‘‘तुम चिंता मत करो, पोन्नी. तुम्हारे परिवार वाले क्या कर सकते हैं. अधिक से अधिक वे थोड़ी मारपीट ही तो करेंगे, मगर फिर कुछ दिनों बाद हमारे रिश्ते को स्वीकार कर लेंगे. तुम कल सुबह मुझे 6 बजे तक जरूर उठा देना,’’ ये अंतिम शब्द थे केविन जोसेफ के, जो उस ने 27 मई की रात को अपनी गर्लफ्रैंड नीनू से कहे थे. इस के बाद केविन ने फोन ही नहीं उठाया. कई घंटे बाद नीनू को पता चला कि उस के घर वालों ने केविन का अपहरण कर लिया है.
28 मई की सुबह उस की तैरती हुई लाश एक नहर से बरामद हुई. स्थानीय लोगों की मदद से निकाले गए केविन के शव पर चोटों के कई गंभीर निशान थे. साफ था कि केविन की मौत डूबने से नहीं, बल्कि उस की हत्या की गई थी.
इस तरह 23 साल का एक दलित ईसाई युवा, औनर किलिंग की भेंट चढ़ गया. वैसे केरल में इस तरह के मामले कम ही देखने को मिलते हैं मगर बात जब जाति और रुतबे की हो तो केरल जैसा साक्षर राज्य भी इस में पीछे नहीं रहता.
नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 की तुलना में 2015 में औनर किलिंग के मामलों में 796 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया. देश में हुईं कुल 251 औनर किलिंग की घटनाओं में उत्तर प्रदेश 168 मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा, जबकि केरल में सिर्फ 5 मामले ही प्रकाश में आए.
नीनू और केविन का प्यार जाति, धर्म, रुतबे सब से ऊपर था. उन्होंने एकदूसरे का दिल देख कर रिश्ता जोड़ा था, खुशहाल जिंदगी के सपने संजोए थे, पर उन्हें नहीं मालूम था कि उन की खुशी के दुश्मन उन के अपने ही बन जाएंगे.
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