अब यह समझ नहीं आ रहा है कि पूना की रेखा खन्ना की बुराई जीभर के की जाए, अब उसे टै्रंड सैंटर कहा जाए. दरअसल, उस ने नवंबर, 2023 के अंतिम सप्ताह में पुणे में अपने एक बिल्डर पति निखिल खन्ना से बहस के दौरान नाक पर मुक्का मारा जिस से उस के नाक की हड्डियां चटक गईं और वह गिर गया तथा बहुत खून बहने से उस की मौत हो गई.

बुराई इसलिए कि वह पति की हत्यारिन है, ट्रैंड सैंटर इसलिए कि उस ने सभी पतियों को चेतावनी दी है कि हिंसा दोनों तरफ से हो सकती है और पिटने वाली औरतें अब रिश्वत न लेने वाले गुप्त सरकारी कर्मचारी जीवों की तरह कम होने लगी हैं. अभी यह पता नहीं कि नाक पर मुक्का मारा गया था या कोई और चीज मारी गई थी.

अगर मुक्का मारा गया तो यह पतियों को ही नहीं सभी पुरुषों, लड़कों के लिए संदेश है कि औरतों को कमजोर कतई न समझें. औरतों को ताड़न का अधिकारी कहने वाले तुलसीदास के दिन लदने लगे हैं. अब न शूद्र को पीटा जा सकता है, न पशु को. ढोल ही बचा जिसे तुलसीदास प्रेमी बजाबजा कर दानदक्षिणा की महिमा गा सकते हैं जिस से रामचरितमानस भरी है.

रामचरितमानस वाली नारी अब अपनेआप में वैसे ही कम हो गई है. वह न दान की वस्तु है, न भोग की, न हिंसा की शिकार. अकेले में तो हर आदमी भी पिट लेता है पर उसे कमजोर नहीं सम?ा जाता. अब औरतों के समूह आसानी से जमा करे जा सकते हैं जो लड़कियों में हिंसा करने वाले लड़कों की छुट््टी कर सकते हैं.

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