Insurance : भारत में बीमा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसकी पहुंच अब भी काफी सीमित है, खासकर महिलाओं के बीच. भारत में महिलाओं की आबादी लगभग आधी है, लेकिन पुरूषों की तुलना में इंश्योरर्ड महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है. हालांकि महिलाएं अब ज्यादा आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं, लेकिन उन्हें अभी भी पूरी वित्तीय सुरक्षा पाने के लिए लंबा सफर तय करना है. परंपरागत रूप से, बीमा क्षेत्र एक पुरुष-प्रधान क्षेत्र रहा है, इसलिए महिलाओं के लिए खास योजनाओं की कमी, जागरूकता की कमी और महंगे प्रीमियम जैसी दिक्कतों ने उन्हें बीमा लेने से पीछे रखा है.
मैटरनिटी बेनिफिट और क्रिटिकल इलनेस कवर सुविधाए-
सिद्धार्थ सिंघल, हेड-हेल्थ इंश्योरेंस, पौलिसीबाजार डौट कौम का कहना है कि अब स्थिति बदल रही है क्योंकि इंश्योरेंस इंडस्ट्री अब ऐसे नए उत्पादों को पेश कर रही है जो महिला ग्राहकों को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं. इंश्योरेंस कंपनी द्वारा महिलाओं की खास स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए मैटरनिटी बेनिफिट और क्रिटिकल इलनेस कवर जैसी सुविधाओं को पेश किया जा रहा है. इन सुविधाओं से बीमा महिलाओं के लिए और अधिक सुलभ, फ्लेक्सिबल और फायदेमंद बन रहा है. यहां बताया गया है कि नए उत्पाद कैसे महिलाओं के लिए बीमा को और अधिक उपयोगी बना रहे हैं. होने वाले माता-पिता के लिए सबसे कम वेटिंग पीरियड वाला मैटरनिटी इंश्योरेंस अधिकांश उपभोक्ताओं के लिए मैटरनिटी इंश्योरेसं लंबे समय से एक महत्वपूर्ण विषय रहा है. पहले, हेल्थ इंश्योरेंस में मैटरनिटी कवरेज 2-4 साल तक के वेटिंग पीरियड के साथ आता था. जिससे यह परिवार की योजना बना रहे जोड़ों के लिए उपयोगी नहीं था. पौलिसी बाजार के आंकड़ों से पता चलता है कि 60% से अधिक जोड़े गर्भवती होने के बाद ही मैटरनिटी कवरेज खरीदते हैं. जिससे लंबे वेटिंग पीरियड की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है. इसे ध्यान में रखते हुए, बीमाकर्ता अब कम से कम 3 महीने की वेटिंग पीरियड वाली मैटरनिटी पौलिसी पेश कर रहे हैं.
मैटरनिटी कवरेज का विकल्प-
इसका मतलब यह है कि गर्भवती जोड़े भी पता चलते ही मैटरनिटी कवरेज का विकल्प चुन सकते हैं. इन पॉलिसी में डिलीवरी के पहले और डिलीवरी के बाद का खर्च और नए बच्चे की देखभाल भी शामिल होती है, जिससे मां और बच्चे दोनों को पूरी सुरक्षा मिलती है. कम वेटिंग पीरियड होने से अब ज्यादा लोग अपने परिवार को आसानी से सुरक्षित कर सकते हैं, चाहे उन्होंने पहले इस बारे में न सोचा हो.
विशेष वित्तीय सुरक्षा
महिलाओं की विशेष स्वास्थ्य जरूरतों के लिए क्रिटिकल इलनेस कवर महिलाओं को कई स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है जिसके लिए विशेष वित्तीय सुरक्षा की आवश्यकता होती है. ब्रेस्ट, ओवेरियन और सर्वाइकल कैंसर की बढ़ती घटनाओं के साथ-साथ कई ऑटोइम्यून बीमारियां भी महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, बीमा कंपनियां अब अपनी गंभीर बीमारी कवर योजनाओं का विस्तार कर रही हैं, जिससे जेंडर स्पेसिफिक बीमारियों को कवर किया जा सके और सुनिश्चित किया जा सके की गंभीर बीमारियों के इलाज के स्थिति में भी महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो.
