दुनिया में तमाम खूबसूरती उसकी प्राकृतिक बहुलता और विविधता के कारण है. यह बात सिर्फ निर्जीव प्रकृति पर ही लागू नहीं होती बल्कि जीवित जीवों की दुनिया पर भी लागू होती है. दुनिया में जीवन का जो चक्र है, उसमें हर जीव एक दूसरे के साथ जुड़ा हुआ है. कुछ आॅक्सीजन का उत्पादन करते हैं (ध्यान रखिए वनस्पतियों और पेड़ों को भी जीवन का हिस्सा माना जाता है) ताकि किसी भी जीव को सांस लेने में किसी तरह की दिक्कत न हो. कुछ छोटे जीव बड़े जीव प्रजातियों का भोजन बनते हैं ताकि बड़े जीव इन छोटे जीवों को नियंत्रित रखें और धरती में जीवन का अनुपात और संतुलन बना रहे. कहने का मतलब यह कि धरती में जीवन की जो मौजूदगी है, उसके लिए जीवन की यह विविधता ही जिम्मेदार है. इसलिए इस विविधता को बनाये रखना बहुत जरूरी है. अगर जीवन की विविधता नहीं बची तो फिर धरती में जीवन भी नहीं बचेगा.

वैज्ञानिक इसीलिए सबसे ज्यादा चिंतित है. क्योंकि धरती में बहुत तेजी से बायोडायवर्सिटी का क्षरण हो रहा है. सिर्फ जमीन में रहने वाली हजारों जीव प्रजातियां ही पिछले सैकड़ों सालों में नष्ट नहीं हुई हैं बल्कि समुद्र के अंदर की हजारों जीव प्रजातियों को भी या तो इंसानों ने खाकर खत्म कर दिया है या फिर अपनी ऐशपूर्ण जीवनपद्धति के चलते इनकी जिंदगी को खतरे में डाल दिया है. पूरी दुनिया में समुद्र के रास्ते जैविक तेल यानी पेट्रोल, डीजल का एक जगह से दूसरी जगह धड़ल्ले से जाने का नुकसान यह हुआ है कि समुद्र मंे सैकड़ों जीव प्रजातियां खत्म हो गई हैं. इंसान पहले मछली पकड़कर खाता था, फिर वह नदियों, तालाबों और समुद्र से मछलियां पकड़कर अपनी जीविका बनाने लगा और अब तो पिछले 50 सालों में हजारों कंपनियां समुद्र से हर दिन लाखों टन मछलियां निकालकर उन्हें अपने मुनाफे में बदल रही हैं.

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