Marriage : इकलौती बेटी पूनम की शादी की सारी तैयारियां हो चुकी थीं. 15 दिनों बाद उस की शादी डाक्टर आलोक से होने वाली थी.वह बेहद खुश थी और खूब सारा शौपिंग भी कर चुकी थी. उसे खुशी इस बात से भी थी कि वह अपने मनपसंद साथी आलोक के साथ शादी कर रही थी, जिसे वह पिछले 10 सालों से जानती थी.

आलोक से हर दिन उस की बातचीत औफिस जाते हुए हो जाया करती थी, जिस में वह पूरे दिन की प्लानिंग का जिक्र करती थी, लेकिन जब आलोक का फोन एक दिन सुबह नहीं आया, तो पूनम चिंता में पड़ गई.

उस ने कई बार आलोक को फोन किया.उस का फोन बज रहा था, लेकिन कोई उठा नहीं रहा था.फिर उस ने आलोक के पेरैंट्स और बहन को फोन किया.कहीं से कोई फोन उठा नहीं रहा था.पूनम को लगने लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है.उस ने अपनी मां को फोन किया, तो पता चला कि आलोक को ले कर सभी लोग अस्पताल गए हैं.वह भी उन के पिता के साथ वहीं जा रही है.

पूनम औफिस से छुट्टी ले कर घर पहुंची, तो पता चला कि उस के होने वाले पति आलोक को सांप ने डस
लिया है.रात को जब वह अपनी क्लिनिक से निकल रहा था, तो अचानक उसे किसी चीज के पैर में कांटने का महसूस हुआ.उसे लगा कि किसी चींटी ने उसे काटा है, लेकिन जब रात में उस की उलटियां शुरू हुईं, असहज महसूस हुआ और वह बेहोश हो गया, तो सभी डर गए और उसे ले कर अस्पताल पहुंचे.डाक्टर ने इसे करैत बाइट बताया, जिस का इलाज किया गया और 7 दिनों के बाद आलोक ठीक हो गया और फिर कुछ दिनों बाद उस की शादी पूनम से हो गई.

सतर्कता से बची जान

दरअसल, आलोक को परिवार वालों की ऐलर्टनैस की वजह से समय पर इलाज मिला, जिस से वह ठीक हो गया. स्नेक बाइट ऐक्सपर्ट डाक्टर सदानंद राऊत कहते हैं कि यहां आलोक को इसलिए बचाया जा सका, क्योंकि उस के परिवार वाले समय से अस्पताल पहुंचे, जिस से उन्हें ऐंटी वेनम और वैंटिलेटर पर रख कर उसे बचाया जा सका.थोड़ी सी देर होने पर उस की जान जा सकती थी, क्योंकि उसे काटने वाला सांप बहुत विषाक्त होता है, जिस में समय पर इलाज न मिलने पर रोगी की मृत्यु हो जाती है.

डाक्टर आगे कहते हैं कि करैत अधिकतर रात के अंधेरे में चूहों का शिकार करने के लिए निकलते हैं.
यह सांप नीचे लेटे हुए किसी व्यक्ति के ऊपर से गुजरता है और अगर वह थोड़ा भी हिलता है या करवट बदलने की कोशिश करता है तो सांप डस लेता है. करैत रात के 12 बजे के बाद और सुबह 5 बजे के बीच अधिकतर काटता है.इस के बाइट की अधिक लक्षण नहीं होते, न ही अधिक सूजन होता है और न ही खून निकलता है.ऐसे में इंसान इसे चींटी या चूहे की बाइट समझते हैं और झाड़फूंक या आयुर्वेदिक दवाइयां लेते हैं, जिस से रोगी को बचाना मुश्किल होता है.इस में रोगी को पहले उलटी होती है, फिर बेहोशी, कोमा और फिर मृत्यु हो जाती है.

मातम का माहौल

यहां पूनम को तो उस का पति मिल गया, लेकिन नीलिमा के साथ ऐसा नहीं हुआ. उस के होने वाले पति गिरीश की शादी से 2 दिन पहले अचानक हार्ट अटैक में मृत्यु हो गई. मृत्यु के पिछले रात को सारा परिवार शादी की खुशियां मना रहा था.गिरीश भी सब के साथ डांस और गाने गा रहा था, लेकिन उस की यह खुशी उस पर भारी पड़ी. रात को सोया गिरीश सुबह न उठ सका और अस्पताल ले जाने पर डाक्टर ने उसे हार्ट अटैक का केस बताया और मृत घोषित कर दिया. सभी के चेहरे दुख और पीड़ा से भरे हुए थे. किसी को समझ नहीं आ रहा था कि सांत्वना किसे और कैसे दिया जाए. जिस होटल में शादी की खुशियां मनाई जाने वाली थीं, वहीं मातम मनाया गया.

लगता है भारी सदमा

उत्तर प्रदेश के हाथरस के एक गांव निवासी शिवम से मोहिनी की शादी पिछले साल ही तय हुई थी. कृष्णाबाग कालोनी स्थित मैरिज होम में बरात आनी थी. हाथरस में भात की रस्म के दौरान नाचतेनाचते शिवम गिर गया और उस की हार्ट अटैक से मौत हो गई. शिवम की मौत की खबर दुलहन के घर वालों को मिली तो मानों उन पर वज्रपात हो गया. मनपसंद की शादी तय होने पर मोहिनी ने बड़े सपने संजोए थे. शिवम की मौत की खबर सुनते ही मोहिनी की तबीयत बिगड़ गई. उस ने खाना छोड़ दिया. सदमा इतना
गहरा था कि वह किसी से बात नहीं करती थी. अपने हाथों में लगी मेहंदी को देख कर चीख उठती कि मैं भी शिवम के पास जाऊंगी. मोहिनी के पिता बनी सिंह जूता फैक्टरी में मजदूरी कर महज ₹12 हजार कमाते हैं. मोहिनी की शादी के लिए ओवरटाइम काम कर के रुपए इकट्ठे किए थे. जमीन भी गिरवी पर रख कर पैसे का इंतजाम किया. इस हादसे से दोनों परिवारों में मातम छा गया.