जरूरी मेडिकल टेस्ट और एक पर्सनल हेल्थकेयर मैनेजर जैसी सुविधाएं
अब बीमा कंपनियां महिलाओं को खास फायदे दे रही हैं. वे महिला पौलिसी धारकों को विशेष छूट और पॉलिसी में गर्ल चाइल्ड को शामिल करने वालों को अतिरिक्त बचत का लाभ दे रही हैं. कुछ योजनाएं सिर्फ सामान्य कवरेज तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनमें महिलाओं की सेहत से जुड़ी खास जरूरतों का भी ध्यान रखा गया है. इनमें गायनोकौलोजिस्ट कंसल्टेशन, कैंसर की जांच, जरूरी मेडिकल टेस्ट और एक पर्सनल हेल्थकेयर मैनेजर जैसी सुविधाएं शामिल हैं, ताकि महिलाओं को पूरी तरह से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें.
इलाज के लिए एकमुश्त राशि
भारतीय महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों में से 25% से अधिक का कारण ब्रेस्ट कैंसर हैं. बेस्ट कैंसर के स्टेज एवं परेशानी के आधार पर इलाज की लागत ₹5 लाख से ₹20 लाख तक हो सकती है. इसी तरह का वित्तीय बोझ का सामना ओवेरियन और सर्वाइकल कैंसर होने पर भी होता है, जिसके लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और टार्गेटिड थेरेपी सहित लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता होती है. क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी इन बीमारियों को कवर करती है, जिससे पॉलिसीधारकों को इलाज के लिए एकमुश्त राशि मिलती है. इससे वे बढ़ते मेडिकल खर्च की चिंता किए बिना अपनी सेहत पर ध्यान दे सकते हैं.
मौड्युलर प्लान्स और अधिक सामर्थ्य
हेल्थ इंश्योरेंस सभी के लिए एक जैसे नहीं हो सकता, खासकर जब बात महिलाओं की अलग-अलग जरूरतों की हो. आज की महिलाएं अपने निजी और प्रोफेशनल दोनो लाइफ को संभाल रही हैं, इसलिए उन्हें ऐसी इंश्योरेंस पौलिसी की आवश्यकता है जो उनकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा करे. इन जरूरतों को पूरा करने के लिए मौड्यूलर इंश्योरेंस पौलिसी है- ये योजनाएं फ्लेक्सिबल हैं और महिलाओं को उनकी जीवनशैली और वित्तीय स्थिति के आधार पर बीमा कवरेज चुनने की सुविधा प्रदान करती है. इसमे कवरेज को व्यक्ति की प्रीमियम भुगतान क्षमता के अनुसार बदला जा सकता है. उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति शेयर्ड कमरे का विकल्प चुन सकता है या पसंदीदा नेटवर्क अस्पतालों को चुन सकता है या प्रीमियम को कम करने के अधिक डिडक्टिबल राशि का विकल्प भी चुन सकता है.
रिनुअल्स पर 100% तक का डिस्काउंट
मेडिकल खर्चो को कवर करने के अलावा, इंश्योरेंस पौलिसियां अब वेलनेस बेनिफिट भी प्रदान करती हैं जिससे रिनुअल्स पर 100% तक का डिस्काउंट मिल सकता है. जो लोग अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखते हैं, वे सिर्फ रिस्क कवरेज ही नहीं बल्कि लंबे समय तक कम प्रीमियम का लाभ भी उठा सकते हैं. यह न सिर्फ बीमाधारकों बल्कि बीमा कंपनियों के लिए भी फायदेमंद साबित होता है.
कस्टमाइज्ड कवरेज
बीमा तेजी से एक व्यक्तिगत वित्तीय सुरक्षा कवच के रूप में विकसित हो रहा है. महिलाओं के लिए, यह बदलाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे लंबी उम्र, मैटरिनिटी और अलगअलग स्वास्थ्य मुश्किलों का सामना करती हैं. बीमा कंपनियों द्वारा कस्टमाइज्ड कवरेज की पेशकश, महिलाओं की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक अच्छा कदम है. जैसे-जैसे जागरूकता और नवाचार बढ़ रहा है, आने वाले समय में भारत में महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी, बल्कि पूरी तरह से वित्तीय रूप से सुरक्षित भी रहेंगी.