इंगलैंड ने बाहरी देशों से आ कर काम करने के इच्छुक लोगों की गिनती घटाने के लिए उस वेतन सीमा को बढ़ा दिया है जिस पर इमीग्रेशन की इजाजत पहले दी जाती थी. पहले 26,000 पाउंड से ज्यादा वेतन की नौकरी मिलने पर ब्रिटेन में स्थायी रूप से रहने की इजाजत मिल जाती थी. अब यह इजाजत 38,000 पाउंड की नौकरी मिलने पर मिलेगी. इस से हर साल 3 लाख इमीग्रेंट्स कम हो जाएंगे.
यह अब पक्का हो गया है कि एक देश से दूसरे देश में जा कर रहने वाले असल में अपने साथ मूल देश की भाषा, रंग, जीवनशैली ही नहीं, धार्मिक व राजनीतिक कट्टरता भी साथ बांध कर ले जाते हैं और वहां की नागरिकता मिलने के बावजूद उन्हें फ्लश कर के नहीं बहाते. इंगलैंड के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इस के सब से बड़े उदाहरण हैं जो हिंदू धर्म का पिटारा लिए घूमते हैं और मुख्यतया प्रोटैस्टैंट चर्च वाले देश के आचारव्यवहार को केवल पब्लिक में निभाते हैं.
मानव हमेशा से घुमक्कड़ रहा है. लोग देश, जमीन, जंगल, बदलते रहे हैं. लेकिन अमेरिका की तरह का मेल्ंिटग पौट, जिस में विभिन्न देशों के लोग एक सांचे में ढलते रहे, अब बंद हो गया है. अमेरिका और यूरोप ही नहीं, दूसरी जगह भी अपने मूल देश से आने वाले लोग कुछ न कुछ संबंध मूल देश से रखते हैं और यही वहां की नीतियों में रेस व धर्म के भेद पैदा करते हैं.
आव्रजन या इमीग्रेशन नहीं होना चाहिए. जब आने वाला अपना मूल देश छोड़े तो वहां के रीतिरिवाज, धर्म, सोच, भाषा, रहनसहन सब छोड़े. हर देश में एक ही रंग व भाषा वाले विभिन्न तरह के लोग होते हैं जो साथसाथ रह सकते हैं. इस विभिन्नता को तो सिरमाथे पर रखा जाए लेकिन नए देश में बराबरी का हक भी मांगा जाए, तो फिर यह गलत है.
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