शादी से पहले अचानक हुई दुर्घटना हर किसी के लिए सदमेभरा होता है, लेकिन इस से निकलना जितना मुश्किल पेरैंट्स के लिए होता है, उस से कही अधिक उस लड़की या लड़के की होती है, जो उस विवाह के बंधन में बंधने जा रहे होते हैं.

जानें ऐक्सपर्ट की राय

इस बारे में मनोवैज्ञानिक राशीदा कपाड़िया कहती हैं कि शादी से चंद दिनों पहले लड़के या लड़की में किसी एक की अचानक मृत्यु हो जाने पर बहुत बड़ा सदमा लगता है. शादी से ठीक पहले मौत होने पर पूरा परिवार लड़की को अपशकुन समझने लगते हैं और उस की शादी बाद में होना मुश्किल हो जाता है.लड़की के दुख को लोग कम समझ पाते हैं.

शादी से पहले किसी लड़की की अचानक मृत्यु को परिवार वाले भले ही उतनी गंभीरता से न लें, लेकिन अगर उस लड़के ने उस लड़की से प्यार किया हो और उस की मृत्यु हो गई हो, तो उसे गहरा आघात लगता है और कई बार लड़का बाद में किसी लड़की से शादी करने से भी इनकार करता है, क्योंकि विवाह उन के संबंधों की एक नई शुरुआत होती है. ऐसे में कुछ बातों का उन्हें ध्यान देने की जरूरत है, ताकि फिर से वे नई जिंदगी की शुरुआत कर सकें :

● कई बार लड़की या लड़का डिप्रेशन में जा सकते हैं, कुछ बुरी आदतों का शिकार हो सकते हैं.ऐसे में जरूरी है कि वे अपने परिवार वालों या दोस्तों के बीच रहें, ताकि उन्हें उन का सहारा मिलता रहे.

● पीङित अकेले न रहे, इस का ध्यान रखना सब की जिम्मेदारी होनी चाहिए.अकेलापन व्यक्ति के जीवन का सब से खराब दौर होता है.जो व्यक्ति उन्हें अब तक सहयोग देता आया है और साथ रह रहा है, वह उस से बातचीत करते रहे और अधिक से अधिक समय बिताए. सदमे के लिए 30 दिनों से अधिक समय खुद को न दें और उस से निकल कर दैनिक कामकाज में लग जाना चाहिए.घर के काम, वर्कआउट, जौब या बिजनैस आदि जो भी हो उसे करें और पुरानी रूटीन को फौलो करते रहें.

● स्वास्थ्य पर ध्यान दें, संतुलित आहार लें, जंक फूड को अवौइड करें, क्योंकि यह किसी भी लड़के और लड़की के जीवन का सब से कठिन दौर होता है, जो समय के साथसाथ ठीक होता चला जाता है, लेकिन इस में सब से अधिक मानसिक संतुलन बिगड़ता है, जिस से शारीरिक समस्या उत्पन्न होती है.

● इस समय अधिकतर युवा को अपने कजिंस या अच्छे दोस्त का सहयोग लेना चाहिए, क्योंकि कई बार ऐसी दुर्बल मानसिक अस्थिरता में आसपास के गलत लोग उन्हें सहानुभूति दिखाने लगते हैं, जो पहले तो अच्छा लगता है, लेकिन बाद में कई बार घातक हो सकता है.

अपने अनुभव के बारें में राशिदा कहती हैं कि कई बार ऐसा भी देखा गया है कि शादी वाले लड़के की मृत्यु के बाद उस की शादी दोनों परिवार राजीखुशी से कुछ दिनों बाद उस के बड़े या छोटे भाई के साथ करवा देते हैं, क्योंकि शादी की तैयारी लोग कई महीनों या सालों पहले से करने लगते हैं.पेरैंट्स एक बड़ी धनराशि इस पर खर्च किए होते हैं.ऐसे में लड़की को थोड़ी समस्या उस लड़के से सामंजस्य बैठाना होता है.

अगर किसी लड़की की मृत्यु शादी से तुरंत पहले हुई हो, तो लड़के की शादी उस की बड़ी या छोटी बहन से कराते हैं, लेकिन ऐसा तभी संभव होता है, जब परिवार में कोई बिनब्याही लड़की या लड़का हो. आज के परिवार में यह करना संभव नहीं होता, क्योंकि अधिकतर लड़के या लड़की अपने पेरैंट्स के अकेले संतान होते हैं. साथ ही लड़की या लड़के की रजामंदी भी आज बहुत बड़ी बात होती है.

इस प्रकार शादी से तुरंत पहले लड़के या लड़की की मृत्यु एक बड़ा हादसा है, जिसे पूरे परिवार के साथसाथ लड़की और लड़का दोनों को ही मानसिक समस्या से गुजरना पड़ता है.ऐसे में जरूरत होती है धैर्य और मानसिक शांति को बना कर आगे बढ़ने की, जिस में परिवार का साथ देना बहुत आवश्यक है, ताकि लड़का या लड़की उस हादसे से खुद को बाहर निकाल सकें.

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