानना है कि आज महिलाओं को कई तरह की फैसिलिटि सरकार की ओर से मिल रही है लेकिन पहला कदम तो उन्‍हें ही बढ़ाना होगा.  मेरे पास आज कई कमजोर आर्थिक स्थिति वाले घरों से आने वाली लड़कियां मेकअप आर्टिस्‍ट बनने की ट्रे‍निंग ले रही हैं, मैं उन्‍हें सिखाती हूं तो इस बात का इत्‍मीनान महसूस करती हूं कि वह अपने पैरों पर खड़ा होकर अपने जीवन को किस तरह से जीना है इसका निर्णय ले सकेंगी.

